December 4, 2024

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अलीगढ़09नवम्बर24*एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा नई पीठ तय करेगी,पीठ ने 57 साल पुराना फैसला रद्द किया*

अलीगढ़09नवम्बर24*एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा नई पीठ तय करेगी,पीठ ने 57 साल पुराना फैसला रद्द किया*

अलीगढ़09नवम्बर24*एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा नई पीठ तय करेगी,पीठ ने 57 साल पुराना फैसला रद्द किया*

*एएमयू की स्थापना केंद्रीय कानून के तहत हुई थी इसलिए उसे अल्पसंख्यक का दर्जा पाने का हक नहीं*

*सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की पीठ तय करेगी कि एएमयू अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान है या नहीं*

नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों की संविधान पीठ ने शुक्रवार को 57 साल पुराने एक फैसले को रद्द कर दिया। फैसले में कहा गया था कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान का दर्जा पाने का हकदार नहीं है क्योंकि इसकी स्थापना केंद्रीय कानून के तहत हुई है। संविधान पीठ के इस फैसले के बाद अब तीन जजों की पीठ यह तय करेगी कि एएमयू अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान है या नहीं।मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली 7 जजों की संविधान पीठ ने 43 के बहुमत से फैसला पारित किया। संविधान पीठ के बहुमत का फैसला पढ़ते हुए मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि किसी कानून या कार्यकारी कार्रवाई जो शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना या प्रशासन में धार्मिक या भाषाई अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव करती है, वह संविधान के अनुच्छेद 30(1) के प्रावधानों के खिलाफ है। अनुच्छेद 30 शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन के अल्पसंख्यकों के अधिकार से संबंधित है जबकि अनुच्छेद 30 (1) सभी अल्पसंख्यकों भले ही वह धर्म या भाषा पर आधारित हों, को अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन के अधिकार से संबंधित है।सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की पीठ द्वारा 1967 में अजीज बाशा बनाम भारत सरकार के मामले में कहा गया था कि एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा नहीं दे सकते क्योंकि इसकी स्थापना केंद्रीय कानून के तहत हुई है और यह एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है।

*43 के बहुमत का फैसला*

संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, सूर्यकांत, जे.बी. पारदीवाला, दीपांकर दत्ता, मनोज मिश्रा, एस.सी. शर्मा है। जस्टिस संजीख खन्ना, जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की ओर से मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने फैसला लिखा है, जस्टिस सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता एस.सी. मिश्रा ने अलग-अलग फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए फैसला दिया है।

*एएमयू की स्थापना किसने की, ये जांच करनी होगी*

संविधान पीठ ने बहुमत के फैसले से 1967 के अजीज बाशा मामले में पारित फैसले को खारिज करते हुए कहा कि कोई संस्थान महज इसलिए अपना अल्पसंख्यक दर्जा नहीं खो देगा क्योंकि उसे कानून के तहत बनाया गया। इसके साथ ही, संविधान पीठ ने बहुमत के फैसले में कहा कि अब सुप्रीम कोर्ट को यह जांच करनी चाहिए कि एएमयू की स्थापना किसने की और इसके पीछे किसका दिमाग था। संविधान पीठ ने कहा है कि यदि जांच अल्पसंख्यक समुदाय की ओर इशारा करती है, तो एएमयू संविधान के अनुच्छेद 30 के अनुसार अल्पसंख्यक दर्जा पाने का दावा कर सकता है।

*अल्पसंख्यक संस्थान है ये तय नहीं*

संविधान पीठ के इस फैसले से एएमयू के अल्पसंख्यक संस्थान होने की राह में सबसे बड़ी बाधा दूर हो गई। हालांकि एएमयू अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान है या नहीं, यह अभी तय नहीं हुआ है। यह तय करने के लिए संविधान पीठ ने मामले को सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की नियमित पीठ के समक्ष भेज दिया। साथ ही, पीठ से कहा कि मौजूदा मामले में बहुमत के फैसले में अपनाए गए दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए एएमयू के अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान होने के बारे में निर्णय करें।

*साबित करना होग, समुदाय का हित था*

मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने 118 पन्नों के बहुमत का फैसला पढ़ते हुए कहा कि धार्मिक या भाषाई अल्पसंख्यकों को यह साबित करना होगा कि उन्होंने समुदाय के लिए शैक्षणिक संस्थान की स्थापना की है, ताकि अनुच्छेद 30(1) के प्रयोजनों के लिए यह अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान हो। फैसले में उन कारकों का भी उल्लेख किया जिनका इस्तेमाल यह निर्धारित करने के लिए किया जाना चाहिए कि क्या अल्पसंख्यक ने कोई शैक्षणिक संस्थान स्थापित किया है। यदि हां तो इसके विचार, उद्देश्य और कार्यान्वयन के संकेत संतुष्ट होने चाहिए।

