November 8, 2024

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कौशाम्बी25अगस्त24*हलछठ पर्व पर 5 लाख माताओं ने पूजन कर रक्खा व्रत*

कौशाम्बी25अगस्त24*हलछठ पर्व पर 5 लाख माताओं ने पूजन कर रक्खा व्रत*

कौशाम्बी25अगस्त24*हलछठ पर्व पर 5 लाख माताओं ने पूजन कर रक्खा व्रत*

*भगवान विष्णु के अवतार भगवान बलराम के जन्म दिवस के रूप में हल षष्ठी अथवा ललही छठ का महिलाओं ने मनाया त्योहार*

*तिल्हापुरमोड़ कौशाम्बी* हलछठ या ललही छठ पर्व पर जिले के मनौरी तिल्हापुर मोड़ सराय अकिल चायल नेवादा हर्रायपुर मूरतगंज भरवारी सिराथू मंझनपुर अझुवा सैनी कड़ा करारी चरवा पश्चिम शरीरा सहित जिले के कस्बा बाजार से ले कर गांव गांव में बड़े धूमधाम से ललही छठ पर्व पर लगभग 5 लाख माताओ ने पूजन अर्चन कर उपवास रक्खा है संतान और परिवार के लोगों की शांति तरक्की और दीर्घायु के लिए महिलाओं ने व्रत रखा है। यह व्रत पुत्रवती स्त्रियां रखती हैं। मान्यताओं के अनुसार जो महिलाएं सच्चे मन से यह व्रत रखती हैं तो उसकी संतान दीर्घायु होती है, उसे तरक्की मिलती है। धन ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रतिवर्ष श्री कृष्ण जन्माष्टमी से 1 या 2 दिन पूर्व हल षष्ठी व्रत पड़ता है। बलराम या बलदाऊ जयंती अथवा हल षष्ठी का पर्व 24 अगस्त, दिन शनिवार को मनाया गया धर्मशास्त्रों के मुताबिक द्वापर युग में भगवान बलराम सृजन के देवता थे। श्री कृष्ण के बड़े भ्राता और भगवान विष्णु के अवतार भगवान बलराम के जन्म दिवस के रूप में हल षष्ठी अथवा हल छठ का त्योहार कौशाम्बी जनपद में हिन्दुओ के प्रत्येक घर मे हर्षोल्लास से मनाया जाता है

धार्मिक मतानुसार भाद्रपद कृष्ण षष्ठी तिथि को हलषष्ठी या हलछठ ललही छठ का यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन को चंद्र षष्ठी, बलदेव छठ, ललई षष्ठी और रंधन षष्ठी भी कहते हैं। इस दिन माताएं अपनी संतान की रक्षा के लिए व्रत रखती हैं। इसी दिन भगवान कृष्ण के बड़े भाई श्री बलराम का जन्म हुआ था महिलाओं द्वारा व्रत-उपवास रखने से पुत्र को लंबी आयु और समृद्धि प्राप्त होती हैं मान्यतानुसार संतान की रक्षा के लिए यह व्रत अधिक महत्वपूर्ण होने के कारण संतान के जीवन के कष्ट नष्ट हो जाते हैं। यह व्रत पुत्रवती स्त्रियों को विशेष तौर पर करना चाहिए। इस दिन महुए की दातुन करना चाहिए। इस दिन गाय के दूध व दही का सेवन करना वर्जित कहा गया है। इस दिन हल पूजा का विशेष महत्व माना गया है। हल छठ के दिन हल से उत्पन्न अन्न और फल नहीं खाना चाहिए। हलछठ पर दिनभर निर्जला व्रत रखने के बाद शाम को पसही के चावल या महुए का लाटा बनाकर पारणा करने की मान्यता है। यह व्रत रखने से बलराम यानी शेषनाग का आशीर्वाद प्राप्त होता है और संतान बलराम की तरह ही बलशाली होती है।

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