लखनऊ2अक्टूबर25*महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया*
लखनऊ से विशाल गुप्ता की रिपोर्ट यूपीआजतक
लखनऊ*उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ तथा जनपद न्यायाधीश / अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, मथुरा के निर्देशानुसार आज दिनांक 02 अक्टूबर, 2025 को महात्मा गाँधी जी व श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयन्ती के अवसर पर प्रातः 08.00 बजे से जनपद न्यायालय, मथुरा स्थित केन्द्रीय सभागार में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी की अध्यक्षता प्रभारी जनपद न्यायाधीश श्री राम किशोर पाण्डेय द्वारा की गई। संगोष्ठी में सर्वप्रथम प्रभारी जनपद गायाधीश श्री राम किशोर पाण्डेय द्वारा समस्त न्यायिक अधिकारीगण व कर्मचारीगण के साथ महात्मा गाँधी जी तथा श्री लाल बहादुर शास्त्री जी के चित्र पर माल्यार्पण व पुष्प अर्पित किये गये। संगोष्ठी का संचालन श्री महावीर, वरिष्ठ लेखालिपिक, जनपद न्यायालय, मथुरा द्वारा किया गया। इस अवसर पर बार एसोसिएशन, मथुरा के अध्यक्ष व सचिव उपस्थित रहे।
तत्पश्चात् महात्मा गाँधी के प्रिय भजन “रघुपति राघव राजा राम” तथा “वैष्णव जन से कहिए, पीर पराई जाने” प्रस्तुत किये गये।
महात्मा गाँधी जी व श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयन्ती पर वक्ताओं द्वारा बताया गया कि महात्मा गाँधी ने मध्यस्थता को अपना अधिकार बनाकर सभी लड़ाई लड़ी थीं तथा उन्होंने महात्मा गाँधी के अनुभवों को सभी के साथ साझा किया। इनके द्वारा बताया गया कि मध्यस्थता से तय होने वाले मुकदमों में दौनों पक्षकारों की सहभागिता व दौनों पक्षों की विजय को चित्रार्थ किया गया तथा रामायण काल व महाभारत काल में मध्यस्थ की बात पर अमल न करने के दुष्परिणामों से अवगत कराया तथा सभी से आव्हान किया वि इस प्रक्रिया को आम जनमानस तक पहुँचाया जाये।
संगोष्ठी के अध्यक्षता करते हुए प्रभारी जनपद न्यायाधीश श्री राम किशोर पाण्डेय द्वारा महात्मा गाँधी द्वारा अपनाये गये नियमों को पालित करने और मध्यस्थों की भूमिका पर प्रकाश डाला गया। उन्होंने बताया कि गाँधी जी के नेतृत्व में देशभर में महिलाओं के अधिकारों एवं धार्मिक व जातिय एकता को बढ़ावा देने के कई आन्दोलन चलाये। प्रभारी जनपद न्यायाधीश द्वारा न्यायालय की सुरक्षा में लगे सभी सुरक्षाकर्मियों, सफाईकर्मियों, कर्मचारियों व न्यायिक अधिकारियों को महात्मा गाँधी जी व श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयन्ती की शुभकामनायें देते हुऐ इनके जीवन पर प्रकाश डाला गया तथा बताया कि किस प्रकार से न्याय प्रणाली मानव के जीवन में संतोष व सुखद अनुभूति प्रदान करती है और यदि विवाद उत्पन्न हो जाये तो उसे आपसी वार्ता के आधार पर कैसे सुलझाया जाये।
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