लखनऊ04दिसम्बर23*कॉंग्रेस को भारी पड़ा पिछड़ों, दलितों और पसमांदा मुसलमानों को नजरअंदाज करना।
*अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग महासंघ #छत्तीसगढ़, #मप्र और #राजस्थान के चुनाव नतीजों ने बता दिया कि…? *काँग्रेस का पिछड़ों, दलितों और पसमांदा मुसलमानों को #नजरअंदाज करना, साथ ही कांग्रेस पार्टी द्वारा अपनी कथनी और करनी (जातिगणना) में फर्क़ रखना उसे बहुत भारी* पड़ा..?
*साथ ही इस चुनाव से कॉंग्रेस सहित #सपा, #बसपा, #राज़द, #जदयू आदि को भी स्पष्ट #संदेश मिला है कि अगर उन्हें आगे *कामयाब होना है तो उन्हें भाजपा के सबसे बड़े कोर वोटर यानी सवर्ण वोट पाने के #भ्रमजाल / लालच से खुद को बाहर निकालना* होगा…? यानी उन्हें अब *सिर्फ़ पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (मुस्लिम)… अर्थात #PDA (85%) बनाम #सवर्ण (15%) का इकलौता फ़ार्मूला ही #कामयाब बना सकता* है…?
लोकसभा चुनाव के पहले अभी भी समय है कि *जातिगणना और हिस्सेदारी समर्थक सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियां* अपने-2 #राष्ट्रीय, प्रदेश और जिला #संगठन को तत्काल भंग करके, ऊपर से नीचे तक के *सभी अहम पदों पर #पिछड़ा/पसमांदा#और #दलित वर्ग को उनकी संख्या के #अनुपात में हिस्सेदारी देना #सुनिश्चित* करें..? *सभी पार्टियां जबतक अपने मूल संगठन में 60%ओबीसी को आबादी के अनुपात में हिस्सा नहीं देती तब तक यह माना जायेगा यह सभी राजनैतिक दल केवल और केवल ओबीसी समाज को मूर्ख बनाकर वोट लेना चाहती हैं इसके अलावा ओबीसी समाज के प्रति इन सब दलों के प्रति कोई भी हमदर्दी नहीं है!* *भाजपा में कम से कम 27%ओबीसी का प्रतिनिधित्व दिखाई तो देता है चाहें संगठन हो चाहें टिकट वितरण हो या मंत्रिमंडल*
*UNITY OF OBC-जागो ओबीसी जागो*
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