आगरा24दिसम्बर2022*एक हंसता है दस रोते हैं का वातावरण समाप्त करो*
*प्रजा के साथ शत्रुवत नहीं मित्रवत व्यवहार करो अन्याय बंद करो- अंकुर जी*
*जनता को चारों जनाधिकार निःशुल्क शिक्षा, रोजगार, सुविधा, संरक्षण सुलभ हो- न्यायधर्मसभा*
आगरा। एक न्यायधर्मी राजनैतिक पार्टी न्यायधर्मसभा के संस्थापक एवं 111 न्यायप्रस्तावों के जनक श्री अरविंद अंकुर जी का कहना है कि जनता के साथ अभी तक पूर्णरूप से न्याय नहीं हो सका है ।
आजादी के बाद जब भारत के नागरिकों में एक को शिक्षा दी गयी दूसरे को नहीं दी गयी। अर्थात् शैक्षिक न्याय नहीं किया गया तब सरकार भारतीयों की थी।
आजादी के बाद जब भारत के नागरिकों में एक को रोजगार दिया गया दूसरे को नहीं दिया गया। अर्थात् रोजगारी न्याय नहीं किया गया, तब सरकार भारतीयों की थी।
आजादी के बाद जब भारत के नागरिकों में एक को आवासीय सुविधाएं दी गयीं दूसरे को नहीं दी गयीं अर्थात् आवासीय न्याय नहीं किया गया, तब सरकार भारतीयों की थी।
आजादी के बाद जब भारत के नागरिकों में एक को चिकित्सादि संरक्षण सेवाएं दी गयीं दूसरे को नहीं दी गयीं। अर्थात् संरक्षण न्याय नहीं किया गया, तब सरकार भारतीयों की थी।
अत्याचारी न देशी होता है न विदेशी, न अपना न पराया, न हिन्दू होता है न मुस्लिम, वह केवल अन्यायी होता है।
अबल वर्ग को सबल के अत्याचार और दुर्व्यवहार रूपी अन्याय से बचाने की व्यवस्था को ही ‘राजनीति’ कहते हैं।
किंतु सबल वर्ग द्वारा अबल वर्ग से शिक्षा, रोजगार, सुविधा, संरक्षण इत्यादि चारों जनाधिकार किसी गांधी, किसी राम, किसी अम्बेडकर, किसी मुहम्मद, किसी जीसस, किसी बुद्ध, किसी नानक, किसी दयानन्द, किसी विवेकानंद, किसी मार्क्स, किसी माओ के नाम पर छीनकर उसे अशिक्षित, बेरोजगार, बेघर, बीमार बनाये रखना कभी न्यायपूर्ण राजनीति नहीं सिद्ध हो सकती।
अपनी ही प्रजा के साथ कूटनैतिक जाल बुनना बंद करो। प्रजा के साथ शत्रुवत नहीं मित्रवत व्यवहार करो अन्याय बंद करो, न्याय का आदर्श स्वीकार करो।
न्याय ही राजनैतिक धर्म है, न्याय ही राष्ट्रीय धर्म है, न्यायालय ही सर्वोच्च मंदिर है। न्यायप्रियता ही मानवता है। पशुता छोड़ो। देश में अन्यायी जंगलराज नहीं
न्यायपूर्ण मंगलराज स्थापित करो।
हे कांग्रेसियों, भाजपाईयों, बहुजनियों, कम्युनिस्टों, कूटनैतिक प्रपंचियों क्या तुम नहीं जानते कि तुम भारतीय जनता के साथ वही अन्याय कर रहे हो जो विदेशी आक्रमणकारियों ने किया है।
हे सबल शिकारियों अबल के न्यायोचित हिताधिकार छीनना बंद करो।
उसे राजकोष द्वारा शिक्षा, रोजगार, सुविधा एवं संरक्षण सेवाएं न्यायपूर्वक समुचित रूप से चारों जनाधिकार प्रदान करो।
एक हँसता है दस रोते हैं का वातावरण समाप्त करो।
जो व्यवहार तुम्हारे अपने लिए दुःखद है वह दूसरों के साथ भी न करो।
शिकारी और शिकार का खेल किसी जंगल में ठीक हो सकता है मानवीय समाज में नहीं।
राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी चन्द्रसेन शर्मा जी ने कहा सरकार को भारत के प्रत्येक नागरिक को चारों न्यायशील जनाधिकार, चारों न्यायशील मानवाधिकार, चारों न्यायशील लोकतांत्रिक विशेषाधिकार तुरंत प्रदान कर देने चाहिए । अब समय आ गया है कि जनता को मालिक बनाया जाये , अब गुलामी समाप्त होनी चाहिए ।
निरंकुशता छोड़ कर , जनता को 12 मताधिकार देकर शासन में सहभागी बनाया जाये ।
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