November 22, 2024

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कानपुर19जनवरी*भागवत कथा सम्पन्न यज्ञ आहुति कर भंडारे का आयोजन

कानपुर19जनवरी*भागवत कथा सम्पन्न यज्ञ आहुति कर भंडारे का आयोजन

कानपुर19जनवरी*भागवत कथा सम्पन्न यज्ञ आहुति कर भंडारे का आयोजन

मोनू कुशवाहा/संवाददाता

कानपुर। बिल्हौर शिवराजपुर क्षेत्र के भैसऊ गांव में प्राचीन शिव मंदिर में चल रही भागवत कथा बुधवार को संपन्न हो गई। कथा के समापन के बाद गुरुवार को हवन यज्ञ और भंडारे का आयोजन किया गया।भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने पहले हवन यज्ञ में आहुति डाली और फिर प्रसाद ग्रहण किया भागवत कथा का आयोजन ग्रामीणों द्वारा चंदे से करवाया गया था कथा वाचक ममता शास्त्री ने 7 दिन तक चली कथा में भक्तों को श्रीमद भागवत कथा की महिमा बताई।उन्होंने लोगों से भक्ति मार्ग से जुड़ने और सत्कर्म करने को कहा। उन्होंने कहा कि हवन-यज्ञ से वातावरण एवं वायुमंडल शुद्ध होने के साथ-साथ व्यक्ति को दिव्य शक्ति आत्मिक बल मिलता है। व्यक्ति में धार्मिक आस्था जागृत होती है। दुर्गुणों की बजाय सद्गुणों के द्वार खुलते हैं। यज्ञ से देवता प्रसन्न होकर मनवांछित फल प्रदान करते हैं भागवत कथा के श्रवण से व्यक्ति भव सागर से पार हो जाता है। श्रीमद भागवत से जीव में भक्ति ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न होते हैं। इसके श्रवण मात्र से व्यक्ति के पाप पुण्य में बदल जाते हैं। विचारों में बदलाव होने पर व्यक्ति के आचरण में भी स्वयं बदलाव हो जाता है। कथावाचक ममता शास्त्री ने भंडारे के प्रसाद का भी वर्णन किया। उन्होंने कहा कि प्रसाद तीन अक्षर से मिलकर बना है। पहला (प्र) का अर्थ प्रभु, दूसरा (सा) का अर्थ साक्षात व तीसरा (द)का अर्थ दर्शन होता है। जिसे हम सब प्रसाद कहते हैं। हर कथा या अनुष्ठान का तत्वसार होता है जो मन बुद्धि व चित को निर्मल कर देता है। मनुष्य का शरीर भी भगवान का दिया हुआ सर्वश्रेष्ठ प्रसाद है। जीवन में प्रसाद का अपमान करने से भगवान का ही अपमान होता है। भगवान का लगाए गए भोग का बचा हुआ शेष भाग मनुष्यों के लिए प्रसाद बन जाता है। कथा समापन के बाद गुरुवार दोपहर तक हवन और भंडारा चलता रहा।

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