June 27, 2025

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उरई20दिसम्बर*कपड़े,फुटवियर व ईंट पर जीएसटी बढ़ाने के विरोध में सपा व्यापार सभा ने दिया ज्ञापन

उरई20दिसम्बर*कपड़े,फुटवियर व ईंट पर जीएसटी बढ़ाने के विरोध में सपा व्यापार सभा ने दिया ज्ञापन

उरई20दिसम्बर*कपड़े,फुटवियर व ईंट पर जीएसटी बढ़ाने के विरोध में सपा व्यापार सभा ने दिया ज्ञापन

कपड़े व फुटवियर पर 1 जनवरी 2022 से जीएसटी बढ़ाने व ईंट पर भी जीएसटी बढ़ाने के भाजपा सरकार के निर्णय का समाजवादी व्यापार सभा,उत्तर प्रदेश विरोध करती है।आपकी सरकार में नोटबन्दी,जीएसटी, लौकडाउन से पहले ही व्यापारी बर्बाद हो चुके हैं।आपकी व्यापारी विरोधी नीतियों से जन्मीं परिस्तिथियों की वजह से व्यापारी आत्महत्या तंक के लिए मजबूर हुए हैं।आपकी सरकार की गलत नीतियों के कारण व्यापारी बर्बाद हैं और अपने अस्तित्व के लिए चिंतित है।और ऐसे में राहत देने की जगह आपकी सरकार जीवनयापन के लिए सबसे अहम कपड़े,इंट व फुटवियर ( जूतों,चप्पल आदि) पर टैक्स 5 की जगह 12 प्रतिशत बढाके इस व्यापार से जुड़े दुकानदारों, उद्यमियों व भट्टा मालिकों को मौत की शैया पर धकेलने का काम कर रही है।इससे देश विदेश की चुनिंदा बड़ी कंपनियां फायदे में रहेंगी जबकि छोटे व मध्यम वर्गीय व्यापारी व दुकानदार बर्बाद होंगे।आपकी सरकार का यह निर्णय कपड़े,ईंट, जूते,चप्पल से जुड़े हर किस्म के व्यापारी के लिए काल साबित होगा।और उसके बाद कपड़े,ईंट,जूते, चप्पल आदि आम लोगों की पहुंच से दूर ही होंगे।इससे महँगाई बढ़ेगी।लोग घर बनाने के लिए परेशान हो जाएंगे।छोटे व मध्यम वर्गीय व्यापारी के अलावा किसान,छात्र व मजदूर भी भुक्तभोगी होंगे।जब से आप की सरकार ने कपड़े,ईंट व फुटवियर पर जीएसटी बढ़ाने को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया है तबसे इस क्षेत्र से जुड़े व्यापारियों में भयंकर आक्रोश है।कपड़े,ईंट व फुटवियर पर जीएसटी 5% से बढ़ाकर 12% प्रतिशत करना भाजपा की सरकार की संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है।इससे कपड़े,कम्बल,पर्दे,सुतली की नुकीले जाल, रस्सी, तिरपाल, शामियाना, जूते,हवाई चप्पल,ईंट इत्यदि सभी सामान मंहगे हो जाएंगे।व्यापार के लिए परेशान छोटे व मध्यमवर्गीय व्यापारी इससे बर्बाद हो जाएंगे।बड़ी ब्रांडेड कंपनियों व विदेशी कंपनियां ही इससे फायदे में रहेंगी क्योंकि छोटा व्यापारी बढ़े टैक्स के अनुरूप कपड़े,जूते या चप्पल की कीमत तो बढ़ा नहीं पाएंगे और बड़ी कंपनियां इसका फायदा उठाएंगी क्योंकि उनका मार्जिन पहले ही बड़ा होता है और वो इसमें बढ़े जीएसटी को भी समायोजित कर लेंगीं।इससे छोटे व्यापारियों व उद्योगों को बड़े व विदेशी ब्रांडों से मुकाबला करना और कठिन हो जाएगा।पहले ही जूते चप्पल की बनवाई में ज़रूरी कच्चे माल की कीमत एक साल में तीन गुना बढ़ गई है।साथ ही कपड़े व फुटवियर व्यापार में आईटीसी सम्बंधी बड़ी समस्या खड़ी हो जाएगी।कपड़े,जूते,ईंट व चप्पल को आप मर्सिडीज गाड़ी की तरह नहीं देख सकते। सरकार को कोई सरोकार व्यापारी व जनता की कठिनाई को लेकर नही है। आप की सरकार को तो कच्चे माल पर जीएसटी कम कर व्यापारियों को राहत देनी चाहिए।आपके इस निर्णय से इंस्पेक्टराज बढ़ेगा जिससे की उत्पीड़न बढ़ेगा। पहले से ही परेशान छोटा व मध्यम व्यापारी जीएसटी के नाम पर और उत्पीड़न नहीं बर्दाश्त कर पाएगा।ये टैक्स बढ़ा तो एमएसएमई इकाइयों व ईंट भट्ठे की बंदी तय है। हवाई और प्लास्टिक चप्पलें तो बेसिक श्रेणी में आती हैं।जीएसटी से पहले 300 तंक की चप्पल पर टैक्स भी नहीं था।5 प्रतिशत टैक्स से ही कई समस्याएं उतपन्न हुईं और अब 12 प्रतिशत से तो इसका सीधा भार गरीब पर पड़ेगा।देश का 85 प्रतिशत वर्ग सस्ता कपड़ा व चप्पलें पहनता है।12 प्रतिशत टैक्स के बाद कपड़े व फुटवियर की बड़ी व छोटी कंपनियां सब एक ही श्रेणी में आ जाएंगी।कोयला,डीजल व पेट्रोल कीमत में बेतहाशा बढ़ोतरी जारी है। वहीं बालू व मिट्टी की कमी भी ईंट निर्माताओं की सबसे बड़ी परेशानी है। दो साल से ईंट का उत्पादन घटकर आधा हो चुका है। ऐसे हालात में सरकार की ओर से ईंट पर भी जीएसटी की दर पांच से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करना पूरी तरह गलत है। इससे प्रति हजार ईंट की कीमत में एक हजार रुपये तक की बढ़ोतरी हो जाएगी। इसका सीधा असर आमजनता पर पड़ेगा।इस घोषणा का असर सबसे ज्यादा छोटे व्यापारियों पर पड़ेगा। कोरोना काल में सबसे अधिक वस्त्र व फुटवियर व्यवसाय ही प्रभावित हुआ था। नोटबन्दी,विसंगतिपूर्ण जीएसटी व कोरोना से व्यापारी उबर भी नहीं पाया क़ी सरकार ने जीएसटी बढ़ाने की घोषणा कर दी। इससे व्यापार पर असर पड़ेगा। जीएसटी की दर बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं है। ई-कॉमर्स कंपनियों ने पहले ही व्यापार पर प्रतिकूल असर डाल रखा है। अब जो वर्ग ऑफलाइन खरीदारी ज्यादा करता है, उसकी जेब पर भी बोझ बढ़ेगा।

राष्ट्रहित में व छोटे व्यापारियों के हित में कपड़े,ईंट व फुटवियर पर टैक्स बढ़ौतरी के निर्णय को वापस लेकर जीएसटी सरलीकरण पर ध्यान दिया जाए।समाजवादी व्यापार सभा आपसे यह मांग करती है।

सधन्यवाद,

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