भागलपुर बिहार से शैलेन्द्र कुमार गुप्ता (यूपी आजतक)।
भागलपुर28दिसम्बर23*मीडिया समाज की प्रेस कॉन्फ्रेंस।
मीडिया समाज के चौथे स्तंभ है, इतिहास गवाह है जितनी भी क्रांति हुई, सभी आंदोलन में मीडिया की भूमिका अग्रणीय रही है, सीनेट सदस्य के रूप में निर्वाचित होने के पश्चात अपनी बात को रखने का अवसर आपके माध्यम को चुना है, ताकि सभी वर्गों में मेरी बात पहुंच सके और सक्षम पदाधिकारी तथ्यो को संज्ञान में लेते हुए विधि सम्मत करवाई हो सके, आपके इस सहयोग के लिए आभारी बना रहूंगा।
१. आपको विदित हो की एक वर्ष पूर्व शिक्षक प्रोन्नति हेतु माननीय कुलपति के द्वारा कमिटी गठित की गई, कोई फलाफल नही जबकि २०१७ बैच का वीर कुंवर सिंह, आरा में प्रोन्नति दे दी गई।
२. वेतन सत्यापन कोषांग, शिक्षा विभाग बिहार सरकार के यहां से वेतन की संपुष्टि हो गई और सरकार के द्वारा राशि भी १ वर्ष पूर्व उपलब्ध करा दी गई है, उसके वावजूद भी शिक्षक को वेतनांतर का भुगतान नहीं हो पाया।
३. नव नियुक्त शिक्षकों का नई पेंशन योजना के अंतर्गत जो राशि की कटौती की जा रही है वो ससमय जमा नही की जा रही है, जिससे शिक्षकों को आर्थिक नुकसान हो रहा है।
४. आपको अच्छी तरह से ज्ञात है कि इस विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति रामधारी सिंह दिनकर रह चुके है और इस विश्वविद्यालय का राष्ट्रीय स्तर अपनी पहचान थी, लेकिन वर्तमान चाटुकारों ने मिलकर इस विश्वविद्यालय की गरिमा को गिराने का काम किया है, चाटुकार जो की कुलपति जी के सलाहकार है वास्तविक स्थिति को नहीं बता कर अपने उल्लू सीधा कर नियम कानून को ताक पर रख कर अपने फायदा के लिए काम करते हैं।
५. मेरे द्वारा उठाए गए तथ्य की पुष्टि इस बात से होती है की बी एन कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. संजय कुमार चौधरी को गलत आरोप लगा कर कार्यालय आदेश संख्या १४९ दिनाक ७.७.२०२३ से डॉ. संजय कुमार चौधरी का स्थातरण कर दिया गया, और इतना ही नहीं डॉ. अशोक ठाकुर को स्नातकोत्तर जंतु विभाग से बी. एन कॉलेज में प्रभारी प्राचार्य के रूप में पदस्थापित कर दिया गया, जबकि संजय चौधरी के बाद क्या और कोई शिक्षक सक्षम नहीं थे, लेकिन अशोक ठाकुर के द्वारा एक षड्यंत्र के तहत गलत आरोप लगा कर कुलपति महोदय दिग्भ्रमित कर अपने स्वयं प्राचार्य बन बैठे और महाविद्यालय फंड का बंदर बाट कर रहे है।
मेरी इस बात की पुष्टि कुलसचिव के पत्रांक संख्या RO/ SPL/9110]RO/SPL/9110 दिनांक ७.८.२०२३ पुनः कुलसचिव के पत्रांक RO/SPL/9200 दिनांक 8, 10, 2023 जो प्रधान सचिव, राजभवन बिहार पटना को संबोधित है स्पष्ट लिखा है कि “डॉ. अशोक ठाकुर, प्रभारी प्राचार्य बी एन कॉलेज, भागलपुर द्वारा गलत ढंग से रीडर तथा प्रोफेसर पद पर प्रोन्नति लेकर सरकारी खजाने के लूट-खसोट करने के संबंध में साथ ही साथ कुलसचिव के द्वारा अंकित की गई है कि बिना नियम परिणियम के विश्वविद्यालय कार्यों में दखल अंदाजी के साथ साथ अनैतिक कार्य में संलिप्त रहते है,
जब विश्वविद्यालय के कुलसचिव जो की मुख्यता स्थापना के प्रभारी होते है उनके द्वारा टिप्पणी की गई अशोक ठाकुर को बी एन कॉलेज का प्रभारी प्राचार्य बनना था, तो कुलसचिव के रहते महाविद्यालय निरीक्षक से अधिसूचना पर हस्ताक्षर करवा दिया, जब कुलसचिव के द्वारा नियम परिनियम का हवाला दिया गया तो अशोक ठाकुर ने कुलपति को आंख में धूल झोंक कर एक कार्यालय आदेश संख्या २३८/२३ दिनाक ७.८. २०२३ निकलवा दिया और अपने प्रभारी प्राचार्य के अधिसूचना पर हस्ताक्षर करवा लिया, जबकि माननीय उच्च न्यायलय ने CWJC 15327/2012 में आदेश पारित करने की कृपा की है कि जिस पद में जो वैधानिक शक्ति प्राप्त है उस शक्ति को न्यून नहीं किया जा सकता है, इसके वावजूद अशोक ठाकुर ने षड्यंत्र के तहत गलत लाभ लेने के उद्देश्य अधिसूचना निर्गत करवा दिया जो अवैधानिक है और किसी भी परिस्थिति में चिरस्थाई नही है। अशोक ठाकुर को पूर्व में भी डी एन एस कॉलेज रजौन के मामले में माननीय न्यायालय के द्वारा प्रतिकूल टिप्पणी की गई है जो की विश्वविद्यालय के अभिलेख में है इतने भ्रष्ट व्यक्ति किस परिस्थिति में कुलपति जी का चाटुकारिता करते हुए नैतिक कार्यों का अंजाम दे रहे है और विश्वविद्यालय की छवि धूमिल हो रही है, कुलपति महोदय ऐसे चाटुकारी व्यक्ति से दूर होकर सभी लोगो से संवाद करे तब श्री ठाकुर की कार्य शैली से वाकिफ हो पाएंगे। समाचार पत्र में प्रकाशित न्यूज से लगता है की कुलपति जी को कार्य करने का विजन है, लेकिन चाटुकारिता वाले लोगो को अपने सलाहकार समिति से हटाना होगा, मेरी जानकारी में योगेंद्र महतो को लोकपाल का पद श्री ठाकुर के सलाह पर दिया गया, स्वार्थ पूर्ति नहीं होने के वजह से पुनः लोकपाल के पद से हटा भी दिया गया, इस तरह के कार्य शैली से शिक्षक अपमानित महसूस करते है।
आप देखेंगे अधिकतर अधिसूचना में डॉ. ठाकुर का नाम दिया जा रहा है और डॉ. ठाकुर कुलपति और विश्वविद्यालय कर्मी के बीच एक मनोवैज्ञानिक दिवाल बनाकर लोगो भयभीत करते है जो की प्रतिकूल है।
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