कौशाम्बी06अगस्त*जलसा ए शोहदा ए इस्लाम व शोहदा ए कर्बला*
*कौशाम्बी* जमीयत उलेमा जिला कौशांबी के जेरे एहतेमाम चलने वाला पन्द्रह रोजा प्रोग्राम (बउनवान शोहदा ए इस्लाम व शोहदा ए कर्बला) का छट्ठा जलसा दौलत पुर गांव की बड़ी मस्जिद में बाद नमाजे इशा जनाब हाफिज व कारी अलाउद्दीन साहब की सदारत में मुनअकिद हुवा प्रोग्राम का आग़ाज़ हाफिज व कारी अलाउद्दीन साहब की तिलावत ए कलाम पाक से हुआ और मुफ्ती उबैदुल्ला साहब ने बारगाह ए रिसालत में नजराना ए अकीदत पेश किया और निजामत के फ़राएज़ भी हजरत मुफ्ती साहब ने अंजाम दिया
और फिर हजरत मौलाना मुफ्ती ओबैदुल्ला साहब नदवी सचिव जमीयत उलेमा जिला कौशांबी ने सीरत नबवी स. और खुलफा ए राशिदीन की सीरत और यौम ए आशूरा की अहमियत व फजीलत पर रोशनी डालते हुए कहा के अगर नबी के बाद किसी का मकाम व मर्तबा है तो अबूबकर सिद्दीक र. का है हजरत अबू बकर सिद्दीक र. न होते तो यह उम्मत गुमराह हो जाती और आप स. ने फरमाया के मेरे बाद अगर कोई नबी होता तो उमर र.होते और तारीख के हवाले से आशूरा के दिन के मुतालिक बताया इसी दिन हजरत मूसा अलैहिस्सलाम और उनकी कौम को फिरौन और उसके लोगों से निजात मिली थी और उस दिन वह लोग रोजा रखते थे तो आप स. ने फरमाया के हम भी रोजा रखें गे लेकिन यहूद की मुखालफत में 1 दिन आगे या पीछे का मिलाकर और उस दिन अपने अहलो अयाल पर खाने के एतबार से ज्यादा खर्च करें
और मौलाना ने हालात ए हाजरा पर रोशनी डालते हुए कहा के आज हम नबी का नाम तो लेते हैं लेकिन नबी के तरीके को नहीं अपनाते आज हम गैरों के तरीके के मुताबिक जिंदगी गुजारते हैं इसके बाद मौलाना मुफ्ती मोहम्मद मुरशिद कासमी महासचिव जमीयत उलेमा जिला कौशांबी ने जलसा को खिताब करते हुए कहा के इस्लाम की पूरी तारीख शहादत के मुतवालियों से भरी पड़ी है और यह दीन हम तक ना जाने कितनी शहादतें और कुर्बानियों के बाद पहुंचा है चुनांचे सैयदुश्शोहदा हजरत हमजा र. की शहादत का वाकिया ही देख ली जिए के उनकी लाश को देखकर आप स. खुद रो दिये और खलीफा ए सालिस सैयद ना उस्मान र. की शहादत का वाकिया इतना दर्दनाक है वह उस्मान र. जो दामाद ए रसूल हैं जुन्नूरैन हैं वह उस्मान र. के जिसने अपने पूरे माल व दौलत को अल्लाह की राह पर खर्च कर दिया चुनांचे एक मौका पर आप स. ने एलान किया के कौन है??? जो अल्लाह के राह में खर्च करे जो अपने माल को अल्लाह के रास्ते में अल्लाह के बंदों के लिए कुर्बान कर दे उस मौके पर हजरत उस्मान र. खड़े हुए और कहा ऐ अल्लाह के नबी स. मेरी तरफ से तीन सौ ऊंट मैं साजो सामान के आप स. ने फिर से एलान किया दूसरी मर्तबा भी हजरत उस्मान र. खड़े हुए और कहा ऐ अल्लाह के नबी स. फिर मेरी तरफ से तीन सौ ऊंट मै साजो सामान के आप स ने फिर तीसरी मर्तबा एलान किया तो भी हजरत उस्मान र. खड़े हुए और कहा के ए अल्लाह के नबी स. मेरी तरफ से तीन सौ ऊंट मै साजो सामान के और सौ घोड़े भी और अशरफयों की एक थैली लाकर आप स. के हाथों में रख दिया तो आप स. ने फरमाया के अगर आज के बाद उस्मान र. कोई अमल ना भी करें तो भी जन्नत में जाएंगे मैं इसकी जमानत देता हूं वह उस्मान र. जिसने मदीना वालों के लिए एक कुंवा खरीद कर वक्फ किया वह उस्मान जिसके बारे में मेरे आका मोहम्मद स. ने फरमाया कि अगर मेरी कोई तीसरी बेटी होती तो उसको भी उस्मान र. के निकाह में दे देता बागियों ने जालिमों ने चालिस रोज तक घर का मोहासरा करने के बाद मजलूमाना और बे रहिमाना तौर पर शहीद कर दिया इस हाल में के आप कुरान की तिलावत करते रहे थे
और मौलाना ने वाकिया शोहदा ए कर्बला पर मुफस्सल रोशनी डालते हुए कहा के नवास ए रसूल सैयद ना हजरत हुसैन र. जैसा शहीद नहीं पैदा हो सकता के जिसने कर्बला के मैदान में भूखे प्यासे रह कर सजदे कि हालत में जाम ए शहादत नोश फरमाया अपने पूरे खानदान को कुर्बान कर दिया और उम्मत को यह पैगाम दे गए के जान जाती है तो जाए मगर नमाज कजा ना होने पाय अगर नमाज की माफी होती तो ऐसे हजरात की होती इसलिए जब तक जिस्म में जान रहे और बदन मे रूह रहे हमें नमाज नहीं छोड़नी है और यह सबक भी पढ़ा गए के जालिम के जुल्म के आगे डरना नहीं है बल के सब्र और हिम्मत से और शुजाअत वह बहादुरी से काम करना है हक का सच का साथ देना है झूठ और जुल्म से बचना है आज हमें अपने अंदर यही जज्बा पैदा करने की जरूरत है और जनाब हाफिज व कारी अलाउद्दीन साहब की दुआ पर जलसा का इख्तेताम हुआ
इस मौके पर जनाब हाफिज व कारी अलाउद्दीन साहब , हजरत मौलाना मुफ्ती ओबैदुल्ला नदवी जनरल सेक्रेटरी जमीयत उलेमा जिला कौशांबी, मौलाना मुफ्ती मोहम्मद मुरशिद कासमी महासचिव जमीयत उलेमा जिला कौशांबी, हाफिज मोहम्मद नौशाद साहब रुक्न जमीयत उलेमा जिला कौशांबी, मोहम्मद मेराज, मोहम्मद इम्तियाज और कसीर तादाद में लोग मौजूद रहे
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