September 20, 2024

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कानपुर नगर14सितम्बर24‘मौत के कारणों के विश्लेषण से अनुसंधान और नीति निर्माण को मिलेगा बल’’

कानपुर नगर14सितम्बर24‘मौत के कारणों के विश्लेषण से अनुसंधान और नीति निर्माण को मिलेगा बल’’

कानपुर नगर14सितम्बर24‘मौत के कारणों के विश्लेषण से अनुसंधान और नीति निर्माण को मिलेगा बल’’

“कानपुर को मृत्यु के कारणों के चिकित्सकीय प्रमाणन (एमसीसीडी) मॉडल बनाने की पहल”

“चिकित्सकों का मृत्यु के कारणों के संबंध में किया गया क्षमता संवर्धन”

कानपुर, 14 सितंबर 2024
मौत के कारणों के आंकड़ों का विश्लेषण कर अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाएगा और इसके जरिये समुदाय के स्वास्थ्य हित में नीति निर्माण भी होगा । इसी कड़ी में चिकित्सकों का क्षमता संवर्धन किया जा रहा है ताकि संस्थागत मौत के कारणों की गुणवत्तापूर्ण रिपोर्टिंग हो सके। चिकित्सकीय प्रमाणन (एमसीसीडी) के इस कार्य में जीएसवीएम कॉलेज, कानपुर एक मॉडल बन सके, इसके लिए चिकित्सकों का क्षमता संवर्धन किया जाएगा । इसकी शुरूआत मास्टर ट्रेनर्स और मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों के प्रशिक्षण के साथ गुरूवार को जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज परिसर से कर दी गयी। प्रशिक्षण का आयोजन एलटी-4
में किया गया ।

स्वास्थ्य विभाग और टाटा कैंसर इंस्टीट्यूट ने भारत सरकार के गृह मंत्रालय के जनगणना कार्य निदेशालय के सहयोग से इस प्रशिक्षण की शुरूआत की। शुभारंभ जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ संजय काला, प्रोफेसर संतोष बर्मन एवम ए के सिंह सोमवंशी , संयुक्त निदेशक ने किया।

डॉ संजय काला ने उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा कि मृत्यु के कारणों का चिकित्सकीय प्रमाणन जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 (यथा संशोधित 2023) के अन्तर्गत किया जाता है। मृतक की अंतिम परिचर्या करने वाले प्रत्येक चिकित्सक के द्वारा मृत्यु के कारण का प्रमाणन किया जाना अनिवार्य है और इसकी प्रति भी सरकारी प्रावधानों के अनुसार मृतक के परिजन को देनी है। यह प्रमाणन फॉर्म विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा निर्धारित प्रारूप के अनुरूप ही हैं। प्रदेश के सभी सरकारी अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज जन्म-मृत्यु पंजीकरण रजिस्ट्रार के रूप में अधिसूचित हैं।

डॉ काला ने कहा कि मृत्यु के कारणों का चिकित्सकीय प्रमाणन भी मृत्यु पंजीकरण की प्रकिया का हिस्सा है। वर्तमान में जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण का समस्त कार्य ऑनलाइन वेब पोर्टल से ही किया जा रहा है । मृत्यु पंजीकरण के समय ही मृत्यु के कारण की डेटा एंट्री भी ऑनलाइन पोर्टल पर कर दी जाती है। राष्ट्रीय स्तर पर पोर्टल से प्राप्त आँकड़ों के आधार पर भारत के महारजिस्ट्रार कार्यालय द्वारा मृत्यु के कारणों की रिपोर्ट जारी की जाती है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस कार्य में कानपुर प्रदेश के सामने मॉडल के रूप में प्रस्तुत होगा।

 

