हरिद्वार06अगस्त25*हिंदू धर्म में पूजा-पाठ के साथ-साथ आरती और मंत्र जाप का विशेष महत्व है। कोई भी पूजा इनके बिना अधूरी ही है।
हरिद्वार से कालुराम की खास खबर…..
वहीं कई लोग आंख खोलकर भगवान की आरती या फिर मंत्र का जाप करते हैं। वहीं कुछ लोग बंद आंखों से ये काम करते हैं। कभी सोचा है कि कौन सा नियम या तरीका सही है? बता दें कि स्कंद और पद्म पुराण में इस बात का जिक्र है। तो चलिए जानते हैं कि आखिर सही तरीका कौन सा वाला है?
दरअसल आरती और मंत्र जाप के समय जब हम अपनी आंखों को खुला रखते हुए भगवान के विग्रह का दर्शन करते हैं, तो इसका खूब पुण्य मिलता है। इससे व्यक्ति को भगवान और आत्मा का जुड़ाव महसूस होता है। स्कंद और पद्म पुराण में यही लिखा है कि आंख बंद करके आरती करने से इंसान को इसके अनगिनत फल मिलते हैं। ऐसे में जब आंख बंद करते हैं तो ये अनुभव अधूरा रह सकता है।
आंख बंद करके आरती करना या फिर मंत्र जाप करने को भी गलत नहीं कहा जा सकता है। कुछ लोग मन से आराध्य से जुड़ना चाहते हैं। उनके लिए ये करना सही रहते है। वहीं जब भी हम अपनी आंखों को बंद करते हैं तो बाहर की हर एक एक एनर्जी से तुरंत कट जाते हैं। ऐसे में बाहर की कोई भी नेगेटिव एनर्जी हमें अपनी ओर नहीं खींच पाती है।
जैसे ही हम बाहरी एनर्जी से कटते हैं, हमें तुरंत ही अपने अंदर की एनर्जी का आभास होता है। वहीं ऐसा करने से हम शरीर की इंद्रियों पर फोकस कर पाते हैं। इसे कई लोग उच्च स्तर की भक्ति भी कहते हैं। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि अगर हमारी आंखें खुली होंगी तो यकीनन मन भटकेगा और आसपास की चीजों पर बार-बार ध्यान भी जाएगा। ऐसे में आरती या फिर मंत्र जाप के के वक्त आंख बंद करने से सब आसान हो जाता है। कुल मिलाकर आंख बंद हो या फिर खुली अगर शांत मन से हम आरती और मंत्र का जाप करें तो इससे हमें उस आरती और मंत्र की एनर्जी का एहसास सही तरीके से होगा। ये अनुभव अपने आप में ही अलग होता है।
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