मैनपुरी23जनवरी*अपने दम से ज्यादा पिता के रसूख पर भरोसा*
*- इसलिए अखिलेश गोपालगंज को छोड़ करहल से लड़ रहे हैं चुनाव*
*श्रीकान्त शाक्य*
*मैनपुरी।* समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के मैनपुरी जिले की करहल विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरने के साथ ही देश भर में यह सीट चर्चा के केंद्र में आ गई है। असल में सपा मुखिया ने आजमगढ़ की गोपालगंज विधानसभा को छोड़ मैनपुरी की करहल विधानसभा से चुनाव लड़ने का फैसला कर अपने खुद के दम से ज्यादा अपने पिता मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक रसूख व प्रतिष्ठा पर भरोसा जताया है।
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल अखिलेश यादव जहां से सांसद हैं उस आजमगढ़ जिले में कुल 10 विधानसभा सीटों में एक विधानसभा गोपालपुर भी है, जहां से अखिलेश के विधानसभा चुनाव लड़ने की चर्चा हुई। लेकिन अब वो गोपालपुर से नहीं मैनपुरी के करहल से चुनाव लड़ेंगे, जहां 35 प्रतिशत से अधिक यादव आबादी है और वो उनका पैतृक निवास व समाजवादियों के पुरोधा मुलायम सिंह का राजनीतिक गढ़ दोनों है। प्रदेश के मुस्लिमों के सपा प्रेम का कड़वा सच गोपालगंज जैसे चुनाव क्षेत्रों के आंकड़े हैं, जिससे डर कर अखिलेश यादव को करहल आना पड़ा।
पूर्वांचल की राजनीति में लंबे अरसे से एम-वाई (मुस्लिम-यादव) फैक्टर मजबूत रहा है। पिछले पांच चुनावों में सपा जहां से चार बार और बसपा एक बार विजयी रही उस गोपालपुर का आंकड़ा देखें तो हिन्दू मतदाताओं में सबसे ज्यादा यादव 64 हजार, दलित 51 हजार व ब्राह्मण 15 हजार, क्षत्रिय 15 हजार, भूमिहार 12 हजार, कायस्थ 3 हजार, राजभर लगभग 24 हजार, मल्लाह 11 हजार, कहार 15 हजार, प्रजापति 10 हजार, चौरसिया चार हजार, बनिया 23 हजार, चौहान 10 हजार, पासी 10 हजार, सोनकर सात हजार व इनके अलावा लगभग 17 हजार अन्य जातियां हैं।
*गोपालगंज से हर बार मुस्लिम प्रत्याशी ही जीता, यादव हारा*
गोपालगंज विधान सभा में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 41 हजार है। सपा ने यहां जब-जब मुस्लिम प्रत्याशी दिया वो तब तब जीता और वो भी यादव प्रत्याशी को हरा कर। यहां यादवों की मदद से मुस्लिम प्रत्याशी जीतता है न कि यादव प्रत्याशी।
*सपा मुखिया समझ गए गोपालगंज का गणित*
नैतिक रूप से एक सांसद को चुनाव के लिए अपनी लोकसभा क्षेत्र का ही कोई न कोई विधानसभा चुनना चाहिए था, लेकिन गोपालपुर जैसी विधान सभाओं का खेल अखिलेश भी समझते हैं कि यादवों के अलावा उनके लिए कोई भरोसे का नहीं है। इसलिए अखिलेश ने मैनपुरी का विधानसभा क्षेत्र करहल चुन मुलायम सिंह के राजनीतिक रसूख व अपने पिता की प्रतिष्ठा का ही भरोसा खोजा न कि स्वयं के दम का।
*मुलायम सिंह के गुरू की सीट रही है करहल*
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मैनपुरी जिले की करहल विधानसभा सीट से मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक गुरु नत्थू सिंह भी एमएलए रह चुके हैं, आज उसी सीट से अखिलेश यादव भी अपनी किस्मत अजमा रहे हैं। भले ही अखिलेश यादव करहल सीट से चुनाव लड़ने को उतरे हों लेकिन पिता मुलायम और बेटे आखिलेश को नत्थू सिंह की ही सीट का सहारा राजनीतिक पहचान के लिए लेना पड़ा है।
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