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अयोध्या 2सितम्बर 25**पर्यटन के नकारात्मक प्रभावों से काशी भी नहीं रही अछूती, अयोध्या पर भी लग रहे काले धब्बे.!*..
(ओम प्रकाश सिंह)
रामनगरी में देह व्यापार बढ़ रहा है। नागरिकों की जागरूकता से पुलिस ने कई सेक्स रैकेट पकड़े। जानकारों का कहना है कि धार्मिक से पर्यटन की ओर उन्मुख होना प्रमुख कारण है। पर्यटन के मुख्यतः चार नुकसान होते हैं। पर्यावरण को नुकसान, स्थानीय संस्कृति का ह्रास, स्थानीय लोगो को आर्थिक परेशानियाँ और धीरे धीरे मंहगाई का बढ़ना। सांस्कृतिक नुकसान में आने वाले पर्यटकों की सुखेच्छाओं को पूरा करना भी है। थाईलैंड का पटाया और गोवा इसके उदहारण हैं। देह व्यापार इसका अंग बन जाता है यदि किसी कीमत पर पैसा कमाने की इच्छा बढ़ जाती है। अयोध्या इन सभी प्रभावों से जूझ रहा है।
पौराणिकता की जगह आधुनिकता का सिंगार कर रही रामनगरी अयोध्या के दाग बढ़ते जा रहे हैं। सदियों से जिस अयोध्या की पहचान प्रवाह व प्रार्थना रही है अब उसकी वीथियों में वासना की सिसकियां गूंज रही हैं। पर्यटन नगरी में तब्दील हो रही रामनगरी अपने धार्मिक चरित्र से भटक सी गई लगती है। जल्द अमीर बनने के लिए लोगों ने देह व्यापार के रास्तों को खोज लिया है। अयोध्या के एक-दो होटल में तो फारेन मटेरियल उपलब्ध होने की बतकही भी तैरने लगी है।
जब सदानीरा सरयू में क्रूज दौड़ते हैं तो मनोरम किनारे दिखते हैं और फिर किनारे होने वाली अठखेलियांं भी याद आती हैं। राम की पैड़ी में अठखेलियों के तमाम वीडियो वायरल हुए थे। गीता में कृष्ण ने एक अच्छी बात कही है। जो लोग सोचते हैं कि चलो थोड़ा सा भोग कर लूं फिर साधना कर लूंगा तो या यह हो नहीं पाता, चेतना का हरण हो जाता है। महल कैसे बनते हैं, जिसकी जो कामना होती है उसी अनुसार वह अपने महल बनाता है। महल किसी की कामना का स्वरूप होता है। कोई कुटी बनता है, कोई दो कमरे का मकान तो कोई दस कमरे का तो कोई महल कोई होटल। जब हम किसी की नकल करते हैं तो उसकी कामनाओं की भी कॉपी करते हैं। पश्चिम की संरचना, सिद्धांत उठाएंगे तो उसका चित्त भी उसके साथ-साथ आएगा।
जब हम काशी को क्योटो जैसी सुविधाएं देंगे तो यह कैसे संभव है की क्योटो की चेतना का विस्तार यहां नहीं होगा। पुरानी काशी इसलिए भी बची रह गई है कि काशी की अपनी अकड़ है, अपने अंदाज में काशी जीती है। लेकिन अब काशी भी अछूती नहीं रही। जिन नगरों ने अपने को ज्यादा संवार कर चलना सीखा, वह मिट गए। अयोध्या को भी संवरने से बचना होगा। इसे नदी की तरह बहना होगा नाकि नहर की तरह।अयोध्या में देह धंधा का व्यापार बढ़ गया है। माल के माया जाल में अयोध्या फंसती जा रही है। अयोध्या में पर्यटकों को हर प्रकार का सुख चाहिए।

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