पूर्णिया बिहार 5 अप्रैल25 *प्राचार्य द्वारा मानसिक प्रताड़ना का आरोप, कहा – ‘अगर मैं अपराधी हूं, तो सज़ा स्वीकार है,
मोहम्मद इरफान कामिल यूपी आज तक न्यूज़ चैनल पूर्णिया बिहार की रिपोर्ट।
पूर्णिया बिहार। प्राचार्य ने लेकिन सार्वजनिक अपमान क्यों? एस.एन.एस.वाई. डिग्री कॉलेज, रामबाग, पूर्णियाँ के प्राचार्य ने पूर्णियाँ विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण अध्यक्ष और संबंधित अधिकारियों पर मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का गंभीर आरोप लगाया है। प्राचार्य ने अपनी शिकायत में कहा कि 27 मार्च 2025 को अपराह्न 02 बजे कुछ कथित छात्र नेताओं का हुजूम उनके चेम्बर में छात्रों की समस्याओं के संबंध में आया था। छात्र नेताओं ने आरोप लगाया कि महाविद्यालय में 4th Semester के नामांकन में अवैध रूप से पैसे लिए जा रहे हैं। इस पर प्राचार्य ने छात्र नेताओं को जवाब देते हुए कहा कि वे जो भी शुल्क ले रहे हैं, वह राजभवन द्वारा जारी किए गए अध्यादेश के अनुसार है, जिसकी मंजूरी राजभवन सचिवालय के न्यायिक OSD बालेन्द्र शुक्ला के हस्ताक्षर से प्राप्त है। इसके बावजूद, छात्र नेताओं ने DSW (डीन छात्र कल्याण) से मोबाइल स्पीकर पर फोन पर शिकायत की और प्राचार्य को अवैध उगाही का आरोपी ठहराया।
प्राचार्य के अनुसार, DSW ने साफ तौर पर कहा कि जो भी गलत पैसे ले रहा हो, उसे पकड़ कर लाकर उनके पास लाओ। प्राचार्य ने आरोप लगाया कि DSW के इस बयान ने उन्हें अपराधी के रूप में प्रस्तुत किया, जिससे वे मानसिक रूप से आहत हुए हैं। प्राचार्य ने यह भी कहा कि वे हृदय रोग के मरीज हैं और इस प्रकार के अपमानजनक शब्दों का उपयोग उनके लिए मानसिक रूप से अत्यधिक पीड़ादायक था। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि अगर शुल्क संरचना में कोई गलती पाई जाती है, तो वे किसी भी सजा को स्वीकार करेंगे, लेकिन यदि शुल्क संरचना सही है, तो उनके सार्वजनिक रूप से अपमानित किए जाने का कोई कारण नहीं था।
प्राचार्य ने चेतावनी दी कि यदि इस मामले में उचित जवाब नहीं मिलता है, तो वे मानहानि और मानसिक प्रताड़ना के आरोप में सक्षम न्यायालय में मुकदमा दायर करेंगे। इसके अलावा, उन्होंने इस घटना को संदर्भित करते हुए बताया कि इसी तरह की स्थिति में परीक्षा नियंत्रक डॉ. अजय कुमार पांडे को छात्रों ने उनके कमरे में बंद कर दिया था और उनकी तबीयत बिगड़ने पर उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यह घटना गंभीर रूप से जानलेवा स्थिति बन गई थी। उन्होंने इस पत्र की प्रतिलिपि विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति, कुलानुशासक और कुलसचिव को भी भेजी है और नामांकन शुल्क संरचना की छायाप्रति भी संलग्न की है। प्राचार्य ने न्याय की उम्मीद जताई और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
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