अनूपपुर 21 सितम्बर 24 *योग, परामर्श तथा मेडिकल सुविधाओं से मानसिक विकारों का समाधान संभव – डॉ. श्रुति
अनूपपुर (ब्यूरो राजेश शिवहरे) 21 सितंबर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक के मनोविज्ञान विभाग तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, भोपाल के संयुक्त तत्वावधान में युवाओं में तनाव के समाधान हेतु मानसिक तनाव समाधान शिविर का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने सभी युवाओं एवं जनसमुदाय के मानसिक स्वास्थ्य तथा कल्याण के लिए अपना आशीर्वचन प्रदान किया l। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता, छात्र-कल्याण प्रो. अजय बाघ ने उद्बोधन देते हुए कहा कि हमे यह समझना होगा की जब हम अपने विचारों का प्रदर्शन करते हैं, तो वो या तो सक्रिय रूप से अथवा निष्क्रिय रूप से प्रदर्शित होता हैl मन में चल रहे हमारे विचार हमारे शरीर को प्रभावित करता है। हमारे विचार तमाम तरीके के पर्यावरणीय कारकों से प्रभावित होता है, जिससे तनाव की उत्पत्ति होती। ये तनाव या तो यूस्ट्रेस के रूप में होते हैं, जिसे गुडस्ट्रेस कहा जाता है और दूसरा डिस्ट्रेस के रूप में होता है, जिसे बैड स्ट्रेस कहा जाता है। अत्यधिक डिस्ट्रेस व्यक्ति के लिए हानिकारक होता है। तीन स्थितियां व्यक्ति में तनाव को जन्म देती हैं- प्रथम व्यक्ति जब यह मान लेता है कि ऐसा होने वाला है, दूसरा जब अतिशय चिंतित रहता है तथा तीसरा कुसमायोजित तरीके के व्यवहारिक कार्यों को अपनाता है। वस्तुतः किसी भी व्यक्ति के उत्तम निष्पादन के लिए मध्यम स्तर के तनाव का होना अत्यधिक जरूरी होता है, तथापि अत्यधिक तनावपूर्ण परिस्थितियों का समाधान सक्रिय तथा समायोजित व्यवहारिक व्यपदेशों के माध्यम से किया जा सकता है। वास्तव में कल कभी मरता नहीं तथा सफलता और असफलता जीवन के एक अंग है, इस विचार को मस्तिष्क में सदैव जीवित रखना चाहिए।
कुष्ठ चिकित्साधिकारी, अनूपपुर डॉ. ने ‘तनाव प्रबंधन’ विषय पर उद्बोधन प्रस्तुत करते हुए यह कहा की तकनीकी ज्ञान हमारे सफलता के मार्ग में एक सहायक की भूमिका प्रस्तुत कर रहा है, तो वहीं इसका अतिशय उपयोग आपसी संबंधों को कमजोर कर रहा है जो व्यक्तिगत रूप से मानसिक तनावों को भी जन्म देता है। सरकार द्वारा मानसिक बीमारियों से निपटने के लिए कई वेलनेस एक्टिविटी यथा; प्रधानमंत्री आयुष्मान आरोग्य केंद्र, राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यकम इत्यादि संचालित हो रहे हैं। इसलिए लोगों को जागरूक होकर मेडिकल सुविधाओं का अधिकाधिक लाभ उठाना चाहिए । अपने उद्बोधन के उपरान्त डॉ. द्विवेदी नें मनहित ऐप के माध्यम से विद्यार्थियों को मानसिक विकारों की पहचान करना और मनोचिकित्सक की पहुँच को सुगम बनाने हेतु प्रेरित किया।
अनूपपुर जिला अस्पताल की मनोचिकित्सक डॉ. श्रुति सिंह ने विस्तृत रूप से ‘मानसिक स्वास्थ्य तथा तनाव प्रबंधन’ पर चर्चा करते हुए विभिन्न मानसिक विकारों को उद्धृत करते हुए यह कहा की स्वास्थ्य पूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण की स्थिति है । जब व्यक्ति जीवन जीने के क्रम में तमाम व्यक्तिगत तथा परिस्थितिगत श्रोतों से नकारात्मक तरीके से प्रभावित होता तो मानसिक विकारों का जन्म होता है, जिसमें तनाव, चिंता, सोशल स्टिगमा, डिप्रेशन, ड्रग एडिक्शन, मनोविदलिता इत्यादि प्रमुख है, जिसकी परिणति क्रोध, नीद न आना, हाथ पाव फूलना, पसीने आना, बेचैनी, घबराहट, चिंतित रहना से ले कर आत्महत्या जैसी स्थिति प्रदर्शित होती है। डॉ. श्रुति ने मानसिक समस्या के कारण और निवारण पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ऐसे लक्षणों को चिन्हित कर कई निवारण साधनों का सहारा लिया जा सकता है यथा: सही योग प्रशिक्षकों की सहायता से योग की क्रियाविधि तथा मेडिटेशन को अपनाना, किसी व्यक्ति को ब्लेम न करना, मानसिक बीमारियों की समझ रखना, मनोचिकित्सक से परामर्श लेना तथा मेडिकल सुविधाओं का तुरंत लाभ उठाना।
कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत मंचासीन अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन तथा पुष्पार्चन कर किया गया। मनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. ललित कुमार मिश्र ने विषय प्रवर्तन तथा अतिथियों के प्रति स्वागत उद्बोधन प्रस्तुत किया साथ ही साथ विभागीय शिक्षकों के साथ पुष्पगुच्छ एवं श्रीफल दे कर अतिथियों का स्वागत किया। विश्वविद्यालय के चिकित्साधिकारी डॉ. शिवांक मणि त्रिपाठी ने सभी अतिथियों के प्रति आभार ज्ञापन किया तथा कार्यक्रम का सफल संचालन मनोविज्ञान विभाग की शोध छात्रा श्रीमती प्रज्ञा मिश्रा ने किया। इस अवसर पर उप दंत चिकित्सक डॉ. प्रीति साहू, उप-कुलसचिव डॉ. संजीव सिंह, राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक के सहित बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय के विद्यार्थी उपस्थित रहे ।
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