[4/19, 15:08] +91 99191 96696: *तीन दशक से अलवारा झील से मालामाल हो रहे हैं अधिकारी*
*70 किलोमीटर दायरे में फैली अलवारा झील की सुध लेने वाले हुए बेसुध*
*कौशाम्बी* ऐतिहासिक धरोहर की सुधि लेने वाले बेसुध हो गए हैं जिससे ऐतिहासिक धरोहर संरक्षित और सुरक्षित नहीं दिखाई पड़ रही है अराजक तत्वों द्वारा ऐतिहासिक धरोहर से होने वाली आमदनी को हजम कर मालामाल होने की योजना बनाई गई है संरक्षित संपत्तियों से होने वाली आमदनी से अधिकारी भी खामोश है मामला अलवारा झील का है
बताते चलें कि जिले के दक्षिणी किनारे पर यमुना नदी के क्षेत्र में 12 किलोमीटर लंबे दायरे में 6 किलोमीटर चौड़ाई में अलवारा झील का क्षेत्रफल है और यह झील कुछ स्थानीय लोगों के साथ-साथ राजस्व विभाग के कुछ लोगों की आय का साधन बनकर रह गई है अलवारा झील के सौंदर्यीकरण की योजना वन विभाग द्वारा कई बार बनाई गई सर्वे और जांच के नाम पर धन और समय भी बर्बाद किया गया साइबेरियन पक्षियों का भी यहां बसेरा है लेकिन योजना से जुड़े लोगों के निजी लाभ में व्यवधान पड़ने के चलते सौंदर्यीकरण की योजना अमलीजामा नहीं पहन सकी
प्रशासनिक उपेक्षा के चलते अलवारा झील के कुछ हिस्सों में ग्रामीणों ने कब्जा कर खेती किसानी शुरू कर दिया है और राजस्व कर्मी उनके बचाव में उर्जा लगाते हैं अलवारा झील में कुछ लोगों ने मछली पालन शुरू कर दिया है अलवारा झील से प्रतिदिन बड़ी तादात में मछली निकालकर बेची जा रही है लेकिन झील की सुधि लेने वाले अधिकारी बेसुध पड़े हुए हैं इतना ही नहीं झील के अगल-बगल गांजे की भी खेती कई दशक से क्षेत्रीय लोग कर मालामाल हो रहे हैं लेकिन उस पर भी विभाग के लोग अनजान बने हैं अलवारा झील में कमल के फूल की खेती होती है कमल के फूल कमल गट्टा और इसके पत्तों को बेचकर करोड़ों की कमाई की जाती है लेकिन इस मामले से भी प्रशासन बेखबर है साइबेरियन पक्षी का अलवारा झील में बसेरा है जिसका शिकार कर लाखों की आमदनी शिकारी कर रहे हैं लेकिन इस मामले से भी प्रशासन बेखबर है
मंझनपुर तहसील क्षेत्र के भगत का पूरा डूडी रानीपुर हटवा भवनसुरी भारतपुर शाहपुर बैरागी पुर जमुनापुर टिकरा पौर काशीरामपुर अलवारा आदि गांव के बीच के हजारो एकड़ के हिस्से में अलवारा झील स्थापित है बीते तीन दशक पूर्व अलवारा झील की पैमाइश की आवाज बुलंद हुई अलवारा झील की पैमाइश करा कर इसे सुरक्षित संरक्षित किए जाने की कई बार सामाजिक लोगों ने आवाज बुलंद की लेकिन तीन दशक का समय बीत जाने के बाद भी अलवारा झील की पैमाइश राजस्व विभाग के अधिकारी नहीं कर सके आखिर अलवारा झील की पैमाइश से राजस्व विभाग के अधिकारी दूर भागते क्यो दिखाई पड़ रहे हैं सूत्रों की माने तो अलवारा झील से होने वाली आमदनी में बड़ा हिस्सा राजस्व विभाग तक भी पहुंच रहा है जिससे आमदनी में खलल ना पड़े इसलिए अलवारा झील की पैमाइश तीन दशक बाद भी पूरी नहीं हो सकी है 6 महीने पहले पैमाइश की शुरुआत की गई थी लेकिन अधूरा छोड़ दिया गया है अलवारा झील में बड़ी संख्या में मछली हैं और स्थानीय लोगों द्वारा मछली निकाल कर बेचा जाता है जिससे लाखों रुपए की आमदनी होती है अलवारा झील से मछली बेचे जाने के मामले में नियमों की घोर अनदेखी की जा रही है अलवारा झील की मछली बेचे जाने के मामले में यदि जांच हुई तो कई लोगों के चेहरे बेनकाब होंगे अलवारा झील की कमाई से लोग करोड़ों में खेलने लगे हैं
पर्यटन विभाग ने भी झील के सौंदर्यीकरण की कवायद शुरू की थी लेकिन सौंदर्यीकरण की पत्रावली दम तोड़ती दिख रही है अलवारा झील से बड़ी संभावनाएं हैं और सरकार एक बार अलवारा झील को संरक्षित सुरक्षित करने की योजना को गति देना शुरू कर दे तो सरकार को बदलाबराजस्व का लाभ भी हो सकता है एक बार फिर सामाजिक लोगों ने अलवारा झील की पैमाइश कराने इसे सुरक्षित और संरक्षित किए जाने के साथ-साथ अलवारा झील से होने वाली आमदनी को सरकार के खजाने में जमा करने की मांग की है
*सुशील केसरवानी वरिष्ठ पत्रकार ब्यूरो चीफ अखंड भारत संदेश समाचार पत्र जनपद कौशांबी 9838 8249 38*
[4/19, 17:07] +91 99191 96696: *बार-बार शोषण झेल रहे किसानों का सरकारी खरीद केंद्रों से उठा भरोसा*
*बीस हजार कुंटल प्रतिदिन बाजार में गेंहू आने के बाद खरीद केंद्रों में 5 कुंटल प्रति दिन की औसत हुई खरीददारी*
*कौशाम्बी* सरकारी खरीद केंद्रों में बार-बार किसानों के शोषण कमीशनखोरी का खामियाजा इस बार खरीद केंद्रों में दिखाई पड़ने लगा है जिले में गेहूं खरीद के लिए 8 हाट शाखा 20 पीसीएस के एक एफसीआई और पांच यूपी एस एस के खरीद केंद्र के माध्यम से कुल 34 गेहूं खरीद केंद्र में 44 हजार मैट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा गया है गेहूं खरीद को शुरू हुए 18 दिन बीत चुके हैं लेकिन जिले के 34 खरीद केंद्रों में 18 दिन के बाद 355 मैट्रिक टन गेहूं खरीदा जा सका है जो औसत 5 कुंटल प्रति केंद्र प्रतिदिन का है जबकि भरवारी मंझनपुर कौशांबी अझुवा ओसा सिराथू पश्चिम शरीरा कुमिहियावा बाजार सराय अकिल बाजार मनौरी बाजार चायल सहित विभिन्न बाजारों में प्रतिदिन 20000 कुंतल से अधिक गेहूं किसानों का पहुंच रहा है अकेले ओसा मंडी की बात की जाए तो 2000 कुंटल गेहूं प्रतिदिन व्यापारियों के यहां पहुंच रहा है लेकिन सरकारी खरीद केंद्र में गेहूं ना पहुंचने के पीछे केंद्र प्रभारियों के अत्याचार उजागर हो रहे हैं बीते खरीद सीजन में किसानों के साथ जमकर खरीद केंद्रों में अत्याचार कमीशन खोरी कटौती शोषण किया गया है जिससे सरकारी खरीद केंद्रों से किसान आजिज आ चुके हैं और यदि खरीद केंद्र से कुछ कीमत उन्हें बाजार में कम भी मिलते हैं तो वह सरकारी खरीद केंद्र के शोषण से बचना चाहते है सरकारी खरीद केंद्र में महीनों खुले आसमान के नीचे पड़े रहने के बावजूद किसान के धान की तौल नहीं हो सकी थी इस उत्पीड़न को सोचकर किसान सरकारी केंद्र से दूरी बना रहे हैं टोकन लेने के लिए किसान परेशान थे तौल के बाद उनके उपज में बेखौफ तरीके से कटौती की गई थी महीनों बीत जाने के बाद तमाम किसानों के बैंक खाते में रकम नहीं पहुंच सकी थी बात-बात पर धान खरीद के समय किसानों का अपमान और उनका उत्पीड़न केंद्र प्रभारी कर रहे थे और उत्पीड़न करने वाले केंद्र प्रभारियों का पूरे सीजन जिम्मेदार बचाव करने तक सीमित रहे धान खरीद में बिचौलिए हावी थे खरीद केंद्र प्रभारियों ने उन्हें जमकर वरीयता दी थी जिसके चलते किसानों का शोषण हुआ और शोषित किसान सहकारी केंद्र से दूर भागना चाहते हैं जबकि खरीद केंद्रों में बाजार के मुकाबले किसानों को अधिक कीमत मिल रही है लेकिन शोषण से बचने के लिए किसान कम मूल्य पर बाजार में गेहूं की उपज बेच रहे हैं बीते खरीद सीजन में किसानों के साथ हुए उत्पीड़न के मामले को गंभीरता से लेकर जांच कराई गई तो आने वाले खरीफ सीजन में केंद्रों की स्थिति बेहतर हो सकती है लेकिन कभी भी केंद्र प्रभारियों ने अपनी साख बनाने की कोशिश नहीं की सरकार के नाम पर हमेशा किसानों के साथ छलावा हुआ है और जिम्मेदार अधिकारी किसानों को लूटने वाले केंद्र प्रभारियों पर कार्यवाही करने के बजाय उनके बचाव में उर्जा लगाते दिखाई पड़ते थे जिसका खामियाजा इस खरीद सीजन में देखने को मिल रहा है
*सुशील केसरवानी वरिष्ठ पत्रकार ब्यूरो चीफ अखंड भारत संदेश समाचार पत्र जनपद कौशांबी 9838824938*

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