कौशाम्बी29सितम्बर25*राजा दशरथ के स्वर्गवास की सूचना मिलते ही दुखी हुए प्रभु श्री राम*
*रामलीला में श्रीराम ने कौआ की फोड़ी आंख, विराध राक्षस का हुआ वध केवट ने भगवान श्रीराम के पैर धूल, पार करवाई गंगा चित्रकूट मे राम-भरत का हुआ मिलाप,*
*कौशाम्बी।* मुख्यालय मंझनपुर स्थित हिन्दु धर्म सभा श्री रामलीला कमेटी के द्वारा सोमवार को राम-केवट संवाद व भरत मिलाप और चित्रकूट से पंचवटी राम निवास लीला का मंचन हुआ है। जिसे दृशक देख भाव-विभोर हो गयें।मंझनपुर स्थित श्रीराम लीला कमेटी के द्वारा आयोजित श्रीरामलीला में रविवार को दिखया गया कि राम-केवट संवाद व चित्रकूट से पंचवटी राम निवास लीला का मंचन हुआ है। जिसमें दिखाया जाता है कि राम-केवट संवाद होता है, केवट कहता है कि आपके चरण स्पर्श होते ही पत्थर की सिला सुंदर स्त्री हो गई। प्रभु मेरी नाव तो काठ की है और काठ से पत्थर कठोर होता नहीं है। मेरी नाव भी मुनि की स्त्री हो जाएगी। मेरी कमाने-खाने की राह ही मारी जाएगी। पांव धुलवाओ फिर नाव पर चढ़ाऊंगा। राम के चरण धोने के बाद केवट गंगा पार कराता है। भगवान केवट के पास इसलिए आए कि वह हम लोगों से कहना चाहते हैं कि हम लोग बहुत बड़े बड़े लोगों के दरवाजे पर उनके सुख-दुख में जाते रहते हैं। भगवान कहना चाहते हैं कि हमें कभी छोटे लोगों के यहां भी जाना चाहिए। आगे के मचंन में दिख जाता है कि भरत व शत्रुघ्न ननिहाल से अयोध्या लौटने पर राम के वनवास व राजा दशरथ के स्वर्गवास का पता लगने पर दुःखी होते हैं। भगवान राम से मिलने चित्रकूट जाते हैं चित्रकूट में भरत का राम से मिलाप होता है, आयोध्या में हुई पूरी घटना क्रम की जानकारी भाई राम को बताते है पिता राजा दशरथ के स्वर्गवास का पता लगने पर दुःखी होते हैं। राम आयोध्या वापस जाने से मना कर देते है। भरत राम की खड़ाऊ लेकर अयोध्या लौट आते हैं। भगवान राम माता सीता का श्रृगार करते है तभी कौआ रूप में जयंत आता है और कहता है वनवासी है ये मेरे क्या बिगड़ सकते है श्री राम को परेशान करने के लिए कौआ का रूप बदलकर सीता के पास पहुंच जाता है और माता के पैर को अपने चोंच से घायल कर दिया। जब भगवान श्रीराम ने सीता के घायल पैर को देखा तो उन्हें काफी क्रोध आ गया और उस कौए के बारे में जानते ही उन्होंने अपने कोदंड नाम के धनुष पर सरकंडे को चढ़ाकर उस कौए पर निशाना लगाने की तैयारी शुरू कर दी, जिसे देख कौए रूपी जयंत की डर से हालत खराब हो गई और वो भागकर ब्रह्मलोक और शिवलोक भगवान शंकर से अपने प्राणों को बचाने के लिए बोला तो उन्होंने मना कर दिया। फिर वो अपने पिता इन्द्र देव के पास गए तो इन्द्र देव ने उनसे कहा कि उस बाण से तुम्हारी रक्षा सिर्फ स्वयं भगवान श्री राम ही कर सकते हैं। इसके बाद वो भागते हुए भगवान श्री राम के चरणों में आकर गिर गए और अपने किए की माफी मांगने लगे। राम ने माफ करते हुए दण्ड के रूप में भगवान श्री राम ने जयंत (कौआ) की आंख फोड़ी तथा विराध राक्षस वध किया। भगवान राम, लक्ष्मण और सीता पंचवटी में आश्रम बनाकर रहते हैं। इस मौके पर रामलीला कमेटी के अध्यक्ष आशीष केसरवानी उर्फ बच्चा, महामंत्री पंकज शर्मा, उपाध्यक्ष सुशील नामदेव, संगठन मंत्री झल्लर चौरासिया, कोषाध्यक्ष सोनालाल केशरवानी, अजय वर्मा, मंत्री सुनील नामदेव, रोहित गुप्ता, राजू, सुशील केसरवानी, मुकुन्दी लाल, राहुल, सहित रामलीला कमेटी के पदाधिकारी एवं आस-पास क्षेत्र के हजारों लोग मौजूद रहें।

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