अम्बेडकर नगर21जुलाई*जिला अस्पताल में मरीजों के साथ हो रहा धोखा
निजी मेडिकल स्टोर से सांठगांठ कर मंगवाई जा रही ग्लूकोज की बोतलें
डॉक्टर और कर्मचारियों की मिलीभगत से मरीजों को लगाया जा रहा है चूना
अंबेडकर नगर ।
सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा गरीबों के लिए तरह-तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं। उत्तर प्रदेश सरकार गरीब लोगों के लिए सरकारी अस्पतालों में बुनियादी सुविधाएं मुहैया करने के लिए प्रतिबद्ध है । जहां सरकार जरूरतमंदों को जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए प्रयासरत है वहीं दूसरी ओर सरकारी कर्मचारी अपनी जेब भरने के लिए गरीबों की जेबों को खाली करवा रहे है। जिस प्रकार से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने आयुष्मान भारत जैसी गरीबों के लिए कई योजनाएं चलाई जिससे कि उन्हें फ्री इलाज मिल सके और जिला अस्पतालों में भी दवाइयां फ्री में उपलब्ध हो सके लेकिन अंबेडकरनगर जनपद के जिला अस्पताल में कुछ और ही खेल खेले जा रहे हैं। दवाइयां तो बाहर से लिखी जाती हैं लेकिन अब तो हद ही हो गई डॉक्टर अब मरीजों के लिए ग्लूकोज की बोतले भी मरीजों के तीमारदारों द्वारा बाहर से मंगवा रहे हैं।
यह पूछे जाने पर कि बाहर से ग्लूकोज की बोतलें क्यों मंगवाई जा रही हैं अस्पताल के जिम्मेदार कोई स्पष्टीकरण नहीं दे पाए।
आपको बताते चलें कि वार्ड नंबर 2 मे इसी प्रकार के कई मरीजों से ग्लूकोज की बोतलें बाहर से मंगवाई गई और जिन थैले में ग्लूकोज की बोतल लेकर मरीज आ रहे थे न्यू वर्मा मेडिकल के नाम से उसका थेला था । जब इसकी हकीकत जानने के लिए मीडिया टीम वार्ड नंबर 2 में पहुंची तो वहां पाया कि कई मरीजों से बाहर से ही ग्लूकोज की बोतलें मंगवाई जा रही थी जब मरीजों से इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया की राउंड पर आये डॉक्टर ने पर्चे को लिखकर दिया था तभी हम लोग बाहर से खरीद के लाए हैं एक मरीज ने तो यह भी बताया कि आज से पहले कभी इतनी ज्यादा दवाई बाहर से नहीं लगाई जाती थी लेकिन मरीजों को क्या पता कि डॉक्टर क्या लिख रहे है और क्या मंगवा रहे हैं जब इसके बारे में ड्यूटी पर मौजूद नर्स से भी पूछा गया तो उसने भी इस मामले से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि इसके बारे में डॉक्टर साहब से ही पूछिए जब वहां ड्यूटी पर मौजूद नर्स से डॉक्टर का नाम पूछा गया तो उन्होंने डॉक्टर का नाम विजय बहादुर गौतम बताया । उसके थोड़ी देर बाद एक व्यक्ति मीडिया टीम के पास तुरंत आए और बार-बार यह कहने लगे कि डॉक्टर साहब से बात कर लीजिए लेकिन मीडिया टीम उनसे भी बार-बार वही सवाल कर रही थी कि क्या अब अस्पताल में मरीजों को बाहर से ही ग्लूकोज की बोतल भी लानी पड़ेगी लेकिन अस्पताल के किसी भी मौजूद कर्मचारी ने इसका सही से जवाब नहीं दिया क्या अब जिला अस्पताल में ग्लूकोस की बोतल मरीजों को बाहर से ही लानी पड़ेगी क्या गरीबों की जेब को इसी तरह काटा जाएगा डॉक्टरों कर्मचारियों की मिलीभगत से इसी प्रकार गरीब मरीज लूटते रहेंगे । इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों से भी जब बातचीत की गई तो उनका भी रवैया कुछ ठीक नहीं पाया गया । अब देखना यह होगा कि अस्पताल प्रशासन द्वारा इस मामले में कोई कार्यवाही की जाती है क्या भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए और गरीबों को लुटने के लिए यूं ही छोड़ दिया जाता है।
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