May 13, 2025

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नई दिल्ली:17अप्रैल25 तमिलनाडु जगह खाली करो या टैक्स दो

नई दिल्ली:17अप्रैल25 तमिलनाडु जगह खाली करो या टैक्स दो

*नई दिल्ली:17अप्रैल25 तमिलनाडु जगह खाली करो या टैक्स दो…

तमिलनाडु में चार पीढ़ियों से रह रहे 150 परिवारों को वक्फ बोर्ड का नोटिस।*

वक्फ कानून को लेकर देश भर में चल रहे राजनीतिक घमासान के बीच तमिलनाडु से एक बड़ा हैरान करने वाला मामला सामने आया है।

तमिलनाडु में अनाईकट्टू तालुक के कट्टुकोलाई गांव के 150 परिवारों में बीते दिनों तब हड़कंप मच गया, जब वहां के लोगों को एक नोटिस मिला। इस नोटिस में लिखा था कि उनके गांव की जमीन को वक्फ की संपत्ति घोषित कर दिया गया है।

*क्या कहा है नोटिस में:*
सैयद अली सुल्तान शाह द्वारा जारी किए गए नोटिस में दावा किया गया है कि कट्टुकोलाई गांव की जमीन एक स्थानीय दरगाह की है। ग्रामीण या तो इसे तुरंत खाली कर दें या दरगाह को टैक्स देना शुरू करें। जिन लोगों को यह नोटिस मिला है, वे इस जगह पर चार पीढ़ियों से रह रहे हैं और अपनी आजीविका के लिए पूरी तरह से खेती पर निर्भर हैं। नोटिस मिलने के बाद गांव के लोग बुरी तरह डर गए और उन्होंने इसके विरोध में प्रदर्शन किया। गांव में कई लोग ऐसे हैं जिनके पास अपनी जमीन से जुड़े सरकारी दस्तावेज हैं।

वे सभी लोग वेल्लोर में कलेक्टर के दफ्तर पहुंचे और उन्हें सुरक्षा देने की मांग की। उन्हें इस बात का डर है कि अब उन्हें यहां से बेदखल कर दिया जाएगा और उनके जीवन जीने का एकमात्र सहारा खेती है, इसे भी उनसे छीन लिया जाएगा। इस मामले में गांव के लोगों को कलेक्टर के पास ले जाने वाले महेश बताते हैं कि गांव के लोगों के पास सरकार की ओर से जमीन को लेकर दिए गए सभी दस्तावेज हैं और सर्वे संख्या 330/1 के तहत जमीन को वक्फ भूमि घोषित किया गया है।

*पहले भी हुआ था ऐसा:*
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब तमिलनाडु में इस तरह की घटना सामने आई है। इससे पहले तमिलनाडु के वक्फ बोर्ड ने 1,500 साल पुराने चोल युग के मंदिर सहित लगभग 480 एकड़ जमीन पर दावा ठोक दिया था। कई पीढ़ियों से वहां रह रहे लोगों से कहा गया था कि वे वक्फ बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लिए बिना अपनी जमीन नहीं बेच सकते।

इस मामले को अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद में वक्फ (संशोधन) बिल पर चर्चा के दौरान उठाया था।बताना होगा कि संसद के दोनों सदनों से वक्फ (संशोधन) विधेयक पारित होने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इसे मंजूरी दे दी थी और अब यह कानून बन चुका है। लेकिन इसे चुनौती देने वाली कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की जा चुकी हैं।

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