[2/6, 6:58 PM] Ram Prakash Upaajtak: *सच्चे जनसेवक नेता पहले पैदल या साइकिल से मांगते थे वोट*
*अब महंगी कारों के काफिले में समर्थकों के साथ करते हैं जनसंपर्क*
*औरैया।* पहले कांग्रेस और फिर समाजवादियों का प्रमुख दुर्ग रहे बिधूना विधानसभा क्षेत्र में पहले के जनप्रतिनिधि पैदल या साइकिल से गांव-गांव जनसंपर्क कर वोट मांगते थे लेकिन अबके नेताओं को उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत देखकर ही प्रत्याशी बनाया जाता है और यही कारण है, कि आज के जनप्रतिनिधि चुनाव आयोग की तमाम पाबंदियों के बावजूद महंगी गाड़ियों के काफिले के साथ गांव गांव जनसंपर्क कर वोट मांगते नजर आ रहे हैं, लेकिन चुनाव हारने जीतने के बाद जनता की हिमायत का दावा करने वाले यह जनप्रतिनिधि 5 वर्षों के लिए फिर ब्रह्म की तरह अंतर्ध्यान हो जाते हैं और जनता अपने को ठगा महसूस कर मन मसोस कर रह जाती है।
बिधूना विधानसभा क्षेत्र 202 पहले कांग्रेस का और बाद में समाजवादियों का प्रमुख दुर्ग के रूप में अपनी पहचान बना चुका है। हालांकि 2017 की राम लहर में हुए चुनाव में इस सीट पर भाजपा ने अपना परचम फहरा दिया है। देश की आजादी के बाद शुरू हुए विधानसभा चुनावों में इस सीट पर पांच बार विधायक रहे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय गजेंद्र सिंह ऐसे सच्चे जनसेवक थे जो आर्थिक अभावों के बावजूद भी पैदल या साइकिल से चुनावों में गांव-गांव वोट मांगते थे, वही इसी क्षेत्र से विधायक रहे स्वर्गीय पंडित विजय शंकर उपाध्याय भी क्षेत्र के अधिकांश गांवों में चुनाव में पैदल जनसंपर्क करने के साथ अपने समर्थकों के माध्यम से सिर्फ मतदाताओं तक अपनी अपील के पर्चे भेज कर विधायक बने थे, और इसी तरह पूर्व विधायक स्वर्गीय रामाधार शास्त्री भी पैदल व साइकिल से वोट मांगकर विधायक बनने वाले क्षेत्र के सच्चे जनसेवकों में शुमार हैं। हालांकि आज तस्वीर पूरी तरह बदली हुई नजर आ रही है। अधिकांश प्रमुख राजनीतिक दल उन्हीं नेताओं को अपना प्रत्याशी बनाते हैं जो अधिक मजबूत आर्थिक स्थिति के साथ ही हर स्तर पर प्रतिद्वंद्वियों से मुकाबला करने में सक्षम होते हैं। यही कारण है चुनाव आयोग की तमाम पाबंदियों के बावजूद चल रहे चुनावी घमासान के दौर में क्षेत्र में अधिकांश प्रत्याशी नियम कानून को ठेंगा दिखाते हुए महंगी कारों के बड़े-बड़े काफिलों और समर्थकों की भीड़ के साथ गांव-गांव जनसंपर्क करते नजर आ रहे हैं। गौरतलब बात तो यह है कि पहले के पैदल चलने वाले जनप्रतिनिधि चुनाव जीतने हारने के बाद भी जनता के दु:ख दर्द में शामिल रहते थे, लेकिन आज के नेताओं को सिर्फ चुनाव के समय ही जनता की याद आती है, और चुनाव में हारने जीतने के बाद फिर से यह ब्रह्म की तरह अंतर्ध्यान हो जाते हैं। यही सच्चे जनसेवक नेता पहले पैदल या साइकिल से मांगते थे वोट। गौरतलब बात तो यह है कि पहले के पैदल चलने वाले जनप्रतिनिधि चुनाव जीतने हारने