*बलरामपुर समेत आठ जिलों में खुलेंगी नारी अदालतें*

*पायलट प्रोजेक्ट के लिए चुने यूपी के आठ आकांक्षी जिले*

*पारिवारिक, सामाजिक औैर आर्थिक मामलों की सुनवाई*

विजय वर्मा लखनऊ । प्रदेश के आठ आकांक्षी जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर नारी अदालत शुरू होंगी। महिला कल्याण विभाग ने इसका आदेश और गठन संबंधी जरूरी गाइड लाइन जारी कर दी हैं। इन अदालतों में महिलाओं की पारिवारिक, आर्थिक और सामाजिक समस्याओं का निदान होगा। ये महिलाओं को उनसे जुड़े कानून, अधिकारों के बारे में भी प्रशिक्षित करेंगी।महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए राज्य सरकार ने और ठोस काम शुरू किया है। महिलाओं की ऐसी समस्याओं के लिए शासन आगे आया जिस पर वह बात करने, कहने में संकोच करती हैं। वह सामाजिक, आर्थिक और पारिवारिक परेशानियों को लोगों से साझा करने से बचती हैं। इसके चलते वे मानसिक तनाव में रहती हैं। ऐसी महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए शासन ने प्रदेश के आठ आकांक्षी जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत नारी अदालतें शुरू करने का फैसला लिया है। अदालत कैसे काम करेगी, खर्च, मानदेय, सुविधाएं और अधिकार संबंधी गाइड लाइन शासन ने जारी कर दी हैं। इन जिलों में नारी अदालत के फीड बैक पर बाकी अन्य जिलों में विस्तार होगा।

*7-11 महिला सदस्य रहेंगे*

प्रदेश के जिन आठ जिलों में नारी अदालत शुरू होंगी, वहां इनमें 7-11 सदस्य होंगी। नारी अदालत में महिलाएं ही रहेंगी। ये मामलों की सुनवाई कर विभागों, संस्थाओं के साथ पूरी तरह निदान कराएंगी। डीएम सेटअप कमेटी के अध्यक्ष होंगे। सीडीओ, जिला पंचायत राज अधिकारी, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन जनपदीय अधिकारी, जिला सूचना विज्ञान अधिकारी, जिला कार्यक्रम अधिकारी सदस्य, जिला प्रोबेशन अधिकारी सदस्य सचिव होंगे

*इनमें बनेंगी नारी अदालत*

नारी अदालत पहले बलरामपुर, बहराइच, श्रावस्ती, चंदौली, चित्रकूट, फतेहपुर, सिद्धार्थनगर और सोनभद्र में शुरू होगी।

*छात्रों के लिए छात्रवृत्ति आवेदन 15 जनवरी तक*

लखनऊ, विशेष संवाददाता। योगी सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के छात्रों के लिए पूर्वदशम् यानी कक्षा 9 व 10 और दशमोत्तर यानी कक्षा 11 व 12 के छात्रों के लिए छात्रवृत्ति योजनाओं की समय सारिणी का दूसरा चरण शुरू कर दिया है।पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं दिव्यांगजन सशक्तीकरण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नरेंद्र कश्यप ने बताया कि राज्य में कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों और अन्य उच्च कक्षाओं के लिए छात्रवृत्ति योजनाओं का द्वितीय चरण जारी कर दिया गया है। इसके तहत छात्रों को ऑनलाइन आवेदन करने और जल्द से जल्द आर्थिक सहायता प्रदान करने की प्रक्रिया निर्धारित की गई है। इस पहल का उद्देश्य राज्य के ओबीसी छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करना है।निदेशक पिछड़ा वर्ग कल्याण डॉ. वंदना वर्मा ने जानकारी दी कि https//scholarship.up.gov.in पोर्टल पर ओबीसी छात्रों को आवेदन करना होगा। 31 दिसंबर तक सभी शिक्षण संस्थानों को मास्टर डाटा में सम्मिलित किया जाएगा।

*बैंकिंग लेनदेन से फिर जुड़ीं 35 हजार बीसी सखियां*

लखनऊ। ग्रामीण महिलाओं के स्वावलंबन और आर्थिक उन्नति के प्रति सजग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में बैकिंग लेन-देन का माध्यम बीसी सखियां महज छह दिन के अंदर ही फिर से अपने काम धंधे से जुड़ गई हैं। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने यूआईडीएआई अफसरों से बात कर बंद की गई एल-0 डिवाइस को फिर से चालू करा दिया है।31 अक्तूबर को यूआईडीएआई ने फिंगरप्रिंट सेंसिंग मशीन की एल-0 डिवाइस को बंद करने का निर्देश दिया था। इसकी जगह दूसरा विकल्प नहीं दिया गया। जिससे बीसी सखियों की बैकिंग गतिविधियां ठप पड़ गई थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि अफसरों से बात कर बंद डिवाइस को फिर से शुरू कराया जाए।

