December 23, 2024

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औरैया 30 अक्टूबर *बदलते परिवेश में चीनी के खिलौनों का कारोबार हो रहा फीका*

औरैया 30 अक्टूबर *बदलते परिवेश में चीनी के खिलौनों का कारोबार हो रहा फीका*

औरैया 30 अक्टूबर *बदलते परिवेश में चीनी के खिलौनों का कारोबार हो रहा फीका*

*इस वर्ष बाजार में 70 रुपए किलो बिक रहे चीनी के खिलौने व गट्टे*

*औरैया।* *लोक भारती संवाददाता।* मॉडर्न युग बदलते परिवेश में में चीनी के खिलौने व गट्टों का व्यापार दिनों दिन गिरावट की ओर जाते हुए फीका होता जा रहा है। सस्ते के जमाना में कारोबारियों को अच्छा मुनाफा होता था। लेकिन महंगाई के दौर में कारीगर भी मुश्किल से ढूंढने को मिलते हैं। लोग त्योहार पर औपचारिकता के लिए इनकी खरीदारी करते हैं। जब की नई पीढ़ी का इन चीनी के खिलौनों की ओर रुझान खत्म होता जा रहा है। इसी के चलते बाजारों में खरीदारों की संख्या मैं तेजी से गिरावट आई है जिसके चलते व्यापारी व दुकानदार करहा रहा है।
दीपावली पर्व पर गणेश लक्ष्मी के पूजन के लिए खील के साथ चीनी के खिलौने व गट्टे पूजन सामग्री में शामिल करने पड़ते हैं। पुराने समय से त्यौहार पर इन चीजों का अच्छा खासा व्यापार होता था। बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग सभी इन्हें बहुत पसंद करते थे। बच्चे खिलौनों में हाथी घोड़े खूब पसंद करते थे। लेकिन आधुनिकता के दौर में व्यापार दिनों दिन फीका होता जा रहा है। कारीगर फरीद खाँ ने बताया कि जहां किसी समय वह प्रतिदिन 7 से 9 कुंटल चीनी के खिलौने तैयार करते थे। वहीं इस समय 1-2 बोरी चीनी के खिलौने ही पर्याप्त हो रहे हैं। पहले रात दिन कारखानों में काम चलता था। दशहरा के बाद यह काम शुरू हो जाता था। कई कारीगर इस काम के लिए आते थे। लेकिन महंगाई का दौर बढ़ रहा है। दूसरी ओर लोग मीठा खाने से परहेज कर रहे हैं। जिसके चलते त्यौहार पर मुख्य रूप से पूजन में प्रयोग गट्टा व खिलौनों की बिक्री बहुत कम हो गई है। बच्चों का रुझान भी टीबी व मोबाइल पर दिखाए जाने वाले मॉडर्न आइटमओं की ओर बढ़ रहा है। चीनी के खिलौने बनाने वाले कारीगर फरीद खाँ ने बताया कि खिलौने बनाने के लिए वह चीनी का प्रयोग करते हैं। इसके अलावा उसमें साटरी व हाइड्रो मसाला लगाया जाता है। हाइड्रो से खिलौनों का कलर साफ हो जाता है। उन्होंने कहा चाशनी तैयार होने के बाद वह उसे उपकरण की सहायता से सांचों में भर देते हैं। जिसके बाद थोड़ा ठंडा होने पर उन्हें निकाल कर अलग कर दिया जाता है। जिसके बाद वह बिक्री के लिए तैयार हो जाते हैं। फुटकर दुकानदार भी उनसे खरीद ले जाते हैं। दुकानदारों का कहना है कि बढ़ी हुई महंगाई के चलते बाजार में खरीदारों की संख्या बहुत ही कम है। जिसके चलते उन्हें एक-एक ग्राहक आने का इंतजार करना पड़ता है। महंगाई की मार से उनकी दुकानदारी बुरी तरह से प्रभावित हुई है। वही महंगाई ने आम जनमानस को झकझोर कर रख दिया है।

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