डॉ संतोष बर्मन ने इस मौके पर कहा कि मृत्यु के कारण के आंकड़ों का एकत्रीकरण नीति निर्माण में अहम भूमिका निभाता है। मृत्यु के कारणों का पता लगाना और प्रमाणीकरण हमारे व्यावसायिक दक्षता को भी बढ़ाता है । इससे अनुसंधान और नवाचार को भी बढ़ावा मिलता है । यह प्रशिक्षण इस दिशा में दक्षता बढ़ाने के लिए काफी उपयोगी सिद्ध होगा।

इस मौके पर संयुक्त निदेशक जनगणना कार्य निदेशालय ए के सिंह सोमवंशी ने कहा है कि वर्ष 2018 में जहां प्रदेश में 38% मृत्यु पंजीकरण होता था, वहीं पिछले 3 वर्षों में यूपी में 72% तक मृत्यु पंजीकरण में सुधार हुआ है। राज्य साल दर साल अपने पंजीकरण में सुधार कर रहा है। पिछले 3 सालों में यूपी को मॉडल राज्य के रूप में विकसित किया गया है और अन्य राज्य भी हमारे मॉडल का अनुसरण कर रहे हैं।

टाटा कैंसर अस्पताल के ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ बुरहान और डॉ शरवरी के साथ साथ सहायक निदेशक डॉ गौरव पाण्डेय ने चिकित्सकों को प्रशिक्षित किया । प्रशिक्षण में मेडिकल कॉलेज के सीनियर और जूनियर चिकित्सकों के अलावा फैकल्टी मेंबर भी मास्टर ट्रेनर के तौर पर शामिल हुए ।
कार्यक्रम की समाप्ति पर डॉ समरजीत कौर ने धन्यवाद ज्ञापन किया ।

*एमसीसीडी को जानिये*

जन्म और मृत्यु के पंजीकरण की प्रणाली के तहत, महत्वपूर्ण सांख्यिकी प्रणाली के एक अभिन्न अंग के रूप में मृत्यु के कारण के चिकित्सा प्रमाणन (एमसीसीडी) की योजना का उद्देश्य कारण-विशिष्ट मृत्यु दर आंकड़े तैयार करने के लिए एक विश्वसनीय और अस्थायी डेटाबेस प्रदान करना है। भारत का नई दिल्ली स्थित महारजिस्ट्रार का कार्यालय, जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 के तहत विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के जन्म और मृत्यु के मुख्य रजिस्ट्रार से मृत्यु के कारणों पर डेटा प्राप्त करता है। जन्म और मृत्यु पंजीकरण (आरबीडी) अधिनियम, 1969 (2023 में संशोधित) के 10(2) और 10(3) के अंतर्गत संस्थागत मृत्यु के लिए आवश्यक डेटा संबंधित अस्पताल अधिकारियों द्वारा भरे गए निर्धारित प्रारूप (फॉर्म नंबर 4) में एकत्र किया जाना अनिवार्य है । गैर-संस्थागत मृत्यु के लिए एक अलग फॉर्म नंबर 4ए निर्धारित किया गया है, जिस पर उपचार करने वाले चिकित्सकों/डॉक्टरों द्वारा सूचना भरी जाती है। एमसीसीडी का अनुपालन न करने की स्थिति में धारा 23 के तहत दंड का भी प्रावधान है। इन आंकड़ों के आधार पर ही स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न योजनाएं बनाई जाती हैं।

*संशोधन से बदला प्रावधान*

सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 की अवधि के दौरान मृतकों के परिजनों को मृत्यु के कारण के प्रपत्र की प्रति उपलब्ध कराने का आदेश दिया। पहले अधिनियम में मृत्यु के कारण के प्रपत्र का एक भाग परिजनों को देने का प्रावधान था, लेकिन इस भाग में मृत्यु का कारण नहीं लिखा होता था। इस सम्बन्ध में संशोधन 2023 के जरिये, मृत्यु के कारण के विधिवत भरे हुए फॉर्म की प्रति मृतक के निकटतम रिश्तेदार को अंतिम उपचार करने वाले चिकित्सक द्वारा निःशुल्क प्रदान की जाएगी।

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