अयोध्या5नवम्बर25*इस्लामिया इंटर कॉलेज रुदौली में एक अज़ीम-उश्शान मुशायरे का हुआ इनइक़ाद
भेलसर(अयोध्या)बज़्म-ए-शेरो-सुख़न, मदरसा तब्लीग़-उल-क़ुरआन के ज़ेरे-एहतमाम इस्लामिया इंटर कॉलेज रुदौली में एक अज़ीम-उश्शान मुशायरे का इनइक़ाद शहीब कोसर की सरपरस्ती में किया गया, जिसकी सदारत हाजी नसीर अंसारी बाराबंकवी ने फ़रमाई और निज़ामत आसिम काकोरवी ने की।
मुशायरे में मेहमान-ए-ख़ुसूसी जब्बार अली (चेयरमैन नगर पालिका परिषद रुदौली) और मेहमान-ए-ज़ी-वक़ार हज़रत मौलाना इमरान मिर्ज़ापुरी रहे। कन्वीनर मुशायरा मास्टर अलीम रुदौलीवी ने अपने मेहमानों की गुलपोशी व शालपोशी करके उनका ख़ैर-मक़दम किया।
मुशायरा कामयाबी के साथ देर रात तक चला। मुशायरे में पढ़े गए पसंदीदा अशआर मंदरजा ज़ेल हैं….
समझ लो मिल गई उस ख़ुश-नसीब को मंज़िल
जो राह-ए-इश्क़ बे-नाम बे-निशां हो जाए
नसीर अंसारी बाराबंकवी
हुस्न ही ऐसा है कुछ हम पे ही नहीं मौक़ूफ़
तुम जहाँ जाओ वहीं चाहने वाले होंगे
मुजीब सिद्दीकी गोंडवी
ता-उम्र ज़ौक़-ए-दीद मुकम्मल न हो सका
मंज़र बदल गया कभी जल्वा बदल गया
सगीर नूरी
हर वक़्त मुझको रहती है बस आरज़ू तेरी
फिरता गली-गली हूँ लिये जस्तजू तेरी
सरवर किन्तूरी
धड़ काट रहा है न वो सर काट रहा है
सय्याद समझदार है, पर काट रहा है
हुज़ेल लालपुरी
क़ौमी यकजहती का यूँ इज़हार होना चाहिए
बिस्मिल व अशफ़ाक़-सा किरदार होना चाहिए
अज़्म गोंडवी
तरक़्क़ी याफ़्ता शहरों में जाकर हमने देखा है
पढ़े-लिखे अंधेरी रात में रिक्शा चलाते हैं
सलीम ताबिश लखनवी
अह्द-ए-उमर (र.अ.) सा किसका हुआ उम्दा माह-ओ-साल
इस्लाम दौर-ए-दोम का कामिल गहर हुआ
शहीब कौसर
हर शख़्स ने हाथों में उठा रखा है पत्थर
अब आइना-ख़ानों की यहाँ ख़ैर नहीं है
शकील रुदौलवी
जो कहा हो वही बात दोहराइए
कुछ घटाना बढ़ाना ज़रूरी नहीं
शुऐब कामिल बाराबंकवी
कहाँ जाना था पर कहाँ आ गए हम
यहाँ पर फ़क़त हर तरफ़ तीरगी है
मुजीब रुदौलवी
कर सकें एक दूसरे की हम ज़ियाफ़त इस लिए
बरकतों को आमद-ए-मेहमान में रक्खा गया
अरशद साद रुदौलवी
इसे छीन पायेगी दुनिया न मुझसे
ये उर्दू ज़बाँ तो मेरी मादरी है
जुनैद अलीआबादी
मर के भी वो हयात रहते हैं
हो गए जो रक़म किताबों में
निसार रुदौलवी
सभी इंसान बराबर हैं जहाँ में लोगो
कोई इंसान भी कमतर नहीं देखे जाते
मास्टर अलीम रुदौलवी
गुल भी और गुलिस्तान तुम हो
मेरी दुनिया मेरा जहाँ तुम हो
सलीम हमदम
जाने वाला चला गया लेकिन
अश्क आँखों में दे गया मुझको
असद उस्मानी
इनके अलावा ताबिश रुदौलवी और प्रिया सिंह ने भी अपना कलाम पेश किया।
मुशायरे में बाक़ायदा शम्स ह़ैदर रुदौलवी, मोहम्मद इरफ़ान ख़ान, मोहम्मद अतीक ख़ान, हाजी बब्बू, जमाल क़ुरैशी, चौधरी नूरुद्दीन, शुऐब ख़ान, अश्तियाक़ हुसैन, आसिफ़ बाबा, मोहम्मद शकैब, मोहम्मद अमीन उस्मानी, साक़िब उस्मानी के अलावा बड़ी तादाद में लोगों ने शिरकत की।
आख़िर में कन्वीनर मुशायरा मास्टर अलीम रुदौलीवी ने शुअरा और सामईन का शुक्रिया अदा किया।

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