January 11, 2025

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कानपुर नगर10जनवरी25*विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर आयोजित किया गया "अभिनन्दन कार्यक्रम"।

कानपुर नगर10जनवरी25*विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर आयोजित किया गया “अभिनन्दन कार्यक्रम”।

कानपुर नगर10जनवरी25*विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर आयोजित किया गया “अभिनन्दन कार्यक्रम”।

कानपुर नगर से नूर आलम की खास खबर यूपीआजतक।

राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर में विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर एक नई परंपरा का आरंभ करते हुये अभिनंदन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर ने प्रतिवर्ष विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर नगर के हिंदी सेवियों को सम्मानित किये जाने का निर्णय लिया है। इसी कड़ी में इस वर्ष दि. 10.1.2025 को संस्थान में आयोजित कार्यक्रम में हिंदी साहित्य साधना में वर्षों से अपनी कविताओं और कहानियों के माध्यम से सराहनीय योगदान दे रहीं डॉ.कमल मुसद्दी का सम्मान संस्थान की निदेशक, प्रो.सीमा परोहा द्वारा किया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ हिंदी सेवी श्री जगदीश नारायण सिंह ने अपनी विशिष्ट उपस्थिति से कार्यक्रम की गरिमा बढाई। संस्थान की निदेशक प्रो.परोहा द्वारा शाल एवं पुस्तक भेंटकर श्री जगदीश नारायण सिंह का अभिनंदन किया गया।
उपस्थित जन का स्वागत करते हुये श्रीमती मल्लिका द्विवेदी, सहायक निदेशक (राजभाषा) ने प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन 10 जनवरी, 1975 में मनाये जाने के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाये जाने के ऐतिहासिक क्रम पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर आयोजित अभिनंदन समारोह में संस्थान में कार्यरत लगभग 60 से अधिक कार्मिक उपस्थित रहे। मां वीणापाणि को माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के उपरांत कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुये संस्थान की निदेशक, प्रो.सीमा परोहा ने यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी का संदेश पढ़ते हुये कहा कि देवभाषा की सगी बहन हिंदी अब वैश्विक सीमाओं को लांघकर विश्व भाषा बनने की ओर अग्रसर है। हिंदी विश्व के लगभग सभी भागों में बोली और समझी जाती है। विश्व व्यापार में भी इसका बड़ा योगदान है। चीनी और अंग्रेजी के बाद विश्व में सबसे ज्यादा बोली और समझी जाने वाली भाषा हिंदी में विश्वभाषा बनने के सभी गुण हैं। वह दिन दूर नहीं जब हमारी हिंदी विश्वभाषा घोषित की जायेगी। विश्व हिंदी दिवस मनाना इसकी शुरूआत है।
हिंदी की कवयित्री डॉ.कमल मुसद्दी ने कहा कि विश्व में सबसे ज्यादा साहित्य अगर किसी भाषा में है तो वह हिंदी ही है। सबसे ज्यादा फिल्में आज अगर बनती हैं या देखी जाती हैं तो वो हिंदी फिल्में हैं। बहुत सारे हिंदी गाने विश्व के अनेक भू भागों में हिंदी और अहिंदी भाषियों द्वारा गुनगुनाये जाते हैं। हिंदी में मौजूद सरसता इसको सर्वव्यापकता का गुण प्रदान करती है। डॉ.मुसद्दी ने अपनी सारगर्भित रचनाओं से उपस्थित जन को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से श्री एस.के.त्रिवेदी, श्री अशोक कुमार गर्ग, डॉ.अशोक कुमार, डॉ.विनय कुमार, डॉ.अनंत लक्ष्मी रंगराजन, श्री मिहिर मंडल, श्री संजय चौहान, श्री अनूप कुमार कनौजिया, श्री वीरेन्द्र कुमार, डॉ.सुधांशु मोहन, श्री बृजेश कुमार साहू, डॉ.लोकेश बाबर, श्री अखिलेश कुमार पांडे, श्री सुनीत कपूर, श्री योगेश श्रीवास्तव, श्री दया शंकर मिश्र आदि वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन श्रीमती मल्लिका द्विवेदी, सहायक निदेशक (राजभाषा) ने किया एवं समारोह में शामिल संस्थान कर्मियों एवं विद्वान वक्ता का आभार व्यक्त करते हुये धन्यवाद ज्ञापित किया।

( अखिलेश कुमार पाण्डेय )
मुख्य अभिकल्पक
मो. 9984364957

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