July 5, 2025

UPAAJTAK

TEZ KHABAR, AAP KI KHABAR

अनूपपुर26जुलाई24*साहित्यिक अनुसन्धान का आधार स्तम्भ प्राचीन भारतीय साहित्य - प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी

अनूपपुर26जुलाई24*साहित्यिक अनुसन्धान का आधार स्तम्भ प्राचीन भारतीय साहित्य – प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी

अनूपपुर26जुलाई24*साहित्यिक अनुसन्धान का आधार स्तम्भ प्राचीन भारतीय साहित्य – प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी

हमारी आरम्भिक गुरु माँ होती है – प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी
आत्मा को स्फुरित करने की शक्ति जिससे मिले उसे गुरु कहते है : धर्मेंद्र

अनूपपुर ( ब्यूरो राजेश शिवहरे)यूपीआजतक

अमरकंटक साहित्यिक अनुसन्धान में साहित्यिक तथ्यों को हम तर्क की कसौटी पर कसते है तथा सत्य तक पहुचने की कोशिश करते है, इस सत्य तक पहुचाने में गुरु एक कड़ी, एक मार्गदर्शक एवं सहयोगी की भूमिका में होता है | भारतीय संस्कृति में गुरु को सर्वोच्च स्थान दिया गया है और उनसे ज्ञान की प्राप्ति संभव मानी गई है। भारतीय जीवन शैली में गुरु को ज्ञान दर्शन, पथप्रदर्शक, मार्गदर्शन और प्रेरणा के स्रोत के रूप में देखा जाता है। गुरु या शिक्षक वह व्यक्ति होता है जो लोगों को आध्यात्मिक विकास और ज्ञान के मार्ग पर चलने में मदद करता है, उन्हें मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करने में मदद करता है | भारतीय गुरु परम्परा में गुरु कई होते है जैसे शिक्षक, गुरु, सद्गुरु तथा शास्वत गुरु | आज के ही दिन गुरु की अभ्यर्थना करते है | कबीर दास जी ने गुरु की महिमा को व्याख्यायित करते हुए कहा कि यदि समुंद्र को स्याही बना दें, समस्त वनों को लेखनी बना दें, तथा सारी पृथ्वी को काग़ज़ बना दें, तब भी गुरु तत्व के अनंत गुणों को नहीं लिखा जा सकता है । वास्तव में गुरु हमें चैतन्य स्थिति में लाने का कार्य करता है, हमारे होने पर भी हमारे होने जैसा ही रहने देने की स्थिति में लाने का कार्य करते है | गुरु हर वह व्यक्ति या प्राणी है, जो औपचारिक तथा अनौपचारिक रूप से निरंतर कुछ न कुछ सिखाता रहता है, ध्यान पूर्वक विचार करे तो हम अपने निजी सहयोगी से भी बहुत कुछ सीखते है | इसी प्रकार बच्चों से क्षमाशीलता, सुचिता, पवित्रता सीखते है | हमारी आरम्भिक गुरु हमारी माँ है जो प्रत्यक्ष है, परमात्मा भी गुरु है जो सर्वत्र है, शिक्षक हमारे गुरु है, शास्त्र हमारे गुरु है जिसमें वेद, पुराण, गुरु ग्रन्थ साहिब, आते हैं । शास्त्र के आदेशानुसार श्रेष्ठ लोग गुरु होते हैं जैसे नारद जी, शुकदेव जी, बुद्ध इत्यादि | वस्तुतः शास्त्रोक्त गुरु श्री कृष्ण और भगवान शिव है | इस प्रकार आगम और निगम दोनों ही प्रकार के गुरु परम्परा के ज्ञान से शिष्य और लोग लाभान्वित होते रहते है | उक्त बाते इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक के अखिल भारतीय साहित्य परिषद्, महाकौशल प्रान्त अनूपपुर इकाई के तत्वावधान में गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर “ गुरु की भूमिका व साहित्यिक अनुसन्धान” . विषयक कार्यक्रम में उद्बोधन देते हुए बतौर अध्यक्ष इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक के कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने कही |
आगे उन्होंने ज्ञाता, ज्ञान और ज्ञेय के अभिप्राय को स्पष्ट करते हुए यह कहा कि ज्ञाता वह व्यक्ति होता है जो ज्ञान प्राप्त करना चाहता है, सीखने की कोशिश करता है, जिज्ञासु होता है !जबकि वृति और प्रवृति दो कारक होते है जो ज्ञाता निर्धारित करते है, वहीं हमारी प्रवृति से हमारी प्रकृति भी बनती है | इस प्रकार ज्ञान के सम्बन्ध में दो तथ्य विशेष रूप से वर्णित है “ज्ञायते इति ज्ञानम” तथा “ज्ञायते अनेम ज्ञानम” | “ज्ञायते इति ज्ञानम” का अर्थ होता है कि ज्ञान वह है जिसे समझा या पहचाना जा सके। जो अनुभव या अध्ययन के माध्यम से स्पष्ट रूप से जाना जा सके। “ज्ञायते अनेम ज्ञानम” गूढ़ और अद्वितीय ज्ञान की अवधारणा को व्यक्त करने के लिए उपयोग किया जाता है, जो आम अनुभव या समझ से परे होता है। साहित्य में अनुसन्धान पद्धतियों पर विचार रखते हुए कहा कि साहित्य में सर्जनात्मकता का स्वरूप होता है जो दर्शन से भी आगे जा कर सोचता है अतः वह दार्शनिक भी है और शास्वत भी है | पाणिनी का अष्टाध्यायी बताता है कि किस प्रकार साहित्य में रस, छन्द और अलंकार तथा व्याकरण साहित्य की पद्धति होते है | भारत की प्राचीन साहित्यिक परम्परा में शिल्प विधान तथा कार्यकरण सम्बन्ध विशेष महत्व रखते है | वस्तुतः साहित्यिक अनुसन्धान की मर्यादा लोक हित के लिए हो और आदर्श और नैतिकता से आबद्ध हो तथा उसके मूल में सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत् हो |
इस अवसर पर कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी, विशिष्ट अतिथि श्रीमती शीला त्रिपाठी, अध्यक्ष शील मंडल एवं मुख्य अतिथि धर्मेन्द्र पाण्डेय पत्रकार एवं पूर्व अध्यक्ष अखिल भारतीय साहित्य परिषद, महाकौशल प्रान्त सहित डॉ. विजय नाथ मिश्रा , प्रो. मनीषा शर्मा व अन्य विद्वानो ने विद्या की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती के चित्र पर पुष्पार्चन, माल्यार्पण व दीपप्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की | कार्यक्रम के अध्यक्ष माननीय कुलपति जी सहित मंचासीन अतिथियों को स्मृतिचिन्ह, अंगवस्त्र, पुष्पगुच्छ तथा श्रीफल भेंट कर स्वागत और सम्मान किया गया |