के बाद भी जनता के दु:ख दर्द में शामिल रहते थे, लेकिन आज के नेताओं को सिर्फ चुनाव के समय ही जनता की याद आती है, और चुनाव में हारने जीतने के बाद फिर से यह ब्रह्म की तरह अंतर्ध्यान हो जाते हैं। यही कारण है, कि अपने को हर बार ठगा महसूस करने वाली जनता का इन नेताओं से विश्वास उठता जा रहा है। इसी तरह से भारत सिंह चौहान रिक्शा पर बैठकर औरैया शहर का भ्रमण करते हुए वोट मागते थे। इसके अलावा वह जनता की आवाज बनकर समस्याओं का निराकरण कराने में कभी पीछे नहीं हटते थे। ऐसे नेताओं को जनता आज भी भुला नहीं पा रही है। आज के नेता अपना स्वार्थसिद्ध करने के लिए जनता के बीच जाते है। इसके बाद वह 5 वर्ष के लिए क्षेत्र में समस्याओं का निदान कराना तो दूर की बात है। जनता से संवाद करना भी मुनासिब नहीं समझते हैं।
[2/6, 6:58 PM] Ram Prakash Upaajtak: *कस्बा के व्यापारियों पर पुलिस की कायर्वाही से आक्रोश*
*अछल्दा,औरैया।* आगामी विधान सभा चुनाव को शान्तिपूर्वक सम्पन्न कराने के लिये निर्वाचन आयोग द्वारा लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। इसके लिये अराजकतत्वों एवं अपराधियों के खिलाफ पुलिस द्वारा कार्यवाही की जाती है, लेकिन थाना पुलिस द्वारा कस्बा के आम नागरिक व व्यापारियों के खिलाफ ही 107/116 की कार्यवाही की गयी है। इस कार्यवाही से व्यापारियों में घोर आक्रोश व्याप्त हो गया है। पुलिस की इस ज्यादती पूर्व कार्यवाही के खिलाफ कस्बा के व्यापारी ने सोशल मीडिया पर कार्रवाई की पोस्ट डालते हुए आक्रोश जताते हुए निर्वाचन आयोग एवं उच्चाधिकारियों से जांच की मांग की है।
[2/6, 6:58 PM] Ram Prakash Upaajtak: *खेत मे पानी भरने से हुई फसल बर्बाद*
*अछल्दा,औरैया।* विकासखंड क्षेत्र के अंतर्गत गांव मोहम्मदाबाद के निवासी अवदेश ने थाने में तहरीर देते हुए पुलिस को बताया कि उसके पड़ोस के खेत मालिक सरनाम सिंह अपने खेत मे पानी लगा रहे थे। प्रार्थी के खेत के किनारे विपक्षी के खेत से पानी की खंदी कट जाने से पीडित के खेत मे पानी भर गया। जिससे उसके 4 बीघा खेत मे पानी भर गया। पानी भरने से पूरी फसल बर्बाद हो गयी। पीड़ित ने जब खेत मालिक सरनाम सिंह से कहा कि उसकी फसल बर्बाद हो गयी है। जिस पर उपरोक्त विपक्षी ने कहा कि फसल का मुवावजा ले लेना। प्राथी जब मुवावजा लेने गया, तो आजकल करके टरकाते रहे। जब वह दोबारा गया, तो सरनाम सिंह उसे गाली- गलौज करने लगा व मारपीट की धमकी देने लगा, और कहा तुम्हे जो करना कर लो, मैं कुछ नही दूंगा। प्राथी ने थाने में तहरीर दी है। थानाध्यक्ष ने तहरीर लेकर कार्यवाही करने का आश्वासन दिया है।
[2/6, 6:58 PM] Ram Prakash Upaajtak: *झोपड़ी में आग लगने से हुआ लाखों का नुकसान*
*अजीतमल,औरैया।* विकासखंड अजीतमल थाना अयाना क्षेत्र के ग्राम रूपपुर में बीती रात एक एक व्यक्ति की झोपड़ी में आग लग जाने से घर गृहस्थी का सामान व मवेशी जल जाने से लाखों रुपए का नुकसान हो गया। ग्राम प्रधान व क्षेत्रीय लेखपाल ने सहयोग दिलाने का आश्वासन दिया है।
