July 1, 2025

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कौशाम्बी22सितम्बर24*उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ में साहित्यकार प्रज्ञा शर्मा गार्गी सम्मानित*

कौशाम्बी22सितम्बर24*उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ में साहित्यकार प्रज्ञा शर्मा गार्गी सम्मानित*

कौशाम्बी22सितम्बर24*उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ में साहित्यकार प्रज्ञा शर्मा गार्गी सम्मानित*

*हमें प्रताप नारायण मिश्र के नारे हिन्दी,हिन्दू , हिन्दुस्तान को हिन्दी साहित्य के माध्यम से परिपूर्ण करना है*

*कौशाम्बी* भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्म दिवस पर आयोजित भव्य समारोह में कौशाम्बी की साहित्यकार प्रज्ञा शर्मा को उनकी अनवरत साहित्य साधना हेतु, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ में भारत भाग्य विधाता सम्मान- 2024 से सम्मानित किया गया। समारोह का आयोजन आर्या पब्लिकेशन के संस्थापक एवं स्वर्णिम दर्पण पत्रिका के संपादक सौरभ पांडे द्वारा किया गया! उक्त समारोह के अवसर पर प्रज्ञा शर्मा ने अपनी कविता जहां गुरु का मान हो ,वही भव पार होता है,,का सुंदर प्रस्तुतिकरण किया जिसे सुनकर श्रोताओं ने करतल ध्वनि से सराहना किया प्रज्ञा शर्मा अभी तक कई साझा संग्रह में प्रतिभाग कर चुकी हैं और सम्मान से सम्मानित हो चुकी है

यह विशिष्ट सम्मान हिन्दी साहित्य संस्थान, लखनऊ की प्रधान सम्पादक डॉ. अमिता दुबे तथा वरिष्ठ साहित्यकार बाल मुकुंद द्विवेदी एवं सौरभ पांडे की पूज्य माता के हाथों प्राप्त कर प्रज्ञा शर्मा को बेहद ख़ुशी हुई! इस अवसर पर विभिन्न सत्रों में पुस्तक विमोचन, कवि सम्मेलन तथा हिन्दी साहित्य विषय पर चर्चा, परिचर्चा का आयोजन भी किया गया समारोह में विभिन्न राज्यों से आये करीब 130 साहित्यकार, पत्रकार और शिक्षाविदों ने भाग लिया ।

राजधानी लखनऊ में राज्य स्तर पर कविता प्रतिस्पर्धी के रुप में भी प्रज्ञा शर्मा का नाम दर्ज़ हैं और बहुत बार अलग-अलग संस्थाओं द्वारा सम्मानित है तथा अनेक स्थानों और समाचार पत्र पत्रिकाओं द्वारा सम्मान प्राप्त कर चुकी है,,
उन्होंने एम ए हिंदी से किया तथा अध्यापिका के पद पर कार्यरत हैं।उन्हें लिखना आठवीं कक्षा से पसंद था लेकिन कविता लिखने की इच्छाशक्ति अपने परिवार के साहित्य प्रेम के द्वारा मिली उनका कहना है जिस प्रकार पानी पौधे को सींचने का कार्य करता है उसी प्रकार बचपन से कवियों और साहित्यकारों के प्रेम ने उनकी काव्य कला को सींचने का कार्य किया है प्रज्ञा शर्मा कहती हैं लेखनी न केवल समाज को जागरूक करती है बल्कि खुद को भी अभिव्यक्त करती हैं हमें डिप्रेशन से बचने के लिए भी अपने विचारों को हमेशा लिखते रहना चाहिए वे अनवरत हिंदी साहित्य की सेवा करना चाहती है और उनका कहना है हमें प्रताप नारायण मिश्र के नारे हिन्दी,हिन्दू , हिन्दुस्तान को हिन्दी साहित्य के माध्यम से परिपूर्ण करना है

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