*स्कूलों में 14 साल से सुरक्षा मानकों का निरीक्षण नहीं*

लखनऊ, विधि संवाददाता। स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर चल रहे एक मामले की सुनवायी के दौरान, हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पाया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2009 में दिए गए दिशा-निर्देशों के बावजूद प्रदेश में स्कूलों का पिछले 14 वर्षों से निरीक्षण नहीं किया गया है। न्यायालय ने इस पर अप्रसन्नता जाहिर करते हुए, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के पिछले दो वर्षों के ‘मिनट्स ऑफ मीटिंग्स’ को तलब कर लिया है। न्यायालय ने कहा कि यदि हम पाते हैं कि आपदा प्राधिकरण ने शीर्ष अदालत के आदेश के बावजूद, इस सम्बंध में कुछ भी नहीं किया है तो यथोचित आदेश पारित किया जाएगा। मामले की अगली सुनवायी 11 नवंबर को होगी।यह आदेश न्यायमूर्ति आलोक माथुर व न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने गोमती रिवर बैंक रेजीडेंट्स की ओर से वर्ष 2020 में दाखिल की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया है। उक्त याचिका में शहर के आवासीय क्षेत्रों में चल रहे स्कूलों का मुद्दा खास तौर पर उठाया गया है।

*सिर्फ तीन स्कूलों ने की पिक-ड्रॉप की सुविधा*

न्यायालय ने हजरतगंज व राज भवन के आस-पास के स्कूली संस्थानों को कक्षा 5 तक के बच्चों को स्कूल परिसर के भीतर से ही पिक-ड्रॉप करने की सुविधा देने का आदेश दिया था। डीसीपी, यातायात प्रबल प्रताप सिंह ने कोर्ट को बताया कि मात्र तीन स्कूलों ने इस आदेश का पालन किया है। इस पर न्यायालय ने न्यायमित्र नियुक्त किये गए, वरिष्ठ अधिवक्ता जेएन माथुर को बाकी के स्कूल प्रबंधन से बात करने की जिम्मेदारी दी है।

*एएमयू अल्पसंख्यक विवाद सन 1967 से 2024 तक*

अलीगढ़, वरिष्ठ संवाददाता। बात दिली भावनाओं से जुड़ी हुई है। यह भावनात्मक नजारा शुक्रवार को सर सैयद के सपने को साकार करते हुए स्थापित किए गए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में देखने को मिला। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एक अजीब से खुशी का माहौल था। हो भी क्यों ना, देश दुनिया में विख्यात 104 बरस पुराने गौरवशाली इतिहास वाले इस शिक्षण संस्थान का अल्पसंख्यक स्वरूप दूसरी बार बहाल हुआ है। हालांकि विवाद की नींव आजाद भारत का संविधान लागू होते वक्त पड़ी। पूरे विवाद पर एक नजर।हाईकोर्ट के फैसले के बाद कई पक्षकार सुप्रीम कोर्ट गए। जहां से आदेश दिया गया कि जब तक कोई सुबूत नहीं मिलता, तब तक यथा स्थिति बनी रहेगी। जिसकी सुनवाई तीन जजों की बेंच ने शुरू की। इस पर एएमयू की ओर से कहा गया कि पूर्व में यह मसला सुप्रीम कोर्ट में चूंकि पांच जजों की बेंच ने सुना था, इसलिए इसे यहां नहीं सुना जाना चाहिए। इस पर तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने 2019 में इस मामले को 7 जजों की संविधान पीठ के पास भेज दिया था। जिस पर सुनवाई करते हुए संविधान पीठ ने 1 फरवरी 2024 को फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिस पर शुक्रवार को फैसला आया है।

*एएमयू और प्रकरण अब तक*

● 1875 में मदरसे की स्थापना

● 1877 में एमएओ कॉलेज बना

● 1920 में एएमयू की स्थापना हुई

● 1951 में एक्ट में बदलाव किए

● 1965 में संसद से स्वरूप खत्म

● 1967 में सुप्रीम कोर्ट में संसद के फैसले पर मुहर

● 1981 में संसद ने स्वरूप बहाल किया

● 2006 में हाईकोर्ट ने स्वरूप खारिज किया

● 2016 में केंद्र ने हलफनामा वापस लिया

● 2019 में संविधान पीठ तय की गई

● 2024 सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया

*सुप्रीम फैसले पर झूमा एएमयू कैंपस*

अलीगढ़, वरिष्ठ संवाददाता। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक स्वरूप को लेकर सर सैयद के इदारे से लेकर देश दुनिया में फैली अलीग बिरादरी के बीच कई दिन से अजीब सी चिंता, बेसब्री, आकुलता, खामोशी और डर था। फैसले की तारीख नियत होने के बाद ये बेसब्री और बढ़ गई थी। मगर शुक्रवार सुबह 11 बजे जैसे ही हक में फैसले की खबर प्रसारित हुई, यह सब फुर्र हो गई। उदासी और खामोशी खुशी में फूट पड़ी। फैसले के इंतजार में बाब-ए-सैयद पर जमा मौजूद स्टाफ व छात्रों की भीड़ में उल्लास का माहौल बन गया। जमकर नारेबाजी के बीच मिठाई बांटकर आतिशबाजी तक की गई। इसी तरह जश्न का माहौल पूरे कैंपस, तलबा व अलीग बिरादरी में देखने को मिला और बधाइयों का दौर देर शाम तक जारी रहा।

