November 18, 2025

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प्रयागराज8सितम्बर25*देवी देवताओं के नाम पर समाज में थोपी गयी एक कुरीति अभिशाप जनजीवन वातावरण दूषित कमेटियां हों बैन

प्रयागराज8सितम्बर25*देवी देवताओं के नाम पर समाज में थोपी गयी एक कुरीति अभिशाप जनजीवन वातावरण दूषित कमेटियां हों बैन

प्रयागराज8सितम्बर25*देवी देवताओं के नाम पर समाज में थोपी गयी एक कुरीति अभिशाप जनजीवन वातावरण दूषित कमेटियां हों बैन

*प्रयागराज* *दधिकांदो कांदो जैसे मेले देवी देवताओं के नाम पर समाज में थोपी गयी एक कुरीति अभिशाप जनजीवन वातावरण दूषित कमेटियां हों बैन* * * * *ये नज़ारा कीडगंज इलाके के दधिकांदो मेले का है और शहर के तमाम इलाक़ो में भी इसे श्री कृष्ण के स्वरूप के नाम पर मनाया जा रहा है और आश्चर्य का विषय ये है लोग इसका मतलब तक नहीं जान पाये हैं आखिर दधिकांदो का मतलब है क्या? सिवाये अश्लीलता और नंगे नाच और कानफोडू संगीत के सरकार और न्यायपालिका को जनहित में दधिकांदो मेला कमेटियों पर तत्काल प्रभाव से पाबंदी लगा देनीं चाहिए या उन्हें भंग कर मोहल्ला कमेटियों में तब्दील कर देना चाहिए ताकि सरकारी तंत्रों ऊर्जा जनजीवन वातावरण को दूषित होने से बचाया जा सकें और समाजिक कुरीतियों पर पाबंदी लगायी जा सकें ये मेला आज के युग में जहाँ हमारी कला संस्कृति समाजिक विरासत धरोहर के लिए एक धब्बा हैं तो वहीं आने वाली पीढ़ी के लिए मात्र खिलवाड़ फूहड़ता नशा खोरी चोरी छेड़खानी जैसे तमाम अपराधों को दवात और संदेश भी है सनातन परंपरा से छेड़छाड़ प्रकृति के साथ खिलवाड़ का ये विकृत विभत्स नमूना है तो वही सरकार और सरकारी तंत्र समाजिक वातावरण का दोहन भी है कमेटियों को सरकार के साथ मिलकर समाजिक उत्थान साफ़ सफाई रख रखाव मोहल्ले की समस्याओं जैसे कार्यो में सहभागिता निभानी चाहिए ना कि उनके काम में बाधक बनना चाहिए ताकि समाज और वातावरण को सुदृढ़ कर विकसित विकासशील बनाया जा सकें तो वहीं शारीरिक मानसिक ऊर्जा का सदुपयोग किया जा सकें जिससे लोगों को दशा दिशा मिल सकें छोटे मझोले रोज़गार को बढ़ावा देनें के लिए मैदानों इत्यादि में साप्ताहिक मेले का आयोजन भी किया जा सकता है लेकिन धर्म की आड़ में ये धंधा हितकारी नहीं बल्कि प्रलयंकारी है तो वहीं देवी देवताओं के स्वरूप के साथ घिनौना मज़ाक भी सबसे बड़ी बात ये है कि आयोजन कमेटियां न्याय पालिका सरकार को इस तरह के आयोजन से खुली चुनौती देकर लाॅ एंड ऑर्डर की धज्जियां उड़ा रहें हैं लोगों का कहना है श्री कृष्ण के नाम पर मेले का आयोजन कर कानफोडू संगीत पर अश्लील गानों पर सार्वजनिक रूप से नंगा नाच कर पूरे समाजिक वातावरण को दूषित किया जा रहा तो वही आने वाली पीढ़ी इससे गुमराह हो रही है चंद लोगों की करनी का फल आज पूरे मोहल्ले को भोगना पड़ रहा है ऐसे आयोजन से समाज में लाभ कम हानियाँ बहुत हैं इस पर पाबंदी नहीं लगायी गयी तो आने वाले समय में ये मेला सामाजिक वातावरण के लिए नासूर बन जायेगा*

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