विकासखंड अजीतमल के ग्राम पंचायत अयाना के ग्राम रूपपुरा के छोटेलाल पाल की झोपड़ी में आग लग गई। आग की लपटों को देखकर ग्रामीण दौड़ पड़े और अथक परिश्रम कर आग पर काबू पाया, लेकिन तब तक गृहस्थी का सामान जलकर नष्ट हो गया, एवं 2 भैंसे व एक विदेशी नस्ल की गाय जलकर झुलस गई। छोटेलाल ने बताया कि आग लगने से उसका करीब 3 लाख रुपए का नुकसान हो गया है। घटना की सूचना पर पहुंचे क्षेत्रीय लेखपाल यशोधन ने जांच पड़ताल की है। इसके साथ ही उन्होंने सरकारी आर्थिक सहायता दिलाए जाने का आश्वासन भी दिया है। गरीबी और मुफलिसी के कारण परिजनों का हाल बेहाल था।
[2/6, 7:03 PM] Ram Prakash Upaajtak: *कम्बल बांटने पर 5 नामजद सहित 20 अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज*
*स्टेटिक मजिस्ट्रेट ने कराया मामला दर्ज,सोसल मीडिया पर वायरल वीडियो पर हुई कार्यवाही*
*अजीतमल,औरैया।* सोशल मीडिया पर वायरल हुए कम्बल वितरण का संज्ञान लेते हुए स्टेटिक मजिस्ट्रेट की ओर से आचार संहिता के उल्लंघन का मामला कोतवाली अजीतमल में दर्ज कराया गया है।
बीते दिवस सोशल मीडिया पर क्षेत्र के चांदूपुर गांव में कम्बल वितरण करने का वीडियो वायरल किया गया था। जिसका संज्ञान लेते हुए स्टेटिक मजिस्ट्रेट/ एफएसटी टीम प्रभारी 204 विधान सभा क्षेत्र अवधेश कुमार की ओर से चांदूपुर गांव निवासीगण ग्राम प्रधान विश्वजीत पुत्र छेदालाल, नरेंद्र पुत्र सोनेलाल, मुखिया पुत्र लखवीर, अरविंद पुत्र अगनू, निखिल उर्फ मोंटू पुत्र विजय सिंह, सहित 20 अज्ञात के खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघन आदि में कोतवाली अजीतमल में तहरीर दी गई थी। कोतवाली प्रभारी निरीक्षक नवीन कुमार सिंह ने बताया कि एफएसटी टीम प्रभारी की ओर से दी गई तहरीर के आधार पर मामला दर्ज किया गया है।
[2/6, 7:07 PM] Ram Prakash Upaajtak: *आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर मामला दर्ज*
*अजीतमल,औरैया।* क्षेत्र के एक गांव निवासी युवक के खिलाफ कोतवाली पुलिस ने आपत्तिजनक टिप्पणी पोस्ट करने के आरोप में मामला दर्ज किया है। पुलिस क्षेत्राधिकारी प्रदीप कुमार ने बताया कि अमावता गांव निवासी मोहित सेंगर पुत्र रूपसिंह ने अपनी फेसबुक आईडी से एक जाति विशेष के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी पोस्ट की थी। इस आरोप में उसके खिलाफ सुसंगत धाराओ में मामला दर्ज किया गया है। युवक की तलाश की जा रही है।
[2/6, 7:25 PM] Ram Prakash Upaajtak: *प्रत्याशी नहीं है पसंद तो नोटा का बटन दबाएं*