*फैसला आते ही उल्लास से भर गया कैंपस,* सुबह 11 बजते-बजते सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद से ही एएमयू कैंपस व अलीग बिरादरी के चेहरों पर मुस्कुराहट फैल गई। बाब-ए-सैयद पर छात्रों, छात्र नेताओ व स्टाफ की भीड़ बढ़ने लगी। कुछ ही देर में वहां नारेबाजी के बीच मिठाई बांटी जाने लगीं। साथ में आतिशबाजी तक कर दी गई। हालांकि एएमयू इंताजमिया की ओर से जश्न पर रोक-टोक की गई। मगर खुशी का आलम ये था कि लोग मानने को तैयार नहीं हुए। पुलिस व एएमयू इंतजामिया के अधिकारियों तक को मिठाई खिलाकर मुंह मीठा कराया गया। बाद में जश्न में शामिल लोगों को वहां से वापस भेज दिया गया।

*सख्ती:एएमयू कैंपस में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम*

शुक्रवार को फैसले के चलते एएमयू कैंपस के अंदर व बाहर चारों ओर और शहर में पुख्ता इंतजाम किए गए। मुख्य द्वार बाब-ए-सैयद, एएमयू सर्किल, सेंचुरी गेट आदि जगहों पर पुलिस तैनाती के साथ-साथ प्रॉक्टोरियल टीम सतर्क रही। बाहरियों को अंदर जाने पर रोक टोक की जा रही थी। जांच के बाद ही छात्रों व जरूरी लोगों को ही अंदर जाने दिया जा रहा था। बाब-ए-सैयद पर सुरक्षाकर्मियों के साथ साथ मीडिया, स्टाफ व कुछ छात्रों का जमावाड़ा था।

*माहौल फैसले पर एएमयू में होती रही चर्चा*

इस फैसले को लेकर जुमे की नमाज के बाद अलग अलग बैठकों का दौर चल पड़ा। हॉल-हॉस्टलों में छात्रों के गुट चर्चाओं में मशगुल रहे। वहीं कार्यालयों से लेकर, ओल्ड ब्वाइज परिसर में अलग टीमें बैठी थीं। मेडिकल से लेकर अन्य सभी फैकल्टी में अलग अलग बातचीत का दौर जारी था। लाइब्रेरी से लेकर कैंटीनों पर अलग संवाद जारी था। हर तरफ खुशी के बीच एक ही चर्चा थी कि सुप्रीम कोर्ट ने हमारी भावनाओं के अनुरूप फैसला सुनाया है। साथ में उसके मायनों पर भी चर्चा होती रही। ये क्रम देर शाम तक जारी था।

सभी लोग सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। हम भी इसका सम्मान करते हैं। अब हम बस इंतजार करेंगे और हम अपने कानूनी विशेषज्ञों से चर्चा करेंगे। मैं अभी कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हूं।त्र

-प्रो.नईमा खातून, कुलपति एएमयू

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय स्वागत योग्य और ऐतिहासिक है। फैसले से एएमयू के शिक्षकों, छात्रों व अलीग बिरादरी में खुशी की लहर है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन जजों की बेंच बनाई गई है। इस बेंच में इस बात की सुनवाई होगी कौन सा विवि अल्पसंख्यक स्वरूप के योग्य है या कौन सा अल्पसंख्यक स्वरूप के योग्य नहीं है। इस पर हम कानूनी राय लेकर और फैसले को समझने के बाद आगे कदम उठाएंगे।

-प्रो.वसीम अली, प्रॉक्टर एएमयू

*नर्सिंग कॉलेज को काउंसिल से मान्यता*

प्रयागराज। मोतीलाल नेहरू मेडिकल के अधीन राजकीय नर्सिंग कॉलेज को इंडियन नर्सिंग काउंसिल से मान्यता मिल गई है। एसआरएन परिसर स्थित नर्सिंग कॉलेज में बीएससी नर्सिंग की 40 सीटें हैं। चार वर्षीय पाठ्यक्रम में इस समय 160 छात्र-छात्राएं अध्ययन कर रहे हैं। इंडियन नर्सिंग काउंसिल से मान्यता मिलने के बाद कॉलेज के छात्र-छात्राओं को देश-विदेश में भी उच्च अध्ययन और नौकरी के अवसर मिलेंगे। मान्यता मिलने से एमएससी नर्सिंग और पीबीबीएससी नर्सिंग में अध्ययन की राह आसान हो जाएगी। इससे पहले प्रदेश स्तर के अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल यूनिवर्सिटी व स्टेट नर्सिंग फैकल्टी से भी इसे मान्यता मिल चुकी है। राष्ट्रीय स्तर की मान्यता पाने वाला यह तीसरा कॉलेज है।

*पंजीकरण को लेकर मांगा डाटा*

प्रयागराज। प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भय्या) राज्य विश्वविद्यालय ने राजकीय, अनुदानित और स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों को निर्देश जारी किया है कि सत्र 2024-25 में त्रुटिपूर्ण या डुप्लीकेट प्रवेश पंजीकरण की जानकारी जल्द से जल्द जमा करें। कुछ महाविद्यालयों ने प्रथम सेमेस्टर में ऐसे छात्रों के प्रवेश पंजीकरण होने की शिकायत की है, जो अध्ययनरत नहीं हैं। ऐसे डुप्लीकेट व त्रुटिपूर्ण पंजीकरणों को ई-समर्थ पोर्टल से हटाने का अनुरोध किया गया है।

