कौशाम्बी29अप्रैल24*ना डिग्री ना अनुभव इलाज के नाम पर मरीजों को देते हैं मौत*
*गलत इलाज के चलते कई बार अस्पतालों में मरीज की बेवजह मौत भी हो चुकी है*
*खबर से भन्नाए क्लीनिक व अस्पताल के डॉक्टरो ने पत्रकार को दिया जान से मारने की धमकी*
*कौशांबी।**चरवा क्षेत्र में गलत तरीके से अस्पताल संचालक की खबर प्रकाशन से भन्नाए संचालक ने नर्स का सहारा लेना शुरू कर दिया है, जिस पत्रकार को अस्पताल संचालक पहचानता नहीं है उससे कभी बात नहीं किया है वह अस्पताल संचालक नर्स को मोहरा बनाकर पत्रकार की खबर रुकवा देना चाहता है, जबकि अस्पताल में ड्यूटी देने वाली नर्स के पास भी योग्यता नहीं है। आखिर क्यों अस्पताल में बिना योग्यता के नर्स से ड्यूटी ली जा रही है। अस्पताल में मरीज की मौत होने के बाद उनका लेखा – जोखा भी नहीं रखा जाता है। रजिस्टर गायब कर दिए जाते हैं। मामला गंभीर है और मामले को यदि डिप्टी सीएम ने संज्ञान लिया तो अस्पताल संचालक पर मुकदमा दर्ज होना तय है। सीएमओ के नाम से वसूली करने वाले लोगों को चिन्हित किए जाने की जरूरत है, लेकिन व्यवस्था के जिम्मेदार व्यवस्था सुधारने के लिए तैयार नहीं दिखाई पड़ रहे हैं।
चायल तहसील क्षेत्र के अंतर्गत नगर पंचायत चरवा में एक दर्जन से अधिक क्लीनिक व अस्पताल अवैध तरीके से संचालित हो रहा है। अस्पताल में योग्य डॉक्टर नहीं हैं और ना ही योग्य नर्स नहीं और ना ही अस्पताल में योग्य फार्मासिस्ट हैं उसके बाद भी अस्पताल में बिना लाइसेंस के मेडिकल स्टोर का भी संचालन हो रहा है। एनजीटी के नियमों को अस्पताल पालन नहीं कर रहा है फिर भी गलत तरीके से अस्पताल के संचालन की आड़ में मरीज का इलाज कर संचालक धन वसूली कर रहा है जिससे मरीजों का मर्ज ठीक होने के बजाए बढ़ जाता है और कथित डॉक्टर कथित नर्स के अनुभवहीनता के चलते मरीजों की मौत हो गयी है जिसकी खबर समाचार पत्र में प्रकाशित की गई जिससे भन्नाए अस्पताल मालिक ने पत्रकार को जान से मार देने की धमकी दी हैं और इतने में इनका पेट नहीं भरा तो जाति पूछ कर गाली – गलौज किया है।
कौशांबी जिले में कहीं पत्रकार के साथ मारपीट होती हैं तो कहीं जाति पूछ कर गाली – गलौज देते हैं। नगर पंचायत चरवा में एक दर्जन से अधिक क्लीनिक अस्पताल गलत तरीके से चल रही है जिसमे कुछ कक्षा आठ पास है और हाई स्कूल के बच्चो को रख कर इलाज करते हैं और अपने आप को बी फार्मा डाक्टर कहते हैं। गलत इलाज के चलते कई बार अस्पतालों में मरीज की बेवजह मौत भी हो चुकी है। जब भी कोई मरीज मौत के मुंह में जाने लगता हैं तो उसे अपने यहां से मझनपुर या प्रयागराज रेफर कर कमीशन वसूलते हैं। आखिर गलत तरीके से संचालित अस्पतालों पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं, उनके ऊपर किसका दबाव है। गलत अस्पतालों के संचालक पर कार्रवाई न होने से पूरे स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं।
जानकारी के मुताबिक चायल तहसील क्षेत्र के नगर पंचायत चरवा में एक दर्जन से अधिक क्लीनिक वा अस्पताल नियम विरुद्ध चल रही हैं जिसकी खबर अखंड भारत संदेश अखबार ने प्रकाशित किया है। खबर पढ़ कर आदर्श क्लीनिक का संचालक भन्ना गया। बड़े – बड़े बोर्ड लगाकर आधा दर्जन से अधिक अस्पताल का संचालन किया जा रहा है जहां योग्य चिकित्सक नहीं हैं और ना ही योग्य नर्स नहीं हैं। अस्पताल संचालक मरीज को जिंदगी देने के बजाए मौत दे रहे हैं। खबर से भन्नाए संचालक ने पत्रकार रजनीश कुमार सरोज को गाली – गलौज कर जान से मार डालने की धमकी दी और पत्रकार को जाति सूचक शब्द से अपमानित किया है। यहां तक कि मेडिकल स्टोर के नाम पर अंदर बेड लगा कर बड़े से बड़े आपरेशन करने को भी अस्पताल संचालक तैयार है। गलत तरीके से संचालित अस्पताल संचालक की जांच कराए जाने और अस्पताल संचालक पर मुकदमा दर्ज कराकर उसकी गिरफ्तारी कराए जाने की मांग की गई है।
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