June 25, 2025

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औरैया18नवम्बर24*नंद जू के अंगना में पड़ रही आज बधाई पर जमके थिरके भक्त गण।*

औरैया18नवम्बर24*नंद जू के अंगना में पड़ रही आज बधाई पर जमके थिरके भक्त गण।*

औरैया18नवम्बर24*नंद जू के अंगना में पड़ रही आज बधाई पर जमके थिरके भक्त गण।*

बिधूना(औरैया):- औरैया जनपद के नगर बिधूना में किशनी रोड स्थित जाहरवीर बाबा के मन्दिर में चल रही श्रीमद् भागवत के चतुर्थ दिवस की कथा में सरस कथा वाचक पंडित राजेश व्यास जी के मुखार बिंदु से श्री कृष्ण के जन्मोत्सव की कथा को सुन श्रोतागण भाव विभोर हो गए और उनके जन्मोत्सव पर भक्ति गानों व बधाई गीतों पर परीक्षित माला चुनमुन गुप्ता सहित भक्तगणों ने खूब जमकर नृत्य किया।भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि की घनघोर अंधेरी आधी रात को रोहिणी नक्षत्र में मथुरा के कारागार में वसुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। यह तिथि उसी शुभ घड़ी की याद दिलाती है और सारे देश में बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है।
‘ द्वापर युग में भोजवंशी राजा अग्रसेन मथुरा में राज्य करता था। उसके आततायी पुत्र कंस ने उसे गद्दी से उतार दिया और स्वयं मथुरा का राजा बन बैठा। कंस की एक बहन देवकी थी, जिसका विवाह वसुदेव नामक यदुवंशी सरदार से हुआ था। जब कंस अपनी बहन देवकी को उसकी ससुराल पहुंचाने जा रहा था।रास्ते में आकाशवाणी हुई- ‘हे कंस, जिस देवकी को तू बड़े प्रेम से ले जा रहा है, उसी में तेरा काल बसता है। इसी के गर्भ से उत्पन्न आठवां बालक तेरा वध करेगा।’ यह सुनकर कंस वसुदेव को मारने के लिए उद्यत हुआ लेकिन तब देवकी ने उससे विनयपूर्वक कहा- ‘मेरे गर्भ से जो संतान होगी, उसे मैं तुम्हारे सामने ला दूंगी। बहनोई को मारने से क्या लाभ है?’
कंस ने देवकी की बात मान ली और मथुरा वापस चला आया। उसने वसुदेव और देवकी को कारागृह में डाल दिया और वसुदेव-देवकी के एक-एक करके सात बच्चे हुए और सातों को जन्म लेते ही कंस ने मार डाला। अब आठवां बच्चा होने वाला था तब कंस ने कारागार में उन पर और कड़े पहरे को बैठा दिए गए। उसी समय नंद की पत्नी यशोदा को भी बच्चा होने वाला था। उन्होंने वसुदेव-देवकी के दुखी जीवन को देख आठवें बच्चे की रक्षा का उपाय रचा। जिस समय वसुदेव-देवकी को पुत्र पैदा हुआ, उसी समय संयोग से यशोदा के गर्भ से एक कन्या का जन्म हुआ, जो और कुछ नहीं सिर्फ ‘माया’ थी। पं राजेश व्यास जी आगे बताते है जिस कोठरी में देवकी-वसुदेव कैद थे, उसमें उनके सामने शंख,चक्र, गदा, पद्म धारण किए चतुर्भुज भगवान प्रकट हुए। देवकी-वसुदेव भगवान के चरणों में गिर कर विलाप करने लगें।तब भगवान ने पुनः नवजात शिशु का रूप धारण कर लिया। भगवान ने देवकी से कहा तुम मुझे इसी समय अपने मित्र नंदजी के घर वृंदावन में भेज आओ और उनके यहां जो कन्या जन्मी है,उसे लाकर कंस के हवाले कर दो। इस समय वातावरण अनुकूल नहीं है। फिर भी तुम चिंता न करो। जागते हुए पहरेदार सो जाएंगे,कारागृह के फाटक अपने आप खुल जाएंगे और उफनती अथाह यमुना तुमको पार जाने का मार्ग दे देगी।’उसी समय वसुदेव नवजात शिशु-रूप श्रीकृष्ण को सूप में रखकर कारागृह से निकल पड़े और अथाह यमुना को पार कर नंदजी के घर पहुंचे। वहां उन्होंने नवजात शिशु (भगवान श्री कृष्णा)को यशोदा मैया के साथ सुला दिया और कन्या को लेकर मथुरा आ गए। कारागृह के फाटक पूर्ववत बंद हो गए।अब कंस को सूचना मिली कि वसुदेव-देवकी को बच्चा पैदा हुआ है।उसने बंदीगृह में जाकर देवकी के हाथ से नवजात कन्या को छीनकर पृथ्वी पर पटक देना चाहा, परंतु वह कन्या आकाश में उड़ गई और वहां से कहा- ‘अरे मूर्ख, मुझे मारने से क्या होगा? तुझे मारनेवाला तो वृंदावन में जा पहुंचा है। वह जल्द ही तुझे तेरे पापों का दंड देगा।’
सरस कथा वाचक पंडित राजेश व्यास जी ने बताया की हृदय की अज्ञानता दूर होना ही है मोक्ष है। इस शुभ घड़ी पर कथा पंडाल में आयोजक माला चुनमुन गुप्ता, निशि पूर्णिमा राहुल गुप्ता, गोगा जाहरवीर सेवा समिति के अध्यक्ष विष्णु अग्रवाल, कल्लू यादव (ज़िला पंचायत सदस्य रठगांव),सुभाषचंद्र गुप्ता, अनूप कुमार, ओमशंकर गुप्ता, श्रवण कुमार गुप्ता, अशोक कुमार गुप्ता, अनूप कुमार गुप्ता, राहुल गुप्ता, नीरज गुप्ता,जय गुप्ता, शुभम गुप्ता, अंश गुप्ता, शिवा गुप्ता, वीर गुप्ता एवं समस्त गुप्ता परिवार सहित सैकड़ों भक्त मौजूद रहे।

रिपोर्ट – अंकुर गुप्ता*

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