September 14, 2024

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प्रयागराज30अगस्त24*100 बेड का अस्पताल 2 वर्ष में नहीं भर्ती हुए एक भी मरीज*

प्रयागराज30अगस्त24*100 बेड का अस्पताल 2 वर्ष में नहीं भर्ती हुए एक भी मरीज*

प्रयागराज30अगस्त24*100 बेड का अस्पताल 2 वर्ष में नहीं भर्ती हुए एक भी मरीज*

*मुख्य चिकित्सा अधिकारी से लेकर स्वास्थ्य महानिदेशक तक की भूमिका पर उठे सवाल*

*भाजपा मंत्री के अस्पताल में सुविधाओं की बात पर इलाहाबाद सीएमओ ने मारा जोरदार तमाचा*

*प्रयागराज।**योगी सरकार में भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था में प्रयागराज के मुख्य चिकित्सा अधिकारी इस कदर भ्रष्टाचार में लिप्त है कि सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम पर भगवतपुर ब्लॉक में 100 बेड का अस्पताल 2 वर्षों पूर्व जनता की सेवा में समर्पित कर दिया गया। इस अस्पताल का उद्घाटन तत्कालीन भाजपा के मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने किया था। उद्घाटन के समय भाजपा के मंत्री ने जनता को बड़ी-बड़ी सुविधा देने की बात इस अस्पताल के उदघाटन के समय कही थी, लेकिन मंत्री की इस बात पर इलाहाबाद के सीएमओ ने जोरदार तमाचा मारा है। 2 वर्ष बीत जाने के बाद इस अस्पताल के संचालन की स्थिति इतनी बदतर है कि तीन-चार घंटे के लिए कुछ चिकित्सक अस्पताल पहुंचते हैं और औपचारिकता निभाकर यह चिकित्सक नर्सिंग होम में वापस चले जाते हैं।

सौ बेड के इस अस्पताल में आपातकालीन सुविधा दो वर्षों बाद भी नहीं शुरू हो सकी है। इतना ही नहीं इस अस्पताल की बदतर व्यवस्था में मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने मुख्यमंत्री तक को गुमराह कर दिया है। अस्पताल में 100 बेड होने के बाद दो वर्षों के बीच एक भी मरीज भर्ती नहीं हुए हैं। शाम 2:00 बजे के बाद अस्पताल में सियार लोटने लगते हैं। अस्पताल में ताला बंद हो जाता है। रोते बिलखते मरीज अस्पताल से वापस लौट जाते हैं। मामूली दुर्घटना में भी इस अस्पताल में 2 बजे के बाद इलाज नहीं मिल पाता है आखिर जब मरीज को भर्ती नहीं करना था तो 100 बेड का अस्पताल बनाकर के डॉक्टर कर्मचारियों को करोड़ो का वेतन क्यों दिया जा रहा है। इलाहाबाद की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठ रहा है कि जनता को सुविधाएं न मिलने के बाद करोड़ों रुपए की रकम सरकार का वेतन रूप में क्यों बर्बाद किया जा रहा है इन तमाम बातों का जवाब मुख्य चिकित्सा अधिकारी प्रयागराज के पास नहीं है।

2 वर्ष बीत जाने के बाद भी अस्पताल में किसी तरह की मौके पर सुविधाएं न होने के पीछे मुख्य चिकित्सा अधिकारी प्रयागराज से लेकर अपर निदेशक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण प्रयागराज के साथ-साथ स्वास्थ्य महानिदेशक लखनऊ की भूमिका सवालों के घेरे में है। मीटिंग मॉनिटरिंग के नाम पर स्वास्थ्य महानिदेशक लखनऊ ने भी बड़ी लापरवाही की है जिससे इस अस्पताल का दो वर्षों से संचालन शुरू होने के बाद भी बंद जैसी स्थिति है। आखिर स्वास्थ्य विभाग के बड़े अधिकारियों ने दो वर्षों के बीच क्या मॉनिटरिंग की है जबकि स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर प्रत्येक महीने मीटिंग होती है। मीटिंग में बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं।

बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था का लेखा-जोखा बनाकर मुख्यमंत्री को भेज दिया जाता है लेकिन हकीकत यह है कि ड्यूटी न देने वाले डॉक्टर से प्रत्येक महीने मोटी रकम स्वास्थ्य विभाग में वसूली जा रही है जिससे चौपट व्यवस्था को सुधारने का प्रयास मुख्य चिकित्सा अधिकारी से लेकर अपर निदेशक स्वास्थ्य भी नहीं कर रहे हैं। मामले में यदि शासन स्तर से योगी सरकार ने जांच कराई तो प्रयागराज के मुख्य चिकित्सा अधिकारी समेत स्वास्थ्य विभाग के कई बड़े अधिकारियों पर शासन की गाज गिरना तय है। अब सवाल उठता है कि दो वर्षों के बीच करोड़ों रुपए का फर्जी उपस्थिति पर वेतन देने वाले जिम्मेदारों से क्या फर्जी वेतन की रिकवरी सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कराएंगे या फिर केवल आम जनता गरीब कमजोर मजलूमों के लिए ही भ्रष्टाचार मुक्त सरकार का दावा योगी सरकार का होगा और बड़े अफसरों के बीच भ्रष्टाचार इसी तरह बढ़ता रहेगा यह व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं।

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