[5/7, 17:28] +91 92148 86700: *_शहरों के केंद्र से 150 किमी के दायरे में वाहन स्क्रैपिंग केंद्र बनाना चाहती है सरकार : गडकरी।_*
_*”नई दिल्ली :* केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को कहा कि वह प्रत्येक शहर के केंद्र से 150 किलोमीटर के दायरे में कम से कम एक वाहन स्क्रैपिंग (कबाड़) केंद्र विकसित करना चाहते हैं. गडकरी ने यहां आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि देश में पूरे दक्षिण एशिया क्षेत्र का वाहन स्क्रैपिंग केंद्र बनने का माद्दा है. राष्ट्रीय वाहन स्क्रैपेज नीति भारतीय परिवहन एवं संवहनीता क्षेत्र के लिए एक अहम पहल है और इसके माध्यम से पुराने और बेकार वाहनों को हटाकर नए एवं कम प्रदूषण करने वाले वाहनों को चरणबद्ध तरीके से लाया जा सकेगा. गडकरी ने शुक्रवार को आयोजित इस कार्यक्रम में कहा कि सभी शहरों के केंद्रों से 150 किलोमीटर के दायरे में एक वाहन स्क्रैपिंग केंद्र बनाना मेरा मकसद है. उन्होंने कहा कि एक शहर के भीतर कबाड़ बन चुके वाहनों को इकट्ठा करने वाले कई अधिकृत केंद्र खोले जा सकते हैं जिन्हें वाहन का पंजीकरण खत्म करने का अधिकार होगा. उन्होंने कहा कि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने वाहन स्क्रैप नीति कुछ इस तरह तैयार की है जो सभी प्रकार और आकार के निवेशकों को आने और कबाड़ के केंद्र खोलने का मौका देगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले वर्ष अगस्त में राष्ट्रीय वाहन स्कैपेज नीति की शुरुआत करते हुए कहा था कि इसके जरिये बेकार हो चुके और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को चलन से बाहर किया जा सकेगा.गड़करी ने इस कार्यक्रम में कहा कि भारत पूरे दक्षिण एशिया क्षेत्र में वाहन स्क्रैपिंग का केंद्र बन सकता है. हम बांग्लादेश, भूटान, म्यांमा, मालदीव, नेपाल और श्रीलंका से पुराने वाहनों का आयात हमारे देश में स्क्रैपिंग के लिए कर सकते है।”_
[5/7, 17:37] +91 92148 86700: *TOP HEADLINE OF THE DAY : दिल्ली भाजपा नेता तेजेंद्र सिंह बग्गा प्रकरण में चंडीगढ़ हाई कोर्ट में मंगलवार तक टली सुनवाई।।*
[5/7, 17:40] +91 92148 86700: *_देश में आपातकाल लगाकर निशाने पर आए श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे।_*
_*”कोलंबो :* सियासी संकट में घिरे श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को विपक्षी दलों के साथ-साथ विदेशी राजदूतों की आलोचना का सामना करना पड़ा है, क्योंकि उन्होंने लगभग एक महीने में दूसरी बार आपातकाल लागू करने की घोषणा की है. आपातकाल लागू होने से सुरक्षाबलों को शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शनों को कुचलने की व्यापक शक्ति हासिल हो गई है. अभूतपूर्व आर्थिक संकट को लेकर देशभर में बढ़ रहे सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बीच राजपक्षे ने शुक्रवार आधी रात से आपातकाल लागू करने की घोषणा की थी. आपातकाल की स्थिति पुलिस और सुरक्षाबलों को लोगों को मनमाने ढंग से गिरफ्तार करने और हिरासत में लेने की व्यापक शक्ति देती है. राजनयिक समुदाय के कुछ सदस्यों ने सरकार के इस कदम की आलोचना की: श्रीलंका के मानवाधिकार निकाय, अधिवक्ताओं के मुख्य निकाय, विपक्ष और यहां तक कि राजनयिक समुदाय के कुछ सदस्यों ने सरकार के इस कदम की आलोचना की है. श्रीलंकाई मानवाधिकार आयोग ने कहा कि वह आपातकाल की घोषणा को लेकर बहुत चिंतित है. आयोग ने एक बयान जारी कर कहा कि हम सरकार से जनता को इस घोषणा की वजहें समझाने का आग्रह करते हैं, क्योंकि विरोध काफी हद तक शांतिपूर्ण और कानून के दायरे में रहा है. बयान में कहा गया है कि हम उम्मीद करते हैं कि आपातकाल की अवधि में अभिव्यक्ति और सभा की आजादी के अलावा गिरफ्तारी व हिरासत से जुड़े अधिकारों व अन्य मौलिक अधिकारों को प्रभावित या अपमानित नहीं किया जाएगा. आपातकाल का इस्तेमाल शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शनों को दबाने या मनमाने ढंग से लोगों की गिरफ्तारी करने अथवा उन्हें हिरासत में लिए जाने के लिए नहीं किया: द बार एसोसिएशन ऑफ श्रीलंका (बीएएसएल) ने एक बयान जारी कर कहा कि वह राष्ट्रपति द्वारा आपातकाल की घोषणा किए जाने को लेकर ‘गंभीर रूप से चिंतित’ है. बयान के मुताबिक कि जैसा कि दो अप्रैल 2022 को कहा गया था, जब राष्ट्रपति ने थोड़े समय के लिए आपातकाल की घोषणा की थी, बीएएसएल का मानना है कि आपातकाल की घोषणा देश की वर्तमान स्थिति का जवाब नहीं है. बीएएसएल ने इस बात पर जोर दिया कि आपातकाल का इस्तेमाल शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शनों को दबाने या मनमाने ढंग से लोगों की गिरफ्तारी करने अथवा उन्हें हिरासत में लिए जाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए. उसने यह भी कहा कि बदले में विरोध-प्रदर्शन भी हिंसक नहीं होना चाहिए. पिछले कुछ हफ्तों में पूरे श्रीलंका में हुए विरोध-प्रदर्शनों के दौरान नागरिकों को अभिव्यक्ति की आजादी का भरपूर इस्तेमाल करने का मौका मिला: मुख्य विपक्षी दल समागी जन बालवेग्या के नेता साजिथ प्रेमदास ने भी इस कदम पर सवाल उठाया और राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग की. कोलंबो में कनाडा के उच्चायुक्त डेविड मैकिनॉन ने ट्वीट किया कि पिछले कुछ हफ्तों में पूरे श्रीलंका में हुए विरोध-प्रदर्शनों के दौरान नागरिकों को अभिव्यक्ति की आजादी का भरपूर इस्तेमाल करने का मौका मिला है और इसका श्रेय लोकतंत्र को जाता है. यह समझ से परे है कि आपातकाल की घोषणा करना क्यों जरूरी है. अमेरिकी राजदूत जूली चुंग ने कहा कि वह एक बार फिर आपातकाल की घोषणा किए जाने से चिंतित हैं. उन्होंने कहा कि शांतिप्रिय नागरिकों की आवाज सुनने की जरूरत है।”_
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