[08/10, 19:24] +91 99191 96696: *तालाब पर कब्जे की शिकायत करने के बाद गरीब पर राजस्व का बढ़ा आतंक*
*तहसील अधिकारियों ने योगी सरकार की न्याय प्रणाली पर खड़े कर दिए सवाल*
*प्रधान पति ने सरकारी जमीन पर कब्जा कर कई लोगों को बेचने के बाद खुद भी बनाया सरकारी जमीन पर मकान*
*कौशांबी* सूबे की योगी सरकार में न्याय की बात करना भी गुनाह हो गया है सरकारी जमीनों पर कब्जा कराने के बाद करोड़ों की संपत्ति एकत्रित करने वाले राजस्व निरीक्षक अब नहीं चाहते कि उनके गुनाहों की शिकायत अधिकारी और शासन तक आम जनता करें यदि किसी ने राजस्व निरीक्षक की शिकायत शासन प्रशासन से की तो उस पर कहर बनकर राजस्व निरीक्षक टूट पड़ते हैं आला अधिकारी भी राजस्व निरीक्षकों का पक्ष लेने लगते हैं जिससे गरीब कमजोर मजलूम लोगों के साथ राजस्व निरीक्षकों का आतंक अत्याचार बढ़ जाता है इसी तरह का एक मामला सिराथू तहसील क्षेत्र के सेलरहा पश्चिम गांव का सामने आया है जहां तालाब की सरकारी भूमि संख्या 859 और 777 पर ग्राम प्रधान पति ने कब्जा कर मकान बना लिया है इतना ही नहीं गांव की सरकारी आराजी संख्या 758 की जमीन प्रधान पति ने 3 लोगों को बिक्रय कर दिया है और सरकारी जमीन खरीदने वालों ने पक्के मकान का निर्माण करा लिया है इस मामले की शिकायत गांव की महिला सुखरानिया के पति ने डीएम से लेकर मुख्यमंत्री तक की मामले में जांच शुरू हुई लेखपाल को निलंबित कर सरकारी जमीन खाली कराने के बजाय सुखरनिया की निजी भूमि धरी जमीन आराजी संख्या 748 पर बने मकान को अवैध करार देते हुए उसे 80 हजार रुपए जुर्माने की नोटिस तहसील प्रशासन ने पकड़ा दी है नोटिस पाने के बाद सुखरनिया का पति बेचैन हो उठा है और वह न्याय के लिए अधिकारियों की चौखट पर दौड़ लगा रहा है लेकिन योगी सरकार में उसे न्याय मिलता नहीं दिख रहा है
सेलरहा पश्चिम के राजस्व निरीक्षक का आतंक अत्याचार यहीं नहीं खत्म हुआ है बल्कि सुखरनिया के घर के सामने मेड़बंदी कराकर लेखपाल ने बरसात के पानी को रोक दिया है जिससे उसके घर के सामने 2 फीट गहरा पानी भर गया है पानी भर जाने से आने जाने में गरीब महिला को दिक्कतें हो रही है लेकिन उसके बाद भी राजस्व लेखपाल के अत्याचार पर रोक लगाने लेखपाल को दंडित करने और ग्राम सभा की जमीन को कब्जा कर घर बनाने वाले लोगों पर अभी तक कार्यवाही नहीं हुई है बार-बार शिकायत के बाद तहसील के अधिकारी शिकायतकर्ता पर ही कार्यवाही कर न्याय की आवाज को दबाने का प्रयास कर रहे हैं जिससे उनकी मंशा पर भी सवाल उठने लगे हैं डीएम सीएम आईजीआरएस में शिकायती पत्र देने के बाद भी सुखरनिया को न्याय नहीं मिल सका है जिससे योगी सरकार की न्याय प्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है मामले को यदि योगी सरकार ने संज्ञान लेकर जांच कराई तो तहसील प्रशासन के गुनाहों की कलाई परत दर परत खुलना तय है
[08/10, 19:24] +91 99191 96696: *टेक्निकल डिग्री नही ऑपरेटर के पद पर हो गयी भर्ती*
*सपा बसपा सरकार के कार्यकाल में नगर पंचायत चायल कार्यालय में हुए फर्जीवाड़ा की एक और कहानी*
