कौशाम्बी06अगस्त*एदिलपुर में बिना नाला निर्माण के सामग्री खरीद पर निकल गयी 33 लाख की रकम*
*मनरेगा योजना से नाला का निर्माण ना होने पर शिकायत के बाद आनन-फानन में जेसीबी से खोदा गया नाला*
*बिना नाला निर्माण कराए मनरेगा योजना से मजदूरों की फर्जी हाजिरी भरकर निकाली गई 25 लाख रुपए लगभग की रकम*
*कौशाम्बी* भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों पर मुकदमा दर्ज कराकर सरकारी रकम की रिकवरी कराए जाने और भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों की गिरफ्तारी कराए जाने के बजाय भ्रष्टाचारियों को किस तरह से संरक्षण दिया जा रहा है इसका जीता जागता उदाहरण मंझनपुर विकासखंड क्षेत्र के एदिलपुर ग्राम पंचायत में देखा जा सकता है बीते वर्ष सरकारी खजाने से सामग्री के नाम पर 33 लाख और मजदूरों के नाम पर 25 लाख लगभग की रकम निकल जाने के बाद नाला का निर्माण ना होने पर ग्रामीणों द्वारा बार-बार शिकायत के बाद भी 58 लाख की रकम गबन करने वाले ग्राम प्रधान और पंचायत सचिव पर आला अधिकारियों ने मुकदमा दर्ज कराकर भ्रष्टाचारियों की गिरफ्तारी नहीं कराई है 58 लाख की रकम डकार जाने वाले भ्रष्टाचारियों से सरकारी रकम की रिकवरी कराने के बजाए हो हल्ला मचाए जाने के बाद उन्हें संरक्षण देकर 1 वर्ष बाद नाला निर्माण पूर्ण करने का अवसर दिया जा रहा है जबकि सरकारी अभिलेखों में यह नाला बीते वर्ष पूर्ण हो चुका है और तमाम अधिकारियों ने शासन को नाला पूर्ण की झूठी रिपोर्ट भी भेजी है शिकायत के बाद आनन-फानन में नाला निर्माण पूर्ण करा कर भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने का प्रयास शुरू हो गया है जिससे भ्रष्टाचारी जेल जाने से बच जाएं आखिर भ्रष्टाचारियों को बचाव का रास्ता देने वाले अधिकारियों को इन भ्रष्टाचारियों से क्या लगाव है कहीं 58 लाख की इस रकम के भ्रष्टाचार में विकास भवन और विकास खंड कार्यालय के अधिकारी तो हिस्सेदार नहीं है यह भी एक बड़ी जांच का विषय है
गौरतलब है कि मंझनपुर विकासखंड क्षेत्र के एदिल पुर ग्राम पंचायत में नाला निर्माण के लिए बीते वर्ष मनरेगा योजना से सामग्री खरीदने के लिए 33 लाख रुपए की रकम स्वीकृत हुई थी नाला निर्माण में मजदूरों की मजदूरी की रकम लगभग 25 लाख अतिरिक्त थी अभिलेखों में नाला निर्माण पूर्ण दिखाकर पंचायत के जिम्मेदारों ने रकम निकाल लिया नाला निर्माण में फर्जी मजदूरों के नाम पर मजदूरी का भुगतान भी कर दिया गया अभिलेखों में बीते वर्ष नाला पूर्ण हो चुका है लेकिन मौके पर नाला का निर्माण नहीं हुआ जिस पर ग्रामीणों ने हो हल्ला मचाया अधिकारियों से शिकायत करने के बाद ग्रामीणों ने दोषियों पर कार्रवाई की मांग की लेकिन जांच के नाम पर दोषियों को बचाने का खेल शुरू हो गया है भ्रष्टाचारियों पर मुकदमा दर्ज करा कर गिरफ्तारी कराने और रिकवरी कराने के बजाय उन्हें नाला निर्माण पूर्ण करने का अवसर दिया जा रहा है ग्रामीणों की शिकायत के बाद नाला का निर्माण एक वर्ष बाद शुरू कर दिया गया है मनरेगा योजना से बनाए जा रहे इस नाले की खुदाई में जेसीबी मशीन का प्रयोग किया गया है आखिर जिन मजदूरों के नाम पर मजदूरी निकाली गई है उन मजदूरों से बिना काम कराए फर्जी मजदूरी निकालने के मामले में भी अधिकारी गंभीर नहीं हुए हैं जब जेसीबी मशीन से नाला की खुदाई की गई है तो जिन मजदूरों के नाम पहले मजदूरी निकाल ली गई है उन मजदूरों से कहां काम कराए गए हैं इस बात का भी उत्तर अधिकारियों के पास नहीं है सूत्रों की माने तो फर्जी तरीके से नाला निर्माण में 25 लाख रुपए से अधिक की रकम मजदूरों के नाम मनरेगा योजना से भुगतान कराया जा चुका है खुलेआम भ्रष्टाचार के मामले में अधिकारियों का कठोर निर्णय ना करना योगी सरकार की छवि पर बदनुमा धब्बा लग रहा है नाला निर्माण के इस घोटाले में यदि शासन स्तर से उच्च स्तरीय जांच हुई तो विकास भवन और विकास खण्ड कार्यालय मंझनपुर के कई अधिकारियों की गर्दन फंस सकती है लेकिन क्या योगीराज में इस भ्रष्टाचार की निष्पक्ष जांच हो पाएगी और दोषियों को दंड मिलेगा
ई
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