May 9, 2025

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कानपुर नगर07फरवरी25*विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र*

कानपुर नगर07फरवरी25*विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र*

कानपुर नगर07फरवरी25*विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र*

 

*बिजली कर्मियों का प्रदेश व्यापी विरोध प्रदर्शन जारी : हटाये गये संविदा कर्मियों को तत्काल बहाल किये जाने की मांग : पावर कारपोरेशन प्रबन्धन पर औद्योगिक अशान्ति फैलाने का आरोप :*

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के आह्वान पर आज बिजली कर्मियों ने समस्त जनपदों एवं परियोजना मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन जारी रखा। संघर्ष समिति ने पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन पर ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशान्ति का वातावरण बनाने का आरोप लगाते हुए मांग की है कि हटाये गये समस्त संविदा कर्मियों को तत्काल नौकरी में वापस लिया जाये और हटाये जाने का आदेश निरस्त किया जाये।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, पी.के.दीक्षित, सुहैल आबिद, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, देवेन्द्र पाण्डेय, आर बी सिंह, राम कृपाल यादव, मो वसीम, मायाशंकर तिवारी, राम चरण सिंह, मो इलियास, श्रीचन्द, सरजू त्रिवेदी, योगेन्द्र कुमार, ए.के. श्रीवास्तव, के.एस. रावत, रफीक अहमद, पी एस बाजपेई, जी.पी. सिंह, राम सहारे वर्मा, प्रेम नाथ राय, विशम्भर सिंह एवं राम निवास त्यागी ने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के पहले संविदा कर्मियों को हटाकर भय का वातावरण बनाया जा रहा है जो ऊर्जा निगमों की स्वस्थ्य कार्य प्रणाली पर विपरती प्रभाव डाल रहा है।
उन्होंने कहा कि निजीकरण के बाद दिल्ली में एक साल के अन्दर-अन्दर लगभग 50 प्रतिशत कर्मचारियों को वीआरएस लेने के लिए मजबूर कर दिया गया था। इसी प्रकार 01 फरवरी को चंडीगढ़ विद्युत विभाग का निजीकरण करने के पहले 200 से अधिक बिजली कर्मियों को वीआरएस लेने के लिए बाध्य किया गया। यह संख्या कुल बिजली कर्मियों की संख्या का लगभग आधा है। संघर्ष समिति ने कहा कि उप्र में भी इसी तर्ज पर निजीकरण के पहले संविदा कर्मियों को बड़े पैमाने पर हटाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नियमित कर्मचारियों को भलीभांति पता है कि निजीकरण के पहले बड़े पैमाने पर नियमित कर्मचारियों को भी हटाया जायेगा अथवा उन्हें वीआरएस लेने के लिए मजबूर किया जायेगा।
संघर्ष समिति ने कहा कि अकेले पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में लगभग 50 हजार संविदा कर्मियों और 26 हजार नियमित कर्मचारियों पर छंटनी की तलवार लटकी हुई है। संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली कर्मी किसी भी कीमत पर निजीकरण स्वीकार नहीं करेंगे। निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मी निर्णायक संघर्ष के लिए तैयार है। विरोध प्रदर्शन का कार्यक्रम 07 फरवरी को भी जारी रहेगा।
आज वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, मथुरा, झांसी, बांदा, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या, सुल्तानपुर, हरदुआगंज, पारीछा, जवाहरपुर, पनकी, हरदुआगंज, ओबरा, पिपरी और अनपरा में विरोध प्रदर्शन किए गए।

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