कानपुर देहात16अक्टूबर25*फसल अवशेष जलाये जाने से प्रदूषण की रोकथाम हेतु जिलाधिकारी ने गठित किया सेल*
*पराली जलाने पर दोगुना जुर्माना, किसानों को मिलेंगे अनुदान पर आधुनिक यंत्र*
फसलों के अवशेष जलाये जाने से हो रहे वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए जिलाधिकारी कपिल सिंह ने जनपद स्तर पर निगरानी सेल का गठन किया है। यह सेल प्रतिदिन अनुश्रवण कर पराली जलाने की घटनाओं पर तत्काल कार्यवाही सुनिश्चित करेगा। जिलाधिकारी ने बताया कि प्रत्येक ग्राम के ग्राम प्रधान और लेखपाल यह सुनिश्चित करेंगे कि अपने क्षेत्र में किसी भी दशा में पराली या कृषि अपशिष्ट न जलाया जाए। कृषकों को पराली जलाने से मिट्टी, जलवायु एवं मानव स्वास्थ्य को होने वाली हानियों के प्रति जागरूक किया जाएगा। पराली जलाने की घटना पाए जाने पर संबंधित व्यक्ति के विरुद्ध दण्डात्मक कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने बताया कि इन-सीटू योजनान्तर्गत फसल अवशेष प्रबंधन के लिए हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, मल्चर, बेलिंग मशीन, पैडी स्ट्रा चॉपर आदि यंत्र किसानों को उपलब्ध कराए जा रहे हैं। व्यक्तिगत कृषकों को 50 प्रतिशत अनुदान एवं एफपीओ/ग्रामीण उद्यमियों को कस्टम हायरिंग सेंटर हेतु 80 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जाएगा। धान की कटाई में अब सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम (Super SMS) युक्त कम्बाइन हार्वेस्टर का प्रयोग अनिवार्य होगा। बिना सुपर एसएमएस वाले हार्वेस्टर पाये जाने पर मशीन को सीज किया जाएगा।जिलाधिकारी ने बताया कि पराली प्रबंधन हेतु बायो डिकम्पोजर का प्रयोग सफल रहा है। वर्ष 2024-25 में 5000 बायो डिकम्पोजर बोतलों का निःशुल्क वितरण किया गया था, जिसे इस वर्ष और व्यापक स्तर पर जारी किया जाएगा। यह उपाय मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के साथ पराली जलाने की घटनाओं में कमी लाने में सहायक सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि “पराली दो – खाद लो” कार्यक्रम को इस वर्ष सभी विकास खंडों में लागू किया जाएगा। इससे किसानों को जैविक खाद प्राप्त होगी और गौशालाओं के लिए चारे की समस्या भी दूर होगी। पराली जलाने पर पर्यावरणीय प्रतिकर (अर्थदंड) में वृद्धि करते हुए इसे दोगुना किया गया है — 2 एकड़ से कम क्षेत्र के लिए ₹5000, 2 से 5 एकड़ के लिए ₹10000, 5 एकड़ से अधिक क्षेत्र के लिए ₹30000 तक का जुर्माना लगाया जाएगा। अंत में जिलाधिकारी ने सभी विभागों को निर्देशित किया कि शीर्ष प्राथमिकता के आधार पर फसल अवशेष प्रबंधन की कार्ययोजना का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करें, ताकि जनपद में किसी भी स्तर पर पराली जलाने की घटना न हो और वायु प्रदूषण को प्रभावी रूप से नियंत्रित किया जा सके।
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