*कौशाम्बी* फर्जीवाड़ा के मामले में नगर पंचायत चायल हमेशा सुर्खियों में रहा है नगर पंचायत चायल कार्यालय से तीन कैश रसीद बुक गायब किए जाने के डेढ़ दशक बाद भी कैश रसीद बुक न खोजने के मामले में अपनी छीछालेदर करा चुका नगर पंचायत चायल का एक कारनामा इन दिनों फिर सुर्खियों में है नगर पंचायत चायल में पम्प आपरेटर के पद पर जिस कर्मचारी की नियुक्ति अधिकारियों ने की है उस पंप ऑपरेटर के पास आईटीआई या किसी प्रकार की टेक्निकल डिग्री ना होने के बाद भी पंप ऑपरेटर के पद पर दो दशक पूर्व नियुक्ति दे दी गई है अनुभवहीनता के चलते आए दिन नगर पंचायत का पंप खराब हो रहा है और मरम्मत के नाम पर नगर पंचायत के खजाने से बिल वाउचर लगाकर भुगतान कराया जा रहा है सूत्रों की माने तो दो दशक के बीच पंप मरम्मत के नाम पर 20 लाख रुपए से अधिक के बिल बाउचर लगाकर भुगतान कराए जा चुके हैं लेकिन इतने बड़े पैमाने पर धांधली बाजी के बाद भी नगर पंचायत के पंप ऑपरेटर के कारनामे को अधिकारियों ने संज्ञान लेकर प्रकरण की जांच करा कर धांधले बाजी को रोकने का प्रयास नहीं किया है जिससे आपरेटर की मर्जी बेखौफ जारी है सूत्रों की माने तो पंप मरम्मत के बहाने आए दिन फर्जी बिल वाउचर लगाए जा रहे हैं जिन बिल वाउचर में भुगतान किए गए है तमाम ऐसे दुकानदारों के बिल वाउचर भी लगाए गए हैं जिन दुकानदारों के पास जीएसटी का रजिस्ट्रेशन भी नहीं है लेकिन फिर भी उनके बिल वाउचर लगाकर भुगतान कर दिया गया है पंप मरम्मत के नाम पर किए गए भुगतान की जांच कराई गई तो बड़ा गड़बड़झाला उजागर होना तय है लेकिन क्या नगर पंचायत में चल रहे भ्रष्टाचार के इस खेल की जांच कराकर अधिकारी पंप ऑपरेटर के कारनामे को उजागर करेंगे
सवाल उठता है कि पंप ऑपरेटर के पद पर कम पढ़े लिखे व्यक्ति की नियुक्ति कैसे की गई है तत्कालीन अधिकारियों ने कानून नियम और शासनादेश की धज्जियां क्यो उड़ाई हैं उनका क्या स्वार्थ था चर्चाओं पर जाए तो रिश्तेदार होने के नाते एक अधिकारी ने निजी लाभ के चलते पंप ऑपरेटर की नियुक्ति में नियम कायदे को दरकिनार कर कम पढ़े लिखे रिश्तेदार को ऑपरेटर के पद पर नियुक्ति दे दी है जो बड़ी जांच का विषय है यदि पंप ऑपरेटर की नियुक्ति में फर्जी बाड़े की अधिकारियों ने जांच कराई तो नियुक्ति के फर्जीवाड़े का खुलासा होना तय है नगर के लोगों ने पूर्व में कई बार फर्जी नियुक्ति की शिकायत जिले से लेकर शासन स्तर तक की लेकिन उसके बाद भी पंप ऑपरेटर का बाल बांका नहीं हो सका जांच की पत्रावली में हेराफेरी कर जांच निस्तारित कर दी जाती है पंप ऑपरेटर की नियुक्ति के मामले में शासनादेश के नियमों को संज्ञान लेते हुए शिकायती पत्रों का निस्तारण किया गया तो पंप ऑपरेटर को नियुक्ति देने वाले अधिकारी और पंप ऑपरेटर दोनों की मुसीबत बढ़ना तय है एक बार फिर नगर के लोगों ने सूबे की योगी सरकार का ध्यान आकृष्ट कराते हुए पूर्व की सपा बसपा सरकार में फर्जी तरीके से पंप ऑपरेटर की नियुक्ति की जांच कराए जाने और फर्जीवाड़ा करने वाले दोषियों को दंडित किए जाने की मांग की है
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