कौशाम्बी30सितम्बर23*किसान भाई पराली न जलायें, पराली प्रबन्धन के उपायों को अपनायें–डीएम*
*जिलाधिकारी ने पराली प्रबन्धन के लिए जनपद स्तरीय जागरूकता गोष्ठी का दीप प्रज्ज्वलित कर किया शुभारम्भ*
*कौशाम्बी।* जिलाधिकारी सुजीत कुमार ने उदयन सभागार में कृषि विभाग द्वारा आयोजित पराली प्रबन्धन के लिए जनपद स्तरीय जागरूकता गोष्ठी का दीप प्रज्ज्वलित कर तथा कलेक्ट्रेट परिसर में आयोजित कृषि प्रदर्शनी का फीता काटकर शुभारम्भ व अवलोकन किया।
जिलाधिकारी ने गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए किसान भाइयों से कहा कि इस गोष्ठी का उद्देश्य आप लोगों को पराली जलाये जाने के दुष्परिणामों एवं पराली प्रबन्धन के उपायों आदि के बारे में जागरूक करना है। उन्होंने कहा कि पराली न जलायें तथा पराली प्रबन्धन के उपायों को अपनायें। पराली जलाये जाने से प्रदूषण का स्तर बढ़ता है तथा जमीन की उर्वरता घटती है। शासन द्वारा पराली जलाये जाने की घटना को गम्भीरता से लिया जाता है तथा सम्बन्धित के विरूद्ध कार्यवाही के लिए निर्देशित किया जाता है। जनपद में विगत वर्ष पराली जलाये जाने की घटनायें सामने आई थी। उन्होंने कहा कि पराली जलाये जाने पर भूमि के आधार पर यथा-02 एकड़ से कम भूमि पर रूपयें 2500 एवं 02 एकड़ से अधिक व 05 एकड से कम भूमि पर रूपयें 5000 तथा 05 एकड़ से अधिक भूमि पर रूपये 15000 प्रति घटना पर जुर्माना लगायें जाने का प्राविधान है।
कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा0 अजय सिंह ने कृषकों से अनुरोध किया कि पराली न जलायें, पराली को खेतों में ही सड़ाकर मिट्टी में मिलायें और मिट्टी की उर्वराशक्ति को बढ़ाकर उत्पादन बढ़ायें। पराली को सड़ाने के लिए कृषि विभाग द्वारा पूसा बायो डिकम्पोजर की 21200 बोतलों की डिमॉण्ड भेजी गयी है, एक सप्ताह में इसकी आपूर्ति कर कृषकों को निःशुल्क उपलब्ध कराया जायेंगा। इस दवा की प्रत्येक बोतल 100 मिलीलीटर की होगी। वेस्ट डिकम्पोजर का घोल बनाने के लिए एक ड्रम में 200 लीटर पानी लेकर उसमें 02 किग्रा0 गुड़ डालकर अच्छे से हिलाकर मिलायें तथा घुलने पर एक बोतल वेस्ट डिकम्पोजर की 100 मिली0 पूरा डालकर लकड़ी या डण्डे से घोल को हिलाकर मिलायें। इसके बाद पालीथीन से अच्छी तरह ढककर 07 दिन के लिए रख दें, इसके बाद इसमें झाग या मैट तैयार होने पर पराली को एकत्रित कर एक गड्ढे में डालकर कुछ पानी डालें व इसमें प्रतिदिन दवा के घोल का छिड़काव करें व गड्ढे में गोबर भी डाल सकते हैं। कुछ ही दिन में पराली सड़कर उपजाऊ खाद बन जायेंगी। गोष्ठी में किसानों को अवगत कराया गया कि जिन कम्बाइन हार्वेस्टर मशीनों द्वारा बिना फसल अवशेष प्रबन्धन वाले कृषि यन्त्रों जैसे-सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम (एस0एम0एस0) अथवा स्ट्रारेक या बेलर अथवा स्ट्रारीपर के धान की कटाई करते हुये पकड़ी जायेगी, उसे तत्काल सीज किये जाने की कार्यवाही की जायेंगी और उन मशीनों को तब तक नही छोड़ा जायेंगा, जब तक पराली प्रबन्धन यन्त्र मशीन मालिक द्वारा न लगवा लिया जाय।
उप कृषि निदेशक सतेन्द्र तिवारी द्वारा कृषकों व कम्बाइन हार्वेस्टर स्वामियों को अवगत कराया कि जनपद के कम्बाइन हार्वेस्टर मालिकों द्वारा हार्वेस्टर मशीनो में लगाये जाने वाले पूरक यन्त्रों को क्रय करने पर 50 प्रतिशत का अनुदान अनुमन्य है। 10-12 दिनों में अनुदान प्राप्त करने के लिए शासन द्वारा ऑनलाइन आवेदन करने के लिए पोर्टल खोल जाने की सम्भावना है। किसान भाई पराली प्रबन्धन के यन्त्रों पर अनुदान के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकतें हैं।
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी द्वारा कृषकों से कहा कि जिनके यहॉ पराली अधिक होती है, वे अपने नजदीकी गौ आश्रय केन्द्र अथवा गौशाला में पराली लें जाय, व इसके बदले एक ट्राली गोबर की खाद ला सकतें हैं। इस प्रकार से आप अपने खेतों की उर्वरा शक्ति को बढ़ा सकते हैं व जुर्माना आदि से भी स्वयं को बचा सकतें हैं।
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