May 20, 2024

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औरैया11अगस्त*12 अगस्त पर विशेष*  ------ *सुरेश मिश्र*

औरैया11अगस्त*12 अगस्त पर विशेष*  —— *सुरेश मिश्र*

औरैया11अगस्त*12 अगस्त पर विशेष*  —— *सुरेश मिश्र*

*चम्बल के डाकुओं ने भी लड़ा था अंग्रेजों के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध* /

*अंग्रेजी हुक्मरानों पर भारी पड़ गए थे औरैया के छात्र*

*देश के बड़े नेता जब जेल में डाले गए तो आजादी के आन्दोलन को अपने हाथ में ले लिया था औरैया के छात्रों ने*

12 अगस्त 1942 को अंग्रेजी हुकूमत पर आफत बनकर टूटे थे औरैया , बलिया ,जबलपुर , पटना के छात्र /

*औरैया के 6 छात्रों ने अपनी शहादत देकर फहरा दिया था तिरंगा*

जेल में कैद भारतीय नेताओं के कानों ने जब औरैया के छात्रो कि हुंकार सुनीं तो उनके मुंह से निकल पडा *इन्कलाब जिंदाबाद* /

आजादी कि जंग के लिए गांधी जी के नारों ने चम्बल के खूंखार डकैतों के जेहन में भी देश भक्ति का जज्बात पैदा कर दिया था /

औरैया- वैसे तो साल के हर दिन और हर माह आजादी कि जंग के गवाह हैं
लेकिन अगस्त के महीने का 12 तारीख क्रांतिवीरों कि शहादत कि गाथा को
इतिहास के पन्नों में लिखे अक्षरों को कुछ ज्यादा ही चमकदार बना देता है।
फ़रवरी 1942 में जब गान्धी जी ने आजादी कि अंतिम लडाई के लिए हुंकार
भरी तो क्रांतिवीरों का खून अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ खौल उठा /फ़रवरी
1942 से जुलाई 1942 तक इन 5 महीनों में जंगे आजादी कि धार को तेज करने कि
रणनीति बनायीं गयी / अंग्रेजी हुक्मरानों को जब गांधी जी कि इस योजना कि
जानकारी हुयी तो गोरी सेना ने आन्दोलन को नस्ट करने के लिए देश के हर
हिस्से से छोटे – बड़े नेताओं को गिरफ्तार करना शुरू कर दिया / नेताओं
की गिरफ्तारी ने हिन्दुस्तान के युवाओं की रग़ में बह रहे खून की गति को
बढ़ा दिया / आखिरकार वह दिन भी आ गया जब देश भक्तों ने अंग्रेजी सेना से
दो दो हाथ करने का कठोर फैसला कर ही लिया / 12 अगस्त 1942 के दिन युवाओं
के निशाने पर आ गए सरकारी भवनों पर फहर रहे अंग्रेजी यूनियन जैक / यूनियन
जैक को उतार फेंकने और हिन्दुस्तानी इमारतों पर तिरंगा फहराने को बेताब
युवाओं और छात्रो के कदम सड़क पर आ गए / पढ़ने के लिए बस्तों में रक्खीं
किताबे घर के कमरों में कैद हो गयीं और हाथ में आ गया तिरंगा / बलिया , पटना , जबलपुर और देश के अन्य शहरों के साथ -साथ उत्तर प्रदेश के औरैया
के छात्रों ने अंग्रेजी सेना के खिलाफ ऐसा कोहराम मचाया कि अंग्रेजी
हुक्मरानों कि नीद ही उड़ गयी / यूनियन जैक को उतारकर कुचलने और तिरंगा फहराने
कि जद्दोजहद में औरैया के 6 छात्र अंग्रेजी पुलिस कि गोलियां खाकर शहीद
हो गए। जबकि जमीन पर घायल पड़े दर्जनों छात्र भारत माता कि जय बोलते
हुए अपनी बहादुरी का लोहा मनवा रहे थे / औरैया के छात्र अपने मकसद में
कामयाब हो गए थे / 12 अगस्त 1942 को घटी यह घटना उत्तर भारत कि सबसे बड़ी
घटना थी / जेल में कैद भारतीय नेताओं के कानों ने जब औरैया के छात्रो
कि हुंकार सुनीं तो उनके मुंह से निकल पडा “इन्कलाब जिंदाबाद”/
ईंट और गारे से बनी उत्तर प्रदेश के औरैया कि सदर तहसील का पुराना भवन अब हमारी आने वाली पीढ़ी कभी नहीं देख पाएगी। सरकार ने जर्जर हो चुके तहसील के भवन को गिराकर अब वहाँ नई बिल्डिंग बनवा दी है। गुलामी के दिनों में ए बी हाईस्कूल के नाम से विख्यात यहीं के तिलक इंटर कालेज का भवन आज भी शहर की शान बढ़ा रहा है। यह इमारत कोई आम इमारतों में से नहीं है /इन इमारतों में लगी एक -एक ईंट गांधी जी के आंधी से शुरू हुयी आजादी कि
जंग कि हर पल की गवाह हैं / सुनहरे भविष्य के लिए गुरुओं से किताबी शिक्षा प्राप्त करने के बाद यहां के छात्र विद्यालय के परिसर में खड़े पेड़ों की छाँव में बैठ कर अंग्रेजों से लोहा लेने की रणनीति भी बनाते थे। गांधी जी भी इस परिसर में आकर यहां की मिटटी का तिलक अपने माथे पर लगा चुके हैं। उनके द्वारा रोपित पौधा अब बृक्ष बन कर शीतलता प्रदान कर रहा है। अपने सर पर गड़े अंग्रेजी यूनियन जैक से हमेशा- हमेशा के लिए मुक्ति पाने के लिए औरैया सदर तहसील कि पुरानी इमारत कुछ दूरी पर स्थित अपने छात्रों को वतन पर मर मिटने कि शिक्षा दे रहे तिलक
इंटर कालेज कि इमारत को निहार रही थी / तहसील कि इमारत के दर्द को
समझकर कालेज कि बिल्डिंग मचल उठी / कालेज ने अपने छात्रों को ऐसा झकझोरा
कि उनके पैर सडक कि ओर बढ़ चले / किताबें बस्तों में सिमट कर घरों में
कैद हो गयीं और छात्रों के हाथ में तिरंगा आ गया / आजादी की आग ने छात्रों को इतना गरम कर दिया कि उनके सामने अंग्रेज पुलिस बौनी नजर आने
लगी / अंग्रेजों कि कोई भी कोशिश औरैया के छात्रों के पैरों को रोक नहीं सकी / छात्र तहसील कि इमारत पर चढ़ गए और गुलामी के प्रतीक लगे यूनियन जैक को उतारकर रौदते हुए तिरंगा फहरा दिया / छात्रो कि इस हरकत से बौखलाई
अंग्रेजी पुलिस ने छात्रों पर 20 राउण्ड गोलियां दाग दी जिससे 6 छात्र भारत माता कि जय बोलते हुए वहीँ शहीद हो गए जबकि कई दर्जन छात्र घायल होने के बावजूद अंग्रेज पुलिस से लोहा लेते रहे / 12 अगस्त 1942 को औरैया तहसील के भवन पर तिरंगा फहराते वक्त गोरों की पुलिस द्वारा भारतीय छात्रों पर बरसाई गई गोलियों को खाकर गंभीर रूप से घायल हुए ए बी स्कूल के क्रांतिकारी छात्र विजय शंकर गुप्ता जी देश की धरोहर के रूप में औरैया की शान बढ़ा रहे थे। अभी कुछ वर्ष पूर्व तक जीवित रहे गुप्त जी की काया भले ही जर्जर हो चुकी थी लेकिन 12 अगस्त 1942 की आँखों देखी कहानी सुनाते वक्त उनकी आवाज में एकाएक जोश और दम दिखाई देने लगता था।

*आइये आजादी की जंग में व्यवस्था के खिलाफ बगावत कर बीहड़ में कूदे उन बागियों की भी बात कर ली जाय जिन्हे समाज खूंखार डाकू के रूप में जानता था* ।
चंबल घाटी का नाम आते ही हमारे जेहन में भय समा जाता है। लेकिन देश के अन्य हिस्सों में रहने वाले लोगों में से शायद कम ही ऐसे लोग हैं जिन्हे उस काल के डाकुओं की देश के लिए दी गई कुर्बानी का ज्ञान हो।
आजादी की जंग के लिए नेताओं के नारों ने यहाँ के खूंखार डकैतों के जेहन
में भी देश भक्ति का जज्बात पैदा कर दिया था / चम्बल के डाकू अंग्रेजों
के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध लड़ने लगे / शहर में छात्र अंग्रेज पुलिस से दो
– दो हाथ करने को बेताब थे तो यमुना और चम्बल नदी के किनारे जंगलों में
छिपे डाकू शहर कि सीमा में घुसने को बेताब दूसरे जिलों से आने वाली
अंग्रेजी पुलिस को खदेड़ने में लगे थे / ब्रह्मचारी डकैत का नाम और उसके द्वारा जंगे आजादी में किया गया काम भी यहां के इतिहास में स्वर्णाक्षरों दर्ज है।
औरैया के इतिहास की बारीकी से जानकारी रखने वाले औरैया शहीद स्मारक समिति के सदस्य प्रवीण गुप्ता जी बताते हैं कि
औरैया के क्रांतिकारियों का यह दूसरा सबसे बड़ा आन्दोलन था
/ इससे पहले औरैया के भारतवीर मुकुंदीलाल ने 9 अगस्त 1925 को अपने
साथियों के साथ काकोरी में सरकारी खजाना ले जा रही ट्रेन को लूट कर
अंग्रेजी हुक्मरानों को भारतीय क्रांतिवीरों की ताकत का अहसास करा दिया
था / काकोरी काण्ड के इस महान नायक भारतवीर मुकुंदीलाल द्वारा अपने जिले के
युवाओं में भरा गया जोश आजादी मिलने तक जारी रहा /
अपने निजी हितों को त्याग कर गुलामी में जकडे भारत माता की
आजादी के लिए अपना सब कुछ लुटा चुके देश के अमर सपूतों की चौराहों पर
प्रतिमाएं लगाकर सरकारें अपने कर्तब्य को पूरा मान बैठी है / देश के कई शहरों के चौराहों पर लगीं
महापुरुषों कि प्रतिमाएं किस हालत में हैं यह किसी से छिपा नहीं है। आजाद भारत के नेताओं ने आजादी के इन नायकों की जो दशा कि है उसे
देख स्वर्ग में बैठे हमारे अमर सपूत देश कि दिशा और दशा पर चिंतित जरूर
होंगे /
भारत माता के अमर सपूतों को शत शत नमन। जय हिंद।
*प्रस्तुति* – *सुरेश मिश्रा।

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