औरैया 11 अक्टूबर *शारीरिक निष्क्रियता के कारण बढ़ रहा है गठिया का जोखिम*
*विश्व गठिया दिवस 12 अक्टूबर को होगा आयोजित*
*थीम-यह आपके हाथ में है, शुरुआत करें*
*औरैया।* व्यायाम न करना या ऑफिस में लंबे समय तक बैठे रहने की आदत आपमें गठिया की समस्या के जोखिम को बढ़ा सकती है। शारीरिक निष्क्रियता के कारण जोड़ों की मांसपेशियां कठोर होने लगती हैं, जो आगे चलकर आर्थराइटिस के जोखिम को बढ़ाने का कारण बनती हैं। यदि आप नियमित रूप से जिम नहीं जा पा रहे हैं तो भी हल्के स्तर के व्यायाम जैसे साइकिलिंग, वॉकिंग और तैराकी के माध्यम से भी शारीरिक रूप से सक्रियता बढ़ाकर गठिया के खतरे को कम कर सकते हैं।यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ अर्चना श्रीवास्तव का।सीएमओ ने बताया कि वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ती इस समस्या के जोखिम को कम करने और इससे बचाव के लिए लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 12 अक्तूबर को वर्ल्ड आर्थराइटिस डे मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम है, ‘यह आपके हाथ में है, शुरुआत करें’ | उनका मानना है की आर्थराइटिस यानी गठिया एक अकेली बीमारी नहीं है बल्कि 100 से भी अधिक विभिन्न स्थितियों का एक संग्रह है जो जोड़ों को, जोड़ों के आसपास मौजूद उत्तकों को प्रभावित करता है। इन स्थितियों में आमतौर पर जोड़ों में अकड़न या कठोरता हो जाती है, दर्द और सूजन होने लगता है| आमतौर पर यह समस्या वयस्कों में अधिक देखी जाती है। जिला चिकित्सालय में तैनात हड़्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. राजीव रस्तोगी का कहना है कि गठिया केवल बुजुर्गों में देखी जाने वाली बीमारी नहीं है। गठिया किसी भी आयु के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है। गठिया कई प्रकार के होते हैं। उनमें एक जुवेनाइल या किशोर गठिया होता है। जुवेनाइल या किशोर गठिया 6 महीने से लेकेर 16 वर्ष की आयु के बच्चों में हो सकता है। यह तब होता हैं जब आपके शरीर का इम्यून सिस्टम, धीरे-धीरे जोड़ों में मौजूद स्वस्थ कोशिकाओं पर ही हमला करके उन्हें नुकसान पहुंचाने लगता है। किशोर गठिया के लक्षणों की बात करें तो इसमें प्रभावित जोड़ों में दर्द और सूजन शामिल है। इसके साथ ही जिन लोगों की त्वचा पर चकत्ते भी देखने को मिलते हैं उनको सोरियाटिक गठिया होता है।
*यह है आर्थराइटिस* आर्थराइटिस में मरीज के जोड़ों में दर्द और सूजन होने लगता है। मरीज को चलने में दिक्कत होती है। ज्यादातर समस्या हाथ व पैर में होती है। यह समस्या अधिकांश पचास साल के बाद ही होती है। यह अनुवांशिक समस्या भी होती है। पुरुष और महिलाएं दोनों में ही यह बीमारी है। महिलाओं में जोड़ों के दर्द का प्रमुख कारण कम काम करना, ऊंची एड़ी की सैंडल पहनना भी है।आर्थराइटिस के कई कारण हैं। मधुमेह के कारण जोड़ों का दर्द अधिक होता है। इस कारण मधुमेह से पीड़ित एक तिहाई लोगों में इस रोग की भी आशंका होती है। इसके अलावा मोटापा, मादक पदार्थों का सेवन, जंक फूड का सेवन करना, कंप्यूटर पर बैठकर घंटों काम करने और व्यायाम न करने के कारण भी यह बीमारी होती है। उन्होंने कहा कि पहले कहा जाता था कि अधिक उम्र के लोगों को ही यह बीमारी होती है लेकिन अब कम उम्र के लोग भी इसकी चपेट में हैं।
More Stories
Karnataka15October25🌹🌹✊🏽✊🏽 Initial Victory for the Alemari Struggle ✊🏽✊🏽🌹🌹
सहारनपुर15अक्टूबर25*मिशन शक्ति एण्टी रोमियो टीम का सराहनीय कार्य…
पूर्णिया बिहार15अक्टूबर25*पटना हाई कोर्ट मुख्य न्यायाधीश ने धमदाहा,बनमनखीओर बायसी अनुमंडल कोर्ट के भवन का शिलान्यास किया।