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि धर्मेन्द्र पाण्डेय ने कहा की बुद्ध की उन्नति तो हमें पुस्तकों के अध्ययन से प्राप्त होती है, ग्रंथो से केवल हमारी बुद्धि को सहायता मिलती है आत्मा को नहीं।आत्मा को स्फुरित करने की शक्ति तो किसी दूसरी आत्मा से ही प्राप्त होती है, जिस आत्मा से यह शक्ति प्राप्त होती है उसे गुरु कहते हैं। जिस आत्मा को यह शक्ति प्रदान की जाती है वह शिष्य कहलाता है।
श्री पाण्डेय ने गुरु और साहित्य विषय पर उद्बोधन देते हुए कहा की गुरु और साहित्य भारतीय संस्कृति और शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। गुरु, जो शिक्षक और मार्गदर्शक होते हैं, शिष्यों को न केवल शैक्षणिक ज्ञान बल्कि जीवन के विभिन्न पहलुओं में भी मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। भारतीय साहित्य, जिसमें काव्य, कहानी, उपन्यास, नाटक और अन्य रचनाएँ शामिल हैं, भारतीय समाज के विचारों, संस्कारों और भावनाओं से परिपूर्ण है और उसे व्यक्त भी करता है। गुरु और साहित्य का संबंध इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि गुरु शिष्यों को साहित्य के माध्यम से नैतिक और सांस्कृतिक शिक्षा देते हैं, जिससे साहित्यिक कृतियों के अध्ययन से शिष्य न केवल भाषा और साहित्य के प्रति प्रेम विकसित करते हैं बल्कि समाज और जीवन के गहरे आयामों को भी समझते हैं।

कार्यक्रम में बीज वक्तव्य दर्शनशास्त्र विभाग के सहायक आचार्य तथा अखिल भारतीय साहित्य परिषद् महाकौशल प्रांत के अध्यक्ष डॉ. राकेश सोनी ने प्रस्तुत की | जबकि अखिल भारतीय साहित्य परिषद् अनूपपुर संभाग के अध्यक्ष डॉ. ऋषि पालीवाल ने अपने उद्बोधन में सभी अतिथियों का स्वागत किया | कार्यक्रम का सफल संचालन राजनीति विज्ञान एवं मानवाधिकार विभाग के सहायक आचार्य व शहडोल संभाग अध्यक्ष डॉ. उदय सिंह राजपूत ने किया तथा आभार ज्ञापन राजनीति विज्ञान एवं मानवाधिकार विभाग के सहायक आचार्य डॉ. पंकज तिवारी ने किया ।
इस अवसर पर प्रमुख विद्वानों में विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी सहित अन्य शिक्षक ,शिक्षिकाएं उपस्थित रहे |

Taza Khabar

Copyright © All rights reserved. | Newsever by AF themes.