दिल्ली18दिसम्बर24*नहीं गई चीन की चालबाजी, भूटान में डोकलाम के पास बसाए 22 गांव; भारत पर इसका कैसा असर
चीन अपनी चालबाजी से बाज नहीं आ रहा है। एक तरफ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत के साथ समझौतों को आगे बढ़ाने की बात कर रहा है। वहीं, दूसरी तरफ डोकलाम के आसपास गांवों को बसाने में लगा है।चीन की इस चालबाजी का सैटेलाइट से लगई तस्वीरों ने खुलासा किया है। आपको बता दें कि चीन ने पिछले आठ वर्षों में भूटान के पारंपरिक क्षेत्र में कम से कम 22 गांवों और बस्तियों का निर्माण किया है। 2020 के बाद से डोकलाम पठार के पास आठ गांवों का निर्माण किया है।
भूटान के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित ये आठ गांव डोकलाम के पास रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थानों पर बने हैं। ये गांव एक घाटी से सटे हुए हैं, जिन्हें चीन अपने अधिकार में बताता है। इनमें से कई गांव चीनी सैन्य चौकियों के पास स्थित हैं। इन 22 गांवों में सबसे बड़े गांव का नाम जीवू है, जो पारंपरिक भूटानी चरागाह त्सेथांखखा पर स्थित है।
इन गांवों का निर्माण भारत के लिए चिंता का कारण बन गया है। डोकलाम में चीन की स्थिति मजबूत होने से सिलिगुरी कॉरिडोर जिसे ‘चिकन नेक’ भी कहा जाता है, की सुरक्षा पर संकट उत्पन्न हो सकता है। यह कॉरिडोर भारत के मुख्य भूमि को उत्तर-पूर्वी राज्यों से जोड़ता है।
आपको बता दें कि इस मामले पर अभी तक भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से इस संबंध में कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
भूटान की स्थिति और चीन के दावे
हाल के वर्षों में भूटानी अधिकारियों ने भूटान की क्षेत्रीय संप्रभुता पर चीन द्वारा बनाए गए बस्तियों को खारिज किया है। 2023 में भूटान के पूर्व प्रधानमंत्री लोते त्शेरिंग ने एक बेल्जियन समाचार पत्र को बताया था कि ये चीनी ठिकानें भूटान में नहीं हैं। भूटान ने इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
आपको बता दें कि 2016 में जब चीन ने भूटान के क्षेत्र में पहला गांव बनाया था तब से अब तक 22 गांव और बस्तियां बन चुकी हैं। इनमें करीब 2284 घर हैं। लगभग 7000 लोग इन इलाकों में बसाए गए हैं। रॉबर्ट बार्नेट ने अपनी हालिया रिपोर्ट में इसकी बात की थी।
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