*औरैया।* इस बार जनपद की सभी विधानसभा सीटों पर 11-11 उम्मीदवार चुनावी मैदान में खड़े हैं। पर यदि आप मतदान बूथ पर अपना वोट डालने जाते हैं और आपको अपनी विधानसभा में लड़ने वाले 11 उम्मीदवारों में से एक भी उम्मीदवार पसंद नहीं है तो आप बेझिझक नोटा का बटन दबाकर अपनी आवाज उठा सकते हैं। लोकतंत्र मे जनता को अपना उम्मीदवार चुनने का अधिकार है। ठीक उसी तरह उसे किसी भी उम्मीदवार को न चुनने का अधिकार भी है। चुनने का अधिकार तभी सार्थक है अगर न चुनने का विकल्प भी मौजूद हो। लोकतंत्र मे जनता का वोट जनता की आवाज की तरह होता है। बैलट मशीन पर नोटा का विकल्प जनता की आवाज को मजबूती प्रदान करता है।
मतदाता वोट देने के लिए मतदान केंद्र पर जाते है। अगर मतदान पत्र या बैलट मशीन पर दिए गए उमीदवारों मे से उसे कोई भी पसंद नहीं आता है । ऐसी स्थिति मे मतदाता क्या करे ? किसे वोट दे ? वोट दे भी या नहीं ?ऐसी स्थिति के लिए नोटा का विकल्प काम आता है।
अगर मतदाता को कोई उमीदवार पसंद नहीं तो वह बेझिझक नोटा का बटन दबा सकता है। नोटा का बटन दबा कर मतदाता यह जाहिर कर देता है की उसे कोई भी उमीदवार योग्य नहीं लगता। नोटा का अर्थ यह है, वास्तव मे नोटा शब्द अंग्रेजी का शब्द है। अंग्रेजी मे नॉन ऑफ दी एवव (नोटा) इसका पूरा नाम है। हिंदी मे नोटा का अर्थ होता है उपरोक्त मे से कोई भी नहीं। नोटा का प्रयोग पहली बार कब हुआ था ? भारत की बात करे तो साल 2009 मे नोटा का प्रयोग पहली बार हुआ था। छत्तीसगढ़ के स्थानीय चुनावों मे पहली बार जनता को नोटा का विकल्प दिया गया था। इसके बाद साल 2013 मे चार राज्यों के विधानसभा चुनावों मे नोटा का इस्तेमाल हुआ। साल 2014 के लोकसभा चुनावों मे पुरे देश मे नोटा विकल्प लागू कर दिया गया था।
नोटा क्यों जरुरी है ?लोकतंत्र को सुरक्षित रखने के लिए नोटा जरुरी है। जनता वोट देकर अपने प्रत्याशी को चुनती है। किन्तु राजनितिक पार्टियों की सांठ गाँठ की नीति के चलते जनता को उम्मीदवार के चुनाव मे उचित विकल्प नहीं मिलता है। जिनको कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं वह मतदान ही नहीं करते। जिसका परिणाम नाकाबिल लोग सत्ता की कुर्सी तक पहुँच जाते है। अयोग्य प्रतिनिधि भीतर से लोकतंत्र की बुनियाद कमजोर करते है। जहा जनता को प्रतिनिधि चुनने का अधिकार है ठीक वैसे ही उम्मीदवारों को अस्वीकार करने का अधिकार भी है। मतदान नहीं करने से अच्छा है की मतदाता नोटा का बटन दबाये।- डीएम सुनील कुमार वर्मा।
[2/6, 8:00 PM] Ram Prakash Upaajtak: *गोवंशों से टकराई कार कई घायल*
*अजीतमल,औरैया।* न्यू ईदगाह कॉलोनी कानपुर नगर निवासी प्रकाश नारायण अपने पुत्र अमन श्रीवास्तव व दामाद विशाल श्रीवास्तव पुत्र स्व0 विजय श्रीवास्तव निवासी आगरा व पुत्री के साथ रविवार को आगरा से कानपुर के लिये कार से जा रहे थे। जैसे ही अनन्तराम क्षेत्र में पंचशील होटल के पास पहुंचे थे। तभी तेज रफ़्तार कार हाईवे पार कर रहे आवारा गौवंशो के झुंड से जा टकराई। टक्कर इतनी जबरदस्त थी, कि कार के अगले हिस्से के परखच्चे उड़ गये। कार सवार सभी लोग बाल – बाल बच गये।
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*हैदराबाद28जून25* से बहुत शर्मनाक खबर है_*