May 24, 2025

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दिल्ली/सहारनपुर17अप्रैल25*शादी से पहले परख और शादी के बाद सब्र जरूरी है” —

दिल्ली/सहारनपुर17अप्रैल25*शादी से पहले परख और शादी के बाद सब्र जरूरी है” —

दिल्ली/सहारनपुर17अप्रैल25*शादी से पहले परख और शादी के बाद सब्र जरूरी है” — मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा से ख़ास बातचीत*

दिल्ली/सहारनपुर (दिलशाद अहमद) 17 अप्रैल: आजकल शादी के बाद रिश्तों में बढ़ती दरारें, घरेलू झगड़े और अलगाव की घटनाएं आम होती जा रही हैं। इस मसले पर जमीयत दावातुल मुस्लिमीन के संरक्षक व प्रसिद्ध आलिम ए दीन मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा से सवाल किए गए, तो उन्होंने बड़ी सूझ-बूझ और हिकमत से जवाब दिए।

*सवाल*: मौलाना साहब, आजकल शादी के बाद रिश्ता टूटने या घर में झगड़े होने की घटनाएं आम हो गई हैं, इसकी वजह क्या है?
*जवाब*: इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि शादी से पहले दोनों पक्ष एक-दूसरे को समझने और परखने की कोशिश नहीं करते। लड़का-लड़की की सिर्फ शक्ल या दुनियावी हैसियत देखी जाती है, जबकि असल चीज़ सीरत होती है — यानी इंसान का अख़लाक़, उसकी सोच, और रिश्तों को निभाने की सलाहियत।

*सवाल*: क्या शादी से पहले लड़के या लड़की की सोच का अंदाज़ा लगाया जा सकता है?
*जवाब*: जी हाँ, बातचीत के अंदाज़, उनके सवाल-जवाब, और उनके घर वालों के रवैये से बहुत कुछ साफ़ हो जाता है। अगर शुरू से ही कोई बहुत ज़्यादा दुनियावी बातों पर ज़ोर देता है, या हर बात में अपनी पसंद थोपने की कोशिश करता है, तो यह आगे चलकर परेशानी का सबब बन सकता है।

*सवाल*: शादी से पहले लड़के और उसके घर वालों में क्या बातें परखनी चाहिए?
*जवाब*: सबसे पहले यह देखना चाहिए कि लड़के और उसके घर वालों की सोच कितनी संजीदा है। क्या वे लड़की को घर की इज़्ज़त मानते हैं या महज़ एक ज़रूरत? लड़के के अंदर ज़िम्मेदारी का एहसास है या नहीं, और घर वाले कहीं दहेज़ या मांग की सोच तो नहीं रखते? अगर किसी भी तरह का लालच नज़र आए, तो यह रिश्ते के लिए नुकसानदायक साबित होगा।

*सवाल*: क्या सिर्फ तालीम या नौकरी ही रिश्ते निभाने के लिए काफी है?
*जवाब*: बिल्कुल नहीं। तालीम और रोज़गार ज़रूरी हैं, लेकिन उनसे ज़्यादा ज़रूरी है रिश्तों को निभाने का सलीक़ा, अख़लाक़ और सब्र। आज बहुत पढ़े-लिखे लोग भी रिश्तों में नाकाम हैं क्योंकि उनमें सहनशीलता नहीं होती। शादी में सबसे ज़्यादा काम आता है मिज़ाज का मेल और एक-दूसरे को समझने का जज़्बा।

मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा का यह बयान आज के दौर की बड़ी हकीकत को छूता है, और हर नौजवान, माँ-बाप और समाज के ज़िम्मेदारों को इस पर गौर करना चाहिए।

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