*टीजीटी बायो 2011 का साक्षात्कार 29 को*

प्रयागराज। उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग एलनगंज में सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में प्रशिक्षित स्नातक जीवविज्ञान 2011 की लिखित परीक्षा में सफल 164 अभ्यर्थियों का साक्षात्कार 29 नवंबर को सुबह नौ बजे कराया जाएगा। आयोग के सचिव मनोज कुमार के अनुसार, साक्षात्कार कार्यकम वेबसाइट पर प्रदर्शित है। अभ्यर्थियों के साक्षात्कार पत्र डाक से भेजे जा रहे हैं।

*नेट’ में आयुर्वेद-बायोलॉजी शामिल*

*दिसंबर में होने वाली परीक्षा में नए विषय के रूप मेें शामिल होगा*

नई दिल्ली। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) में आयुर्वेद- बायोलॉजी को नए विषय के रूप में शामिल किया है। इसका मुख्य उद्देश्य आधुनिक चिकित्सा प्रणाली के साथ भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्दति को एक सूत्र में पिरोना है।यूजीसी के अनुसार विषय की पहली परीक्षा दिसंबर में होने वाले नेट परीक्षा में होगी। यूजीसी के चेयरमैन एम जगदीश कुमार ने कहा कि एमएससी स्कॉलर जब आयुर्वेद- बायोलॉजी में पीएचडी करेंगे तो वे विश्वविद्यालयों में आयुर्वेद-बायोलॉजी विषय पढ़ा सकेंगे। उन्होंने कहा कि इसके जरिए हम आधुनिक आणविक विज्ञान को प्राचीन चिकित्सा पद्धति के साथ समझना चाहते हैं। इसके जरिए दवा बनाने के लिए क्या नए तरीके विकसित हो सकते हैं, इसका भी पता लगाया जा सकता है। दस यूनिट के पाठ्यक्रम में सभी जरूरी बिंदुओं को शामिल किया जाएगा जिसे परीक्षार्थियों को जानना और समझना जरूरी है।

*विशेषज्ञों ने जताई चिंता* यूजीसी के फैसले पर विशेषज्ञों ने चिंता जाहिर की है। दिल्ली यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर सीमा दास का कहना है कि ये समीकरण छात्रों के लिए कितना सटीक होगा ये देखना होगा।

*ऐसा क्यों किया गया* नेट परीक्षा में विषय को शामिल करने के पीछे केंद्र सरकार की रणनीति है। केंद्र की कोशिश है कि भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली को नई शिक्षा नीति के साथ जोड़ना है। दिल्ली यूनिवर्सिटी, जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी समेत कुछ यूनिवर्सिटी में पहले से आयुर्वेद विज्ञान पर पढ़ाई हो रही है। ऐसे में नेट परीक्षा में नया विषय जुड़ने से इस विषय को धार मिलेगी।

*ईपीएफओ के दावों के निपटान में हो रही देरी*

नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) में जमा धनराशि को निकालने में लोगों को भारी परेशानी आ रही है। ऑनलाइन दावा करने की प्रक्रिया से लेकर दावा करने की स्थिति में दो से ढाई महीने बाद भी लोगों को पीएफ खाते में जमा धनराशि नहीं मिल रही है। इसको लेकर लोग तमाम स्तर पर शिकायतें कर रहे हैं। यहां तक की पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद भी समयबद्ध तरीके से शिकायतों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है।सोशल मीडिया एक्स पर ईपीएफओ को टैग कर की जा रही शिकायतों की भरमार है, जिनसे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ईपीएफओ में अंशदान देने वाले लोगों को अपनी जमा धनराशि को निकलने में भारे परेशानी हो रही है। कई बार ऑनलाइन क्लेम नहीं हो पा रहा है। अगर ऑनलाइन दावा (क्लेम) हो जाता है तो उसे निरस्त करने और समय पर उसका भुगतान न किए जाने के मामले सबसे अधिक हैं। इसको लेकर लोग ईपीएफओ के स्थानीय दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं। सामान्य तौर पर निकासी के लिए ऑनलाइन दावा किए जाने पर 20 दिन में धनराशि को कर्मचारी के खाते में हस्तांतरित कर दिया जाता था लेकिन अब यह समय बढ़कर 50 से 70 दिन तक पहुंच गया है। इसमें भी यह गारंटी नहीं है कि धनराशि जारी होगी या नहीं होगी क्योंकि दावा होने के बाद यह कारण भी नहीं बताया जा रहा है कि इतने लंबे समय तक दावे को क्यों रोका गया है। गुरुवार को इंद्र गुप्ता नाम व्यक्ति ने अपना यूएएन नंबर लिखते हुए ईपीएफओ को टैग करते हुए शिकायत की, जिसमें उन्होंने लिखा कि मैं पहले से शिकायत प्रकोष्ठ में अपनी समस्या को दर्ज करा चुका हूं लेकिन 70 दिन के बाद भी मेरा फॉर्म 10सी लंबित है।ऑनलाइन दिखा रहा है कि शिकायत प्रक्रियाधीन है।

