पूर्णिया बिहार25फरवरी25*”दूसरों के दर्द को महसूस करना ही सब से बड़ी कुर्बानी है : निसारअहमद।
मोहम्मद इरफान कामिल यूपी आज तक चैनल पूर्णिया बिहार की रिपोर्ट।
पूर्णिया बिहार ।जिस दिन आप दूसरों का दर्द अपने दिल की गहराइयों एव नेक जज़्बात के साथ महसूस करने लगेंगे उसी दिन आपकी रूह इंसानियत के असली मक़ाम को छूने लगती है। उक्त बातें बायसी विधानसभा के पूर्व कांग्रेस प्रत्याशी एवं गरीबों बेसहारों के दिलों का धड़कन मोहम्मद निसार अहमद ने कही निसार अहमद ने कहा की इंसान की इंसानियत एवं नेक ख्वाहिशात खुशबू की महक आसमानों की बुलंदियों तक पहुंचेगी और देश के फेजाओं में महकती रहेगी। बशर्ते कि आपकी नीयतें साफ़ हो।
समाजसेवी निसार अहमद ने कहा की इंसान को “अशरफुल मख़लूक़ात” (सर्वश्रेष्ठ प्राणी) यूं ही नहीं कहा गया, बल्कि उसे सोचने, समझने और दूसरों के दुख को अपना दुख मानने की ताकत के साथ सलाहियत अता गई है। लेकिन अफसोस, आज हम सिर्फ अपने फायदे और सुख-सुविधाओं तक सीमित होते जा रहे हैं।
किसी गरीब की भूख, किसी मज़लूम की तकलीफ, किसी बीमार की बेचैनी अगर ये सब देखकर भी हमारे दिल में दर्द नहीं उठता तो हमें खुद से पूछना चाहिए, क्या हम वाकई इंसान कहलाने के हकदार हैं? मानवता सिर्फ भाषणों और नारों तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसे अपने दिल और कर्मों में अपनाना ही असली इंसानियत है।
निसार अहमद ने कहा की जो लोग समाज की सेवा में लगे हैं—चाहे सरकारी संस्थान हों या गैर-सरकारी संगठन वे इसी भावना को लेकर आगे बढ़ते हैं। हम सबों को भी चाहिए कि हम अपनी सोच मिज़ाज को बदलें और एक ऐसा समाज बनाएं, जहाँ हर कोई दूसरों का दर्द समझे और उसके लिए मदद का हाथ बढ़ाए।
सिर्फ अपने लिए जीना कोई बड़ी बात नहीं। दूसरों के लिए जीना ही इंसानियत है।”सच्ची कुर्बानी है।
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