अनूपपुर 20 जुलाई 24*कार्यालय अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, शहडोल जोन, शहडोल (म.प्र.)
*:: प्रेसनोट ::*
पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले एडीजीपी डीसी सागर का खिलाडि़यों को संदेश
अनूपपुर ( ब्यूरो राजेश शिवहरे )नार्थ ज़ोन के चैम्पियनशिप में अण्डर-16 महिला फुटबाल खिलाड़ी एवं अण्डर-14 शतरंज महिला एवं पुरुष खिलाड़ी अंतर्राज्यीय स्तर पर सफलता के बाद अपने कोच के साथ डीसी सागर एडीजीपी शहडोल ज़ोन से कार्यालय में आकर भेंट की। नार्थ चैम्पियनशिप नोयडा दिल्ली में जिला शहडोल के खिलाडि़यों ने अण्डर-16 आयु वर्ग में फुटबाल में द्वितीय रैंक और अण्डर-14 आयु वर्ग में शतरंज में गोल्ड मेडल प्राप्त किया है। यह टीम एचसीएल फाउंडेशन द्वारा चेन्नई में दिनांक 23.07.2024 से 25.07.2024 तक राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में शामिल होने जा रही है।
इस अवसर पर डीसी सागर एडीजीपी शहडोल ज़ोन ने सभी खिलाडि़यों को शुभकामनाएं दी और ‘‘विजयी भव:’’ होने का आशीर्वाद दिया। साथ ही उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए अनेक प्रेरणास्पद बातें बताईं। इनमें से प्रमुख रूप से खिलाडि़यों का ध्यान भारत के पावन ग्रंथ रामचरित मानस के लंकाकाण्ड में भगवान श्री राम द्वारा विभीषण के पूछे जाने पर कि मायावी रावण से आप कैसे विजयी होंगे क्योंकि आपके पास तो रथ भी नहीं है अर्थात् आप रथविहीन हैं। यह सुनकर बहुत ही सहज भाव से समझाते हुए भगवान श्रीराम ने चौपाई के माध्यम से विजय रथ की परिभाषा समझाई :
सौरज धीरज तेहि रथ चाका। सत्य शील दृढ़ ध्वजा पताका।।
बल बिबेक दम परहित घोरे। छमा कृपा समता रजु जोरे।।
इस चौपाई का तात्पर्य फुटबाल चैम्पियनशिप को जीतने की कुशल रणनीति बनाकर खेलने के लिए उपयोगी किस प्रकार सिद्ध होगा, इस पर प्रकाश डाला। चौपाई में विजय रथ के अंतर्गत 12 चारित्रिक गुणों को बहुत ही सटीक तरीके से समझाया गया है, जैसे – बहादुरी, धैर्य, सच्चाई, शील, दृढ़ संकल्प, ताकत, विवेक, आत्म-नियंत्रण, परहित, क्षमा कृपा, आभार और समानता।
भगवान श्रीराम ने इस चौपाई में रथ को रूपक मानते हुए कहा है कि जिस प्रकार से रथ को गति देने के लिए दो पहिए होते हैं उसी प्रकार जीवन रूपी रथ को गति देने के लिए दो अनन्य गुण जैसे- शौर्य एवं धैर्य होते हैं। चौपाई की दूसरी पंक्ति में रथ पर लगी तीन ध्वज पताकाओं को रथ के महारथी का परिचायक बताया गया है। उसी प्रकार, मनुष्य के अंदर भी तीन गुण जैसे – सत्य, शील और दृढ़ता का विद्यमान होना विजयश्री दिलाने के लिए सहभागी होता है। चौपाई की तीसरी पंक्ति में जिस प्रकार रथ को खींचने के लिए चार घोड़ों का उल्लेख किया गया है, उसी प्रकार मनुष्य के जीवन रूपी रथ को विजय की ओर खींचने के लिए चार उपयोगी गुण – बल, विवेक, आत्म नियंत्रण एवं परहित का होना आवश्यक है। चौपाई की चौथी पंक्ति में रथ को गतिशील बनाने वाले चार घोड़ों को तीन रस्सियों अर्थात् लगाम से नियंत्रण में रखा जाता है, उसी प्रकार जीवन रूपी रथ के घोड़ों को तीन सशक्त प्रवृत्तियों से नियंत्रण में प्रवृत्त किया जा सकता है, जैसे क्षमा, कृपा और समानता की भावना। इस अवसर पर उपस्थित भाव विभोर सभी खिलाडि़यों एवं उनके कोच को भगवान श्रीराम द्वारा युद्ध में विजय रथ के गुणों को ध्यान में रखकर खेलने के लिए प्रेरित किया। प्रमुख रूप से खेल को धैर्यपूर्वक दृढ़ता से, समता का भाव रखते हुए बल और विवेक का प्रयोग करते हुए अपने ऊपर नियंत्रण कर खेल भावना से खेलने का सुझाव दिया। खिलाडियों द्वारा प्रोत्साहन के लिए ‘’लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती’’ सुनाने के लिए आग्रह किया गया, जिसे सहर्ष स्वीकार करते हुए अपने चिर-परिचित ओजपूर्ण में आवाज में सुनाया गया।
इस अवसर पर रेलवे स्कूल शहडोल से सुहानी कोल, राहत परवीन, आयशा खान, गरिमा चौधरी, कृषिका यादव, मान्यता गुप्ता, रागिनी सेन, महारानी लक्ष्मी बाई स्कूल से एकता केवट, सपना गुप्ता, सृष्टि सोंधिया, सादिया अंजुम, विचारपुर फीडर सेंटर से सानिया कुण्डे, दिव्या सिंह, काजल सिंह, संगीता बैगा, गीता बैगा, शीतल सिंह, दिव्या सिंह, शतरंज खिलाड़ी – ईमाद अहमद, पूर्वी गुप्ता, कोच – यशोदा सिंह – फुटबाल, लक्ष्मी सहीस – फीडर सेंटर, सीताराम सहीस – फीडर सेंटर, मो. रहीम खान – पीटीआई रेलवे स्कूल से उपस्थित रहे।
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