April 26, 2025

UPAAJTAK

TEZ KHABAR, AAP KI KHABAR

कौशाम्बी25नवम्बर23*श्री कृष्ण व सुदामा की मित्रता से सीख लेने की जरूरत*

कौशाम्बी25नवम्बर23*श्री कृष्ण व सुदामा की मित्रता से सीख लेने की जरूरत*

कौशाम्बी25नवम्बर23*श्री कृष्ण व सुदामा की मित्रता से सीख लेने की जरूरत*

*श्री संकट मोचन शिव शक्ति धाम में चल रही भागवत कथा में महाराज ने कहा कि विषम परिस्थिति में भी मनुष्य को घबराना नहीं चाहिए*

*कौशाम्बी* जिला मुख्यालय मंझनपुर स्थित श्री संकट मोचन शिव शक्ति धाम में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में शनिवार को शिवसागर महाराज ने कृष्ण व सुदामा की मित्रता की कथा सुनाई उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण वा सुदामा की मित्रता ऐसी थी आज भी वह समाज को सीख देती है।विषम परिस्थिति में भी मनुष्य को घबराना नहीं चाहिए। जीवन में माता पिता और गुरु के बाद मित्र को विशेष स्थान दिया गया है। मित्र हमारे सुख-दुख के साथी होते हैं। किसी भी परिस्थिति में मित्र हमेशा साथ खड़े होते हैं। कृष्ण और सुदामा के बीच मित्रता की कहानी में हमें मित्र के प्रति ईमानदारी, त्याग और सम्मान का भाव दिखाई देता है। जब कभी मित्रता की बात होती है। तो कृष्ण और सुदामा की मिसाल दी जाती है। जब कृष्ण बालपन में ऋषि संदीपन के यहां शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तो उनकी मित्रता सुदामा से हुई थी। कृष्ण एक राजपरिवार में और सुदामा ब्राम्हण परिवार में पैदा हुए थे। परंतु दोनों की मित्रता का गुणगान पूरी दुनिया करती है। शिक्षा-दीक्षा समाप्त होने के बाद भगवान कृष्ण राजा बन गए वहीं दूसरी तरफ सुदामा के बुरे दौर की शुरुआत हो चुकी थी। खाने तक के मोहताज सुदामा की पत्नी ने उन्हें राजा कृष्ण से मिलने जाने के लिए कहा। द्वारिकाधीश ने जैसे ही द्वारपाल से सुदामा का नाम सुना तो नंगे पैर मित्र की आवा भगत करने पहुंच गए। लोग समझ नहीं पाए कि आखिर सुदामा में क्या विशेषता है कि भगवान स्वयं उनके स्वागत में दौड़ पड़े। श्रीकृष्ण ने स्वयं सिंहासन पर बैठाकर सुदामा के पैर पखारे। कृष्ण-सुदामा चरित्र प्रसंग पर श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए कथा समापन के बाद आरती उतरी गई इसके बाद प्रसाद का वितरण हुआ भक्तों के जयकारे से पंडाल गूंजयमान रहा

Taza Khabar

Copyright © All rights reserved. | Newsever by AF themes.