चित्रकूट13मार्च*भक्ति मार्ग, ज्ञान मार्ग और योग मार्ग भगवान को प्राप्त करने के ये मुख्य तीन मार्ग हैं , आचार्य अनुराग पांडेय।
संजय मिश्रा यूपी आज तक वेबसाइट चैनल ब्यूरो चीफ चित्रकूट
चित्रकूट – श्रीमद् भागवत कथा की ज्ञान यज्ञ में भागवताचार्य आचार्य अनुराग पांडेय चित्रकूट धाम ने कहा कि 17 पुराण को लिखने के बाद जब वेद व्यास को शांति नहीं मिली तब भागवत संहिता श्रीकृष्ण की लीलाओं को लिखकर आत्मशांति प्राप्त किया। कहा कि भक्ति मार्ग, ज्ञान मार्ग और योग मार्ग के रास्ते पर चले तो जरूर भगवद प्राप्ति होगी है। इस मार्ग में चलना आसान नहीं है। भगवान श्री कृष्ण ने गीता में भगवान को प्राप्त करने के लिए तीन मार्ग बताए हैं। मुख्यालय मे बिजली पावर हाउस के पास चल रही श्रीमद्भागवत कथा महापुराण के तीसरे दिन रविवार को आचार्य अनुराग पांडेय चित्रकूट धाम ने कहा कि श्रीमद् भागवत गीता में सभी वर्ण, जाति, धर्म, सम्प्रदायों का समान अधिकार निहित है क्योंकि यह संहिता संप्रदाय रहित है। उन्होंने कथा का विस्तार पूर्वक वर्णन करते हुए कहा कि सच्चे हृदय से शिव की शरण में जाने से व्यक्ति के सारे दुर्गुण सद्गुण में बदल जाते हैं भगवान शिव का अवतार इस संसार में कुटिल जी ऊपर करुणा करने के लिए हुआ है हम कहते हैं कि यहां कलयुग है लेकिन वास्तव में देखा जाए तो यह कथायुग है अगर प्रभु की कथा नहीं होती तो भला मानव रुपी कुटिल पापी जीवों का उद्धार संभव नहीं था। इसलिए प्रथम भक्ति को सुनने के लिए सुखदेव जी ने कथा का वर्णन किया है। भागवताचार्य ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा सुनने से स्वतः ही जप, पूजा, पाठ, कीर्तन, स्मरण, आत्म निवेदन बन जाएगा। यदि कथा सुनना नहीं बना तो कुछ भी नहीं बनेगा उन्होंने ध्रुवा चरित्र, कपिल, जड भरत, अजामिल उपाध्याय, पहलाद चरित्र की कथा सुनाकर श्रोताओं में आकर्षण व श्रद्धा समर्पण भाव बताया। संगीतमय कथा मे तबलावादक सौरभ पांडेय, आर्गन अनुज मिश्रा, पैड वादक धीरेंद्र, हारमोनियम मे राकेश उपाध्याय, श्रंगारी भाव विवेक द्विवेदी को सुनकर श्रोता भावविभोर रहे। कथा मे यजमान सहित हजारों श्रोता मौजूद रहे।
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