अब्दुल जब्बार
अयोध्या18जनवरी24*शायर मुनव्वर राना के सानिहाये इर्तिहाल पर ताज़ियती नशिस्त का हुआ इनइक़ादN
भेलसर(अयोध्या)अंजुमन तामीर-ए-अदब रुदौली के जे़रे एहतिमाम
आलमी शौहरत-ए-याफ़ता शायर मुनव्वर राना के सानिहाये इर्तिहाल पर रुदौली में शकील रुदौलवी की रिहायश गाह पर एक ताज़ियती नशिस्त का इनइक़ाद किया गया जिसकी सदारत जब्बार अली चेयरमैन रुदौली ने फ़रमाई और निज़ामत शकील रुदौलवी ने की।
अंजुमन तामीर अदब के सदर शकील रुदौलवी ने मुनव्वर राना की शख़्सियत पर रोशनी डालते हुए कहा
कि एक अज़ीम शायर के साथ साथ पुर कशिश किरदार के मालिक थे
उनके सानिहाये इर्तिहाल से अदबी हलक़े में जो ख़ला पैदा हुई है
उसका पूरा होना नामुम्किन तो नहीं लेकिन आसान नहीं है।उन्होंने उनके रुदौली आने और मुशायरों में शिरकत करने के वाक़ियात और अपने दरीना ताल्लुक़ात का ज़िक्र किया।
चेयरमैन जब्बार अली साहिब ने भी इस सिलसिले में उनके इंतिक़ाल पर सदमे का इज़हार फ़रमाया
और उर्दू अदब का नाक़ाबिल तलाफ़ी नुक़्सान बताते हुए रुदौली से उनकी उंसीयत और ख़ास ताल्लुक़ का वाक़िया बयान फ़रमाया।
इंजीनियर सरफ़राज़ नस्रूल्लाह ने भी अपनी गुफ़्तगु की इबतिदा इज़हार सदमे से की और उनकी हक़ीक़त पसंदी और नफ़ासतपसंदी को बयान किया।
अंजुमन तामीर अदब के जनरल सेक्रेटरी शहीब कौसर अंसारी ने मरहूम के लिए दुआ-ए-मग़्फ़िरत की और बर्ज़ख़ के अज़ाब से नजात और जन्नत में आला मुक़ाम की दुआ की और हाज़िरीन-ए-मजलिस के लिए गुनाहों की बख़शिश की और अज़ाब क़ब्र से नजात के लिए दुआएं कीं।
दुआ-ए-मग़्फ़िरत की इबतिदा तवुज़ और तसमीया के बाद कलाम-उल-ल्लाह शरीफ़ की आयतों से फ़रमाई और रसूल अल्लाह सल्लल लाह अलैहि वसल्लम पर दुरूद का नज़राना पेश किया।
ख़िराज-ए-अक़ीदत की शक्ल में शोअरा-ए-किराम के चंद अशआर
अदीब -ओ- शायर ए कामिल चले गए राना
हमारे बीच जो कल थे नहीं रहे राना
ख़ुदा मुआफ करे उन के सब गुनाहों को
शहीब वो थे मुनव्वर कहे जिसे राना
शहीब अंसारी
वीरान हो गईं हैं मुहब्बत की बस्तियां
इल्म-ओ-अदब का जो था मिनारा चला गया
सब तिश्ना गान-ए-इल्म को सैराब कर के वो
जो बहर ए बे करां का था धारा चला गया
शकील रुदौलवी
हुस्न-ओ-अख़लाक़ के पैकर थे मुनव्वर राना
इस लिए जग में मुनव्वर थे मुनव्वर राना
पढ़ के मालूम हुआ हमको मुहाजिर नामा
कितने हस्सास सुख़न-वर थे मुनव्वर राना
अरशद साद रुदौलवी
इल्म ओ अदब के बीच से राना चला गया
शम्अ ए अदब का एक दीवाना चला गया
आँखें हैं नम सभी के तो चेहरे उदास हैं
जब से लबों से दूर तराना चला गया
मास्टर मुहम्मद अलीम
इनके इलावा मास्टर मुहम्मद सादिक़ डाक्टर फ़हीम ख़ां मुहम्मद महफ़ूज़ मौलाना एहतिशाम उल-हक़ मिस्बाही (अलीग) असद उस्मानी आमीन उस्मानी दाऊद उस्मानी
इश्तियाक़ अहमद ख़ान ने भी अपने रंज-ओ-ग़म का इज़हार किया।
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