प्रत्याशी लखनऊ की राह आसान करने के लिए कर रहे तरह-तरह के वायदे
रुरुगंज,औरैया। चुनावी शोर छाने लगा है और विकास की सड़क पर चुनावी वाहन को कोई लखनऊ तक दौड़ाने की जुगत में है तो कोई वादों के बल पर विधानसभा जाने की तैयारी कर रहा है। हर राजनैतिक दल ने अपनी ताकत झोंक दी है। औरैया जिले की दिबियापुर विधानसभा के रुरुगंज क्षेत्र में कई ऐसे गांव हैं कि जहां पर आम जनता के बीच पहुंचने से पहले नेताओं की गाड़ी हिचकोले खाने लगती है।
रुरुगंज से कुदरकोट तक जाए तो 8 किमी लंबे मार्ग में न जाने कितने झटके लग जाते हैं। क्षेत्र की करीब आधा दर्जन गांवों के लोग इस मार्ग से जुड़े है। यही हाल रुरुगंज से दिवियापुर जाने वाले मार्ग का हैं। रुरुगंज से मलिकपुर गांव मार्ग पर तीन किमी का मार्ग तो पूरी तरह बदहाल हैं। बरसात के समय रुरुगंज दिबियापुर व बिधूना जाने वाला बाईपास मार्ग बदहाल है। जगह जगह सड़क पर गड्ढे हैं। थोड़ी सी बारिस होने पर सड़क तालाब का रूप ले लेती है। जिस पर चलना खतरे से खाली नहीं होता है। बच्चों के स्कूल आने जाने में भी परेशानी होती है। यहां से रुरुकलां, चंदैया, पूर्वा भारामल, पुरवा मके, देवराव, हरचंदपुर, रामगढ़ समेत दर्जनों गांवों के लोगों का आना जाना रहता है। जिससे लोगो को मुश्किल का सामना करना पड़ता हैं। कई ग्रामीण चुटहिल भी हुए हैं। इन क्षेत्रों की जनता इस बार चुनाव में नेताओं से सड़क पर भी दो टूक बात करेगी, क्योंकि नेताओं की गाड़ी तो कभी कभी यहां से निकलती है, आने वाले पांच साल क्षेत्र के ग्रामीणों को ही इन सड़कों से गुजरना है। वही रुरुगंज निवासी बब्लू गुप्ता, प्रमोद राजपूत, महेश चक, धर्मेंद्र सिंह, हेमराज शाक्य, मुकेश गुप्ता का कहना हैं कि वोटरों को लुभाने के लिए विधानसभा चुनाव आते है।
ये मार्ग हैं जर्जर : रुरुगंज। कई संपर्क मार्ग जर्जर पड़े हैं। इनमें मुख्य रूप से रुरुगंज से कुदरकोट जाने वाला मार्ग लगभग 8 किलोमीटर, रुरुगंज से देवराव व रुरुगंज दिबियापुर व बिधूना जाने वाला बाईपास मार्ग करीब 300 मीटर, रुरुगंज से मलिकपुर को जाने वाला मार्ग लगभग 2.5 किलोमीटर जर्जर हैं।
क्या कहते ग्रामीण
बब्लू गुप्ता का कहना है कि कस्बा रुरुगंज दिवियापुर व बिधूना जाने वाला बाईपास मार्ग पूरी तरह बदहाल हो चुका है। कई बार जनप्रतिनिधियों से इसके बारे में अवगत करा चुके है। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इस रास्ते से करीब दर्जनों गांवों के लोग गुजरते है। मलिकपुर गांव के गौतम शाक्य कहते हैं कि क्षेत्र में सालों पहले भी सड़कों की समस्या ऐसी थी और आज भी ज्यादातर सड़कों की हालत वैसी ही है। जिनमें चलना मुश्किल हो रहा है। जनप्रतिनिधियों को इस क्षेत्र का विकास कराना होगा।
मलिकपुर के शिवाकांत शाक्य बताते हैं कि क्षेत्र के ज्यादातर गांव पिछड़े हैं, कई मजरे व पुरवा ऐसे हैं जहां खराब रास्तों से होकर चलना पड़ रहा है। विकास को विशेष प्राथमिकता मिलनी चाहिए।
रुरुगंज निवासी शिवम गुप्ता का कहना है कि चुनाव में नेता वायदे तो कर जाते हैं लेकिन बाद में ज्यादातर वायदे पूरे नहीं हो पाते हैं। विकास से पिछड़े इस क्षेत्र को विकास में विशेष वरीयता मिलनी चाहिए। ताकि क्षेत्र के लोगों को राहत मिले।
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