*एक्स पर लिखा-50 दिन हो गए, कब तक इंतजार*

शुभग लखोटिया नाम के व्यक्ति ने अपने दावे का स्क्रीनशॉट ईपीएफओ को टैग करते हुए लिखा कि दावा किए हुए करीब 50 दिन हो गए हैं। आखिरकार इसकी कोई निर्धारित समय सीमा है। इस पर भी ईपीएफओ ने गुरुग्राम कार्यालय को टैग करते हुए लिखा कि मामले में आवश्यक कार्रवाई करें। इसी तरह से दीप चौरसिया नाम के व्यक्ति ने लिखा कि 10 अक्तूबर को मेरे द्वारा दावा किया गया है लेकिन अभी तक प्रक्रियाधीन बता रहा है।आखिरकार दावे के तहत मांगी गई रकम को जारी करने में कितना वक्त लगेगा।

*कागजों में गड़बड़ी होना भी विलंब का कारण बना*

मौजूदा समय में ईपीएफओ जिस सर्वर पर काम कर रहा है, उसपर काफी दबाव है। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय से जुड़े सूत्र कहते हैं कि सर्वर को अपडेट करने का काम चल रहा है। सर्वर पर लॉगिन करने से जुड़ी समस्याओं को सुलझा लिया गया है। करीब 60 फीसदी तक समस्या खत्म हो गई है। अब लोग आसानी से ईपीएफओ की वेबसाइट पर जाकर लॉगिन कर पा रहे हैं।

शेष समस्याओं को दूर करने की दिशा में काम चल रहा है। एक महीने के अंदर ईपीएफओ का सारा सिस्टम ठीक से काम करने लगेगा।

*बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने के दिए निर्देश*

शोहरतगढ़। विकास क्षेत्र के कंपोजिट उच्च प्राथमिक विद्यालय गौरा अलीदापुर का मुख्य विकास अधिकारी जयेन्द्र कुमार ने निरीक्षण किया। उन्होंने शिक्षक एवं छात्र छात्राओं की उपस्थिति पंजिका को देखा। नामाकंन 245 के सापेक्ष मात्र 102 बच्चें उपस्थित मिले। कुछ भवन की प्लास्टर की मरम्मत करने एवं परिसर में इंटरलॉकिंग कार्य कराने के लिए बीडीओ शोहरतगढ़ हर्षवर्धन सिंह को निर्देश दिया गया। इस दौरान शिक्षक अभय कुमार यादव, हिमामुद्दीन,वेद प्रकाश, शिवकुमार गुप्ता, सुमित पांडेय, प्रदीप पाठक, रंजना गुप्ता, रोजगार सेवक, पंचायत सहायक आदि लोग मौजूद रहे।

*माधव प्रसाद त्रिपाठी मेडिकल कॉलेज को मिली बड़ी उपलब्धिनए सत्र से चार विषयों में एमडी-एमएस की कक्षाएं*

*नेशनल मेडिकल कमीशन से अनुमोदन मिलते ही शुरू होगी कक्षा संचालन की तैयारी*

*अटल बिहारी बाजपेयी विवि लखनऊ ने कक्षा संचालन के लिए निर्गत किया पत्र*

सुजीत अग्रहरि सिद्धार्थनगर। चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में माधव प्रसाद त्रिपाठी मेडिकल के लिए अच्छी खबर है। नए सत्र से जनपद के मेडिकल कॉलेज में चार विषयों की 11 सीटों पर एमडी-एमएस की कक्षाएं संचालित की जाएंगी। इसके लिए शासन से मंजूरी मिलने के बाद अटल बिहारी बाजपेयी यूनिवर्सिटी, लखनऊ ने लेटर ऑफ इंटेंट (एलओआई) पत्र निर्गत कर दिया है। कक्षा संचालन के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) को धनराशि का भुगतान भी किया जा चुका है। एनएमसी का अनुमोदन मिलते ही कॉलेज कक्षा संचालन की तैयारी प्रारंभ करेगा।दरअसल, जनपद के मेडिकल कॉलेज के लिए वर्ष 2025 बड़ी उपलब्धि लेकर आ रहा है। कॉलेज एमडी-एमएस की कक्षाएं संचालित करने के लिए काफी प्रयासरत था। कॉलेज ने अटल बिहारी बाजपेयी यूनिवर्सिटी, लखनऊ से पत्राचार कर सत्र 2025-26 से कक्षाओं का संचालन करने के लिए आवेदन किया था। यूनिवर्सिटी ने आवेदन को स्वीकार करते हुए कॉलेज की व्यवस्थाओं का तहकीकात किया। इसके बाद फिजियोलॉजी, एनाटॉमी, बायोकेमेस्ट्री व कम्युनिटी मेडिसिन विभाग में सीटें आवंटित कर एलओआई प्रमाण पत्र निर्गत कर दिया। यूनिवर्सिटी से एलओआई प्रमाण पत्र मिलने व सीटें आवंटित होने के बाद मेडिकल कॉलेज, सिद्धार्थनगर ने एनएमसी पोर्टल पर उक्त चारों विषयों की निर्धारित फीस का भुगतान भी कर दिया है। अब एनएमसी की टीम मेडिकल कॉलेज से भेजे गए समस्त दस्तावेज का परीक्षण करेगी। परीक्षण में कक्षा संचालन की व्यवस्थाएं तय मानक अनुसार मिलते ही निर्धारित सीटों पर नए सत्र से मेडिकल कॉलेज में एमडी-एमएस की कक्षाएं संचालित हो सकेंगी।

