June 29, 2024

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औरैया 13 जनवरी *गोवंशों को निकलने के लिए ताला तोड़ने का किया प्रयास, ग्रामीणो ने किया प्रदर्शन*

औरैया 13 जनवरी *गोवंशों को निकलने के लिए ताला तोड़ने का किया प्रयास, ग्रामीणो ने किया प्रदर्शन*

औरैया 13 जनवरी *गोवंशों को निकलने के लिए ताला तोड़ने का किया प्रयास, ग्रामीणो ने किया प्रदर्शन*

*ग्रामीणों का आरोप गोवंश को खाने के लिए पहुँचा 30 किलो भूसा*

*कंचौसी,औरैया।* विकासखंड भाग्यनगर क्षेत्र के मजरा चिटकईयन पुरवा में किसानों ने 4 दिन पूर्व आवारा को वशों को फसलों का नुकसान करने के चलते पंचायत घर में बंद कर रखा है। जिनके लिए चारा पानी आदा की भी व्यवस्था नहीं हो सकी है। वही जानकारी होने के बावजूद भी अधिकारी व कर्मचारी मूकदर्शक व तमाशाई बने हुए हैं। गुरुवार को ग्राम प्रधान ने पंचायत घर में बंद आवारा गोवशों को पंचायत घर से निकालने का प्रयास किया, लेकिन तब तक किसान मौके पर पहुंच गये, और उन्होंने गोवंशों को नहीं निकालने दिया। इसके अलावा किसानों ने प्रदर्शन भी किया है।
भाग्यनगर ब्लॉक के ग्राम पंचायत विनपुरापुर के मजरा चिटकाईयन पुरवा में चार दिन से बन्द भूखे-प्यासे आवारा गोवंशों को ग्राम प्रधान हेतराम ने अपने समर्थकों के साथ पंचायत घर पहुँचकर, बन्द आवारा गोवंश को छोड़ने के लिए ताला तोड़ने का प्रयास किया। उसी समय मौके पर पहुंचे किसानों ने ग्राम प्रधान को ताला तोड़ने से रोक दिया, और मौके से ग्राम प्रधान को लौटा दिया। बाद में किसानों ने प्रशासन के खिलाफ नारेवाजी करते हुए आरोप लगाया, कि पंचायत सचिव बृजेन्द्र त्रिपाठी के कहने पर ग्राम प्रधान ने ताला खोलने का प्रयास किया। उसी समय आवारा गोवंश से परेशान किसान मौके पर पहुँचकर प्रदर्शन करने लगे, और मजबूर होकर प्रधान अपने समर्थकों के साथ लौट गए, किसानों ने प्रदर्शन करते हुए तहसील व ब्लॉक अधिकारियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की है। किसान विष्णु सिंह, गिरजेश कुमार, मोनू गौर, संजय सिंह, राजेंद्र सिंह आदि ने प्रदर्शन करते हुए कहा कि बीडीओ भाग्यनगर सतीश पांडेय ने आवारा गोवंशों को उमरी गोशाला भेजने का आदेश पहले दिन से दिया है। लेकिन पंचायत सचिव व प्रधान बन्द गोवंश को देखने तक नही आये, और सैकड़ो आवारा गोवंशों को खाने के लिए 30 किलो भूसा भेजा गया। वही प्रधान हेतराम का कहना है कि बन्द गोवंश को चारा , पानी देने के लिए वह गोवंशों को गोशाला भेजने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन किसान व ग्रामीण कार्य करने नही दे रहे हैं। आवारा गोवंश बहुत ही कमजोर हो गए हैं। भूखे प्यासे कुछ गोवंशों की जान भी जा सकती है।

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