कौशाम्बी08जून24*हे खग, हे मृग, हे मधुकर श्रेणी…तुम देखी सीता मृगनयनी….?*
*छठवें दिन की कथा में भगवान श्रीराम भरत मिलाप से लेकर सीता हरण, जटायु रावण युद्ध सहित सबरी को नवधा भक्ति का प्रसंग सुनकर लोग हुए द्रवित*
*कौशाम्बी।**सिराथू ब्लॉक के रामपुर धमावा कैमा स्थित त्यागी बाबा कुटी मे सोमवार 3 जून से चल रही साप्ताहिक श्रीरामकथा के छठवें दिन भगवान श्रीराम भरत मिलाप से कथा प्रारंभ हुई।
ननिहाल से अयोध्या लौटे भरत को जैसे ही यह ज्ञात हुआ कि भाई राम और लक्ष्मण माता सीता के साथ वन गमन कर गए हैं उन्हे भारी दुख हुआ और भरत अयोध्यावासियों के साथ भगवान श्रीराम को मानने चित्रकूट पहुंचे जहां राम भरत मिलाप हुआ। राम जी के वापस अयोध्या न जाने पर उनकी खड़ाऊ लेकर भरत जी वापस अयोध्या लौट गए।
इसके कुछ वर्षों बाद भगवान श्रीराम माता सीता एवं भाई लक्ष्मण के साथ नाशिक पंचवटी पहुंचे। पंचवटी में लंकापति रावण की बहन सुर्पनखा ने राम से विवाह की इच्छा जताई। राम के मना करने पर वह लक्ष्मण के पास गई। लक्ष्मण द्वारा उसके नाक कान काट लिए गए जिससे वह क्रुद्ध होकर रावण के दरबार पहुंची और आप बीती बताई।
बहन के अपमान से क्रोधित होकर रावण ने मामा मारीच को सोने का हिरण बनकर सीता को आकर्षित करने का कुचक्र किया।सीताजी ने सोने के हिरण को शिकार कर लाने की राम जी से इच्छा जताई। राम जी सोने के हिरण का शिकार करने चले गए। उनके द्वारा मामा मारीच रूपी सोने के हिरण के वध के उपरांत हा सीते…. हा सीते… की करुण विलाप सुनकर माता सीता ने लक्ष्मण को राम जी की सुध लेने हेतु वन जाने को कहा जिसपर लक्ष्मण ने लक्ष्मण रेखा खींच सीता जी के आज्ञानुसार वन को चले गए।
इस मौके पर साधु का भेष बनाकर लंकापति रावण आया और सीता जी का हरण कर लिया। रावण द्वारा सीता हरण कर आकाश मार्ग से लंका की ओर ले जाते जटायु ने देखा जिसपर सीता जी को रावण से छुड़ाने हेतु जटायु ने रावण से युद्ध किया। इधर जब राम और लक्ष्मण कुटिया वापस आए और सीता जी को कुटिया में नही पाया तो विलाप करते हुए उन्हें खोजने लगे। वे जंगल के जीव जंतु पेड़ पौधों से सीता जी के बारे मे पूंछने लगे हे खग, हे मृग, हे मधुकर श्रेणी. तुम देखी सीता मृगनयनी….?
इसके बाद उन्हें घायल जटायु मिला जिसने लंकापति रावण द्वारा सीता जी के हरण की उन्हे सूचना दी और बताया कि दक्षिण दिशा में लंका की ओर आकाश मार्ग से सीता जी को चुराकर रावण ले गया है। इसके बाद भगवान सबरी आश्रम पहुंचे और सबरी को नवधा भक्ति का ज्ञान दिया। छठवें दिन की कथा सुनकर कथा श्रोता द्रवित हो उठे। इस अवसर पर अजय सोनी, सीताराम केसरी भानु प्रताप सिंह सचिन केसरवानी, प्रशांत केसरी, पवन केसरवानी, राजेश केसरवानी, रवि सिंह आदि मौजूद रहे हैं।
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