*आवंटित सीटें एक नजर में*

*विषय सीटों की संख्या*

फिजियोलॉजी 02

एनाटॉमी 03

बायोकेमेस्ट्री 03

कम्युनिटी मेडिसिन 03

कुल 11

*यह है पीजी सीट लेने की प्रक्रिया*

मेडिकल कॉलेज में पीजी सीट लेने के लिए सबसे पहले शासन से इंसेंसीएलीटी सार्टिफिकेट (अनिवार्यता प्रमाण पत्र) निर्गत होता है। इसके बाद दूसरे नंबर पर यूनिवर्सिटी से एलओआई प्रमाम पत्र निर्गत होता है। यह दोनों स्टेप की प्रक्रिया पूरी होने के बाद तीसरे नंबर पर एनएमसी से परमिशन मिलता है। यहां से परमिशन मिलने के बाद पीजी की कक्षाएं संचालित की जाती हैं।

मेडिकल कॉलेज में सत्र 2025-26 से एमडी-एमएस की कक्षाएं संचालित होने की उम्मीद है। यह कक्षाएं चार विषयों की 11 सीटें पर चलेंगी। यूनिवर्सिटी से एलओआई प्रमाण पत्र मिलने के बाद उक्त सभी विषयों का एनएमसी पोर्टल पर निर्धारित फीस का भुगतान भी किया जा चुका है। अब सिर्फ एनएमसी के परमिशन का इंतजार है। एनएमसी से परमिशन मिलने के बाद नए सत्र से कक्षा संचालन की तैयारी प्रारंभ होगी। कॉलेज को यह उपलब्धि प्राचार्य के अथक प्रयासों से संभव हो सका है। -डॉ. मो. नौशाद आलम, नोडल अधिकारी नेशनल मेडिकल कमीशन, मेडिकल कॉलेज

*सोशल ऑडिट से होगा परिषदीय व कस्तूरबा विद्यालयों का मूल्यांकन*

लखनऊ। प्रदेश के परिषदीय व कस्तूरबा गांधी विद्यालयों का अब सोशल ऑडिट कराया जाएगा। इसके माध्यम से विद्यालयों की पढ़ाई से लेकर योजनाओं की जमीनी हकीकत तक परखी जाएगी। बेसिक शिक्षा विभाग प्रदेश के पांच प्रमुख विश्वविद्यालयों के सहयोग से यह सोशल ऑडिट कराएगा। इसकी संस्तुति के आधार पर वह आगे इसमें अपेक्षित सुधार का प्रयास भी करेगा।प्रदेश के 1.33 लाख परिषदीय विद्यालयों में मिड-डे-मील से लेकर पढ़ाई से जुड़ी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। वहीं बच्चों की उपस्थिति भी बढ़ाने के लिए कवायद की जा रही है। यह योजनाएं धरातल पर कितनी उतर पा रही हैं। योजनाओं का लाभ मिलने में बच्चों को क्या दिक्कत आ रही है। विद्यालयों में पढ़ाई का क्या स्तर है। बच्चों से किसी तरह का भेदभाव तो नहीं हो रहा,जैसी चीजों की जमीनी हकीकत इसके माध्यम से परखा जाएगा।

*एक शिफ्ट में एक ही दिन हो पीसीएस/ आरओ/ एआरओ प्री*

प्रयागराज। सम्मिलित राज्य/प्रवर अधीनस्थ सेवा (पीसीएस) 2024 प्रारंभिक परीक्षा और समीक्षा अधिकारी (आरओ)/सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) 2023 प्रारंभिक परीक्षा एक की बजाय दो दिन में कराने के आयोग के फैसले को प्रतियोगी छात्र स्वीकार करने को तैयार नहीं है। छात्रों की मांग है कि दोनों ही परीक्षाओं के लिए पंजीकृत सभी परीक्षार्थियों की परीक्षा एक ही शिफ्ट में एक ही दिन हो। मानकीकरण जैसी प्रक्रिया का प्रयोग न किया जाए और प्रारम्भिक परीक्षा में सम्मिलित/उपस्थित कुल परीक्षार्थियों के दस प्रतिशत को मुख्य परीक्षा में शामिल किया जाए।

*साक्षात्कार के बाद अंतिम परिणाम घोषित*

लखनऊ। विशेष संवादादाता उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने विभिन्न पदों पर लिखित परीक्षा व साक्षात्कार करा कर अंतिम परिणाम घोषित कर दिए हैं। इनके नतीजे आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। इनमें वरिष्ठ दुग्ध निरीक्षक के 15 पद, खेल निदेशालय में सहायक प्रशिक्षक के छह पद व उद्यान निदेशालय में इलेक्ट्रीशियन का एक पद शामिल है।

*नौ से 12 तक के इन छात्रों को मिलेगा लाभ, शिक्षा के क्षेत्र में योगी सरकार का महत्वपूर्ण कदम*

