औरैया 26 अक्टूबर *स्वच्छता मिशन की उड़ रही धज्जियां कीचड़ में बैठे भगवान शंकर*
*जन भावनाएं हो रही आहत पहुंच रही ठेस श्रद्धालुओं में आक्रोश*
*औरैया।* जब भगवान शंकर ही कीचड़ व गंदगी में विराजमान हो तो भारत सरकार के स्वच्छता मिशन को क्या कहा जाए? यह कोई अतिशयोक्ति नहीं हकीकत है। यह मामला विकासखंड औरैया शहर से सटे ग्राम सुरान में स्वच्छता मिशन की धज्जियां उड़ती हुई नजर आई। जहां पर भगवान शंकर स्वयं कीचड़ में बैठे हुए हैं। जिसको लेकर आने-जाने वाले लोगों एवं ग्रामीणों की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही है। वही यह नजारा देखकर श्रद्धालुओं को ठेस पहुंच रही है। दलदली जमीन पर भगवान शंकर को बैठा देखकर श्रद्धालु भक्तगणों में आक्रोश पनप रहा है, जो कभी भी ज्वालामुखी बनकर फूट सकता है। जल निकासी नहीं होने के चलते मलिन बस्ती के बाशिंदे भी काफी परेशान है। इसके साथ ही भारत सरकार के स्वच्छता मिशन को पलीता लग रहा है।
विकासखंड क्षेत्र की ग्राम पंचायत सुरान में तालाब के किनारे भगवान शंकर की मूर्ति को स्थापित किया गया है। इस मूर्ति की स्थापना कराते समय धर्मावलंबियों के द्वारा नहीं सोचा गया कि यह मूर्ति तालाब के किनारे स्थापित की जा रही है। इसके दूरगामी परिणाम क्या होंगे? भगवान शंकर की मूर्ति दलदली जगह पर कीचड़ में स्थापित है। बरसात के समय यह मूर्ति पानी में डूबी रही। बरसात के उपरांत पानी कम होने से मूर्ति तो खुल गई है। लेकिन गंदगी व कीचड़ में साफ तौर पर देखी जा सकती है। भगवान शंकर की मूर्ति स्थापित करने के पीछे चाहे कब्जा करने की नियत हो अथवा देवस्थान बनाने की। आज जो भी इस मूर्ति को देखता है उसकी भावनाएं अवश्य ही आहत हो रही है। क्योंकि यह एक आस्था का मामला है। जिसको देखकर जनमानस की भावनाएं सामने आ जाती हैं। जिसके कारण जन भावनाओं को ठेस पहुंच रही है। इसके साथ ही भारत सरकार के स्वच्छता मिशन को भी पलीता लग रहा है। अभी तक इस ओर ना तो किसी सत्ताधारी नेता ने संज्ञान लिया और ना ही ग्राम प्रधान व जनसेवको ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। वही नगर पालिका प्रशासन भी मूकदर्शक व तमाशाई बना हुआ है। ग्राम पंचायत जैतापुर प्रधान प्रतिनिधि समाजसेवी अनुज यादव ने जब भगवान शंकर की मूर्ति को लेकर संज्ञान लिया तो उनकी श्रद्धा की भावना आहत हुई। जिस पर उन्होंने अपना वक्तव्य देते हुए कहा कि जन भावनाओं की कद्र करते हुए भगवान शंकर की मूर्ति के आसपास से गंदगी को हटाने की जिम्मेदारी प्रथम दृष्टया ग्राम पंचायत प्रधान की बनती है। इसके साथ ही नगर पालिका परिषद की अधिकारियों को भी संज्ञान लेते हुए इस ओर ध्यान आकृष्ट करने की महती आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यदि समय की रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो जो जनआक्रोश पनप रहा है, वह कभी भी ज्वालामुखी बनकर फूट सकता है। इतना ही नहीं श्रद्धालु भक्तगण आंदोलित होकर धरना प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे। मलिन बस्ती में स्थापित भगवान शंकर की दुर्दशा को लेकर आक्रोश व्यक्त करने वालों में प्रमुख रूप से ग्रामवासी निर्मला गौतम, योगेश कुशवाहा, प्रमोद पाल व सुरेंद्र कुशवाहा के अलावा अन्य लोग शामिल रहे।
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