November 22, 2024

UPAAJTAK

TEZ KHABAR, AAP KI KHABAR

औरैया27नवम्बर2022*चंबल के बीहड़ों में अब तैयार हो रहे फल*

औरैया27नवम्बर2022*चंबल के बीहड़ों में अब तैयार हो रहे फल*

औरैया27नवम्बर2022*चंबल के बीहड़ों में अब तैयार हो रहे फल*

*बागवानी कर रहे किसान, लोगों को मिल रहे रोजगार के अवसर*

*अजीतमल,औरैया।* अजीतमल में चंबल का बीहड़ कभी डकैतों की शरणस्थली के रूप में जाना जाता था। अब यहां पर किसान फल उगा रहे हैं। किसान फलों के पौधे लगाकर नए दौर की शुरुआत कर चुके हैं।इलाके के किसान अनार ,केला आम जैसे फलों की पैदावार कर रोजगार के अवसर ढूंढ चुके हैं। सदर ब्लाक के सेंगनपुर गांव के किसान ने बीहड में फलों की अच्छी पैदावार कर एक नए दौर की शुरुआत की है।पंचनद के बीहड़ में जन्मे उन्नतशील किसान विजय सिंह राजपूत ने उम्मीदों की राह दिखाई है। विजय सिंह ने बबूल की कंटीली छाती को चीरकर खेतों में मौसमी फलों के पेड़ लगाए हैं। किसान विजय सिंह भी ऐसा कर रहे हैं। बागवानी के शौक के लिए बीहड़ के दुर्गम कंटीली पथरीली उबड़ खाबड़ जमीन को चीरकर मौसमी फलों को उगा डाला। चम्बल यमुना की घाटी में बसे गांव सेंगनपुर में जन्मे विजय राजपूत की शिक्षा ग्रामीण परिवेश में हुई। शुरू से ही नए नए प्रयोगों का जुनून ने उन्हें बागवानी का शौकीन बना दिया।किसान अजय ने अपनी निजी भूमि पर विलायती बबूल और झाड़ियों को साफ कर केला, अनार, नीबू, सन्तरा और मौसमी के पौधे रोपे। रात दिन की कड़ी मेहनत के बल पर कम समय मे ही फलों को उगा कर साबित कर दिया कि मेहनत और लगन से सब कुछ सम्भव है।चम्बल यमुना, सिंध, पहुज और क्वारी नदियों के संगम किनारे फैला दुर्गम बीहड़ हुआ करता था। कभी भी यहां की जमीन खेती के लिए मुफीद नहीं रही। भौगोलिक विषमताएं और विलायती सहित कटीली झांड़ियां जमीन की उर्वरा शक्ति को खींच लेती हैं। पूर्व में दस्युओं के आतंक से किसान यहां जाने की हिम्मत नहीं कर पाते थे। परिणामस्वरूप जरूरतों को पूरा करने लोग शहरों की ओर पलायन कर गए। ऐसे में बंजर होती गई। राष्ट्रीय राजमार्ग से 6 किलोमीटर दूरी पर सेंगनपुर गांव के समीप स्थित बीहड़ में किसान विजय अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं।

About The Author

Copyright © All rights reserved. | Newsever by AF themes.