लखनऊ।योगी सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के छात्रों के लिए पूर्वदशम् यानी कक्षा 9 व 10 और दशमोत्तर यानी कक्षा 11 व 12 के छात्रों के लिए छात्रवृत्ति योजनाओं की समय सारिणी का दूसरा चरण शुरू कर दिया है। इस योजना का उद्देश्य पिछड़े वर्ग के छात्रों को शिक्षा के क्षेत्र में प्रोत्साहन देना और उनके आर्थिक बोझ को कम करना है।पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं दिव्यांगजन सशक्तीकरण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नरेंद्र कश्यप ने बताया कि राज्य में कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों और अन्य उच्च कक्षाओं के लिए छात्रवृत्ति योजनाओं का द्वितीय चरण जारी कर दिया गया है। इसके तहत छात्रों को ऑनलाइन आवेदन करने और जल्द से जल्द आर्थिक सहायता प्रदान करने की प्रक्रिया निर्धारित की गई है। इस पहल का उद्देश्य राज्य के ओबीसी छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करना है, ताकि वे बिना आर्थिक बाधाओं के अपनी पढ़ाई जारी रख सकें।

*ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया और समय सीमा*

निदेशक पिछड़ा वर्ग कल्याण डॉ. वंदना वर्मा ने जानकारी दी कि छात्रवृत्ति योजनाओं के लिए आवेदन प्रक्रिया को पूरी तरह से डिजिटाइज्ड कर दिया गया है, जिससे पारदर्शिता और त्वरित वितरण सुनिश्चित हो सके। ओबीसी छात्रों को https://scholarship.up.gov.in पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। द्वितीय चरण की समय सारिणी के अनुसार 31 दिसंबर 2024 तक सभी शिक्षण संस्थानों को मास्टर डाटा में सम्मिलित किया जाएगा। इसके बाद 5 जनवरी 2025 तक विश्वविद्यालय, एफिलिएटिंग एजेंसियों और जिला विद्यालय निरीक्षकों द्वारा फीस आदि का सत्यापन पूरा किया जाएगा।

*आवेदन और सत्यापन की तिथि*

इस योजना के तहत कक्षा 9-10 के छात्रों के लिए पूर्वदशम् छात्रवृत्ति और कक्षा 11-12 के छात्रों के लिए दशमोत्तर छात्रवृत्ति के आवेदन 15 जनवरी 2025 तक किए जा सकते हैं। इसके बाद 18 जनवरी 2025 तक शिक्षण संस्थानों को छात्रों के आवेदन सत्यापित करने और आगे बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। इस पूरी प्रक्रिया का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि छात्रों को समय पर वित्तीय सहायता मिल सके और उनकी पढ़ाई में कोई रुकावट न आए।

*छात्रवृत्ति का भुगतान और अंतिम समय सीमा*

सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि छात्रवृत्ति की राशि छात्रों के बैंक खातों में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से भेजी जाए। 25 फरवरी 2025 तक सभी पात्र छात्रों को पीएफएमएस (पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम) के माध्यम से छात्रवृत्ति की राशि वितरित कर दी जाएगी। इस त्वरित प्रक्रिया से राज्य में शिक्षा के स्तर को और बेहतर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति होगी।

*योगी सरकार का शिक्षा के प्रति समर्पण*

निदेशक पिछड़ा वर्ग कल्याण डॉ. वंदना वर्मा ने बताया कि योगी सरकार शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए निरंतर प्रयासरत है। पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए इस छात्रवृत्ति योजना का उद्देश्य न केवल उनकी आर्थिक मदद करना है, बल्कि उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाना और उच्च शिक्षा के अवसर प्रदान करना भी है। यह योजना राज्य के पिछड़े वर्ग के छात्रों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार की यह पहल राज्य के युवाओं के भविष्य को उज्जवल बनाने में सहायक सिद्ध होगी। इस योजना से लाखों छात्रों को लाभ होगा और उनके लिए शिक्षा की राह को और भी सुगम बनाया जाएगा।

*निपुण एसेसमेंट परीक्षा की तैयारी के लिए हुई बैठक*

सुवंसा। बेसिक शिक्षा विभाग से कराए जाने वाले निपुण एसेसमेंट टेस्ट की तैयारी का जायजा लेने के लिए शुक्रवार को बीईओ गौरा अमित कुमार दुबे ने न्याय पंचायत पटहटिया कला के अध्यापकों की बैठक बुलाकर उन्हें प्रेरित किया। बैठक में बीईओ ने बताया कि 25 और 26 नवम्बर को कक्षा 1 से 3 तक की निपुण एसेसमेंट परीक्षा होनी है। इसके लिए अध्यापक छात्रों की विद्यालय में प्रतिदिन ओएमआर सीट पर प्रैक्टिस कराएं। इससे परीक्षा में किभी तरह की समस्या का सामना न करना पड़े। बैठक में एआरपी दिनेश चौरसिया, कुलदीप श्रीवास्तव, आशुतोष शुक्ला, गिरीश त्रिपाठी, अरविंद, विनीत, अमित, रत्नाकर, हिमांशु खरे आदि लोग मौजूद रहे।

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