October 31, 2025

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कौशाम्बी30मई*मीडिया को दबाने की कोशिश होती है तो शासक हो जाता निरंकुश --भार्गव*

कौशाम्बी30मई*मीडिया को दबाने की कोशिश होती है तो शासक हो जाता निरंकुश –भार्गव*

कौशाम्बी30मई*मीडिया को दबाने की कोशिश होती है तो शासक हो जाता निरंकुश –भार्गव*

*हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर कौशांबी न्यूज़ रिपोर्टर क्लब के बैनर तले एकजुट हुए पत्रकारों ने की चर्चा*

*कौशाम्बी* हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर तमाम पत्रकार एकजुट हुए और पत्रकारिता के संबंध में अपने अपने विचार व्यक्त किए कार्यक्रम की अध्यक्षता कौशाम्बी न्यूज़ रिपोर्टर क्लब के संरक्षक वरिष्ठ पत्रकार रामबदन भार्गव ने किया इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार रामबदन भार्गव ने कहा कि पहले अंग्रेजी बांग्ला फारसी आदि भाषाओं में अखबार का प्रकाशन ज्यादा होता था जिससे हिंदी पाठकों को अखबार नहीं मिल पाता था अंग्रेजी शासको के जुल्म ज्यादती अत्याचार से आम जनता परेशान थी जिस पर जुगल किशोर शुक्ल ने 30 मई 1826 को 195 वर्ष पूर्व हिंदी का अखबार उदंत मार्तंड का प्रकाशन कलकत्ता से शुरू किया यह अखबार ज्यादा दिन तो प्रकाशित नहीं हो सका अखबार के प्रकाशन में तमाम खर्चे आने लगे उन्होंने अंग्रेज सरकार से अनुरोध किया कि डाक शुल्क निशुल्क कर दिया जाए लेकिन ब्रिटिश हुकूमत ने उनकी नहीं सुनी 79 अंक निकालने के बाद अखबार के संपादक की व्यवस्था चरमरा गई और अखबार का प्रकाशन 4 दिसंबर 1827 से बंद हो गया लेकिन 30 मई 1826 को हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाया जाने लगा जो 195 वर्ष बाद भी निरंतर पत्रकार एक मंच पर एकत्रित होकर अपनी आवाज एक दूसरे से साझा करते हैं और हिंदी पत्रकारिता के महापुरुष जुगल किशोर शुक्ला को याद कर उन्हें नमन करते हैं और उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं इस मौके पर उन्होंने कहा कि बदलते परिवेश में पत्रकारिता व्यवसाय का रूप ले चुका है लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर किया जा रहा है लेकिन संविधान और समाज सही तरीके से स्थापित करने के लिए चार स्तंभों की आवश्यकता है जिसमें एक स्तंभ पत्रकारिता को भी माना गया है इसलिए पत्रकारिता को कमजोर करने की कोशिश करने से देश कमजोर होगा और देश को कमजोर होने से बचाना होगा उन्होंने कहा कि पत्रकारिता को कमजोर करने की रणनीति है मीडिया को दबाने की जब जब कोशिश होती है तो शासक निरंकुश हो जाता है और वह जनता की नहीं सुनता है उन्होंने कहा कि हम पत्रकार साथियों को एकजुट होकर आम जनता की आवाज उठाना होगा और शासन की निरंकुशता का जवाब देना होगा तभी हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाना सार्थक हो सकता है इस मौके पर मोअज्जम खान वरिष्ठ पत्रकार सुशील केसरवानी राजू सक्सेना विष्णु सोनी अजीत कुशवाहा अनुराग शुक्ला एनडी तिवारी सुबोध केसरवानी,सुशील मिश्रा,राजेश दिवाकर,रविन्द्र सिंह, मोहम्मद फैज अहमद अनिल कुमार,मुन्ना यादव सहित तमाम पत्रकारों ने कार्यक्रम में पत्रकारिता दिवस पर अपने विचार व्यक